Lal Krishna Advani Birthday: वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी 96 वर्ष के हो गए हैं। उनका जन्म 8 नवंबर, 1927 को सिंध के कराची में हुआ था। हिंदू सिंधी परिवार में पैदा हुए आडवाणी सबसे लंबे समय तक भाजपा अध्यक्ष रहे हैं। बतौर सांसद वह तीन दशक तक सदन में रहे। भारत के गृह मंत्री का पद संभालने के अलावा आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी कैबिनेट (1999-2004) में उप-प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं।
आडवाणी का बॉलीवुड डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा से घनिष्ठ संबंध बताया जाता है। हालांकि इस घनिष्ठता से पहले एक वक्त ऐसा भी था, जब चोपड़ा 4000 रुपये के लिए राष्ट्रपति के सामने आडवाणी से भिड़ गए थे। इतना ही नहीं उन्होंने अपने 4000 रुपये के लिए आडवाणी की शिकायत राष्ट्रपति से भी कर दी थी।
‘मेरा चार हजार कहां है?’
ये उस वक्त की बात है जब विधु विनोद चोपड़ा को दिल्ली के विज्ञान में पहला नेशनल अवार्ड मिल रहा था। तब आडवाणी सूचना और प्रसारण मंत्री और नीलम संजीव रेड्डी देश के राष्ट्रपति थे। चोपड़ा को बताया गया था कि उन्हें 4000 रुपये कैश प्राइज मिलेगा। वह मुम्बई से दिल्ली प्राइज लेने आए थे।
द लल्लनटॉप के साथ बातचीत में चोपड़ा बताते हैं कि पुरस्कार से ज्यादा उनकी दिलचस्पी उसके साथ मिलने वाले नकद पुरस्कार में थी, “मैं मंच पर था। भारत के राष्ट्रपति ने पुरस्कार मुझे दिया, लेकिन मेरा ध्यान नकद पुरस्कार पर था। जब मुझे लिफाफा दिया गया तो मैंने महसूस किया कि वह काफी पतला था। मैंने लिफाफा मंच पर ही खोला और देखा कि उसमें एक पोस्टल ऑर्डर था, जिस पर लिखा था कि इसे सात साल बाद कैश कराया जा सकता है।”
इसे देखते ही चोपड़ा ने तुरंत आडवाणी से पूछा, “सर, यह एक पोस्टल ऑर्डर है जबकि मुझे बताया गया था कि यह 4000 रुपये नकद होगा।” आडवाणी ने उनसे कहा कि उन्हें सात साल बाद दोगुनी रकम मिलेगी, लेकिन चोपड़ा नहीं माने। उन्होंने मंच पर खड़े-खड़े ही आडवाणी से कहा कि वह सात साल बाद नहीं बल्कि अभी कैश चाहते हैं।
चोपड़ा बतात हैं, “आडवाणी जी ने मुझसे कहा कि यह नकदी ही है, और मुझे साथ चलने को कहा। लेकिन मैं हटने को तैयार नहीं था।” ये सब मंच पर ही चल रहा था। इतने में राष्ट्रपति ने चोपड़ा से पूछ कि “कोई परेशानी है क्या?”
चोपड़ा ने उन्हें बताया कि एक “बड़ी परेशानी” है, और राष्ट्रपति को पूरा घटनाक्रम बताया। इस बीच, जब आडवाणी ने उन्हें टोका, तो फिल्म निर्माता ने उन्हें पोस्टल ऑर्डर अपने पास रखने के लिए कहा और नकद में भुगतान करने पर जोर दिया। इस पर तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने उन्हें अगले दिन शास्त्री भवन आने को कहा।
फिर भी चोपड़ा आश्वस्त नहीं थे। इसलिए, उन्होंने राष्ट्रपति से कहा कि अगर आडवाणी उन्हें नकद पुरस्कार देने से पीछे हटते हैं, तो वह उन्हें इस बारे में फोन करेंगे। लेकिन राष्ट्रपति ने उन्हें आश्वासन दिया, “आडवाणी अच्छे आदमी हैं।”
“अपने पिता को फोन लगाइए”
अगले दिन जब चोपड़ा शास्त्री भवन गए, और लालकृष्ण आडवाणी नाराज थे। उन्होंने गुस्से में चोपड़ा के कहा, “अपने पिता को फोन लगाइए। मैं उनसे पूछना चाहता हूं, क्या यही भारत का भविष्य है? एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता राष्ट्रपति के सामने और राष्ट्रीय टेलीविजन पर 4,000 रुपये के लिए लड़ रहा है। लगाइए अपने पिता को फोन।”
पहले तो चोपड़ा ने फोन लगाना शुरू किया। लेकिन फिर रुक गए। उन्होंने आडवाणी से पूछा, “क्या आपने नाश्ता कर लिया है? क्योंकि मैंने नहीं किया। मैं किसी से 1200 रुपये उधार लेकर यहां आया हूं। मैंने पुरस्कार समारोह के लिए एक नई शर्ट खरीदी और एसी चेयर कार में यात्रा की। मैं उस व्यक्ति को क्या बताऊंगा जिससे मैंने पैसे उधार लिए हैं? आप अपना ‘भाषण’ अलग रखें और मुझे मेरे 4,000 रुपये दे दें, नहीं तो मैं राष्ट्रपति के पास जा रहा हूं।”
नाश्ता न करने की बात सुनकर आडवाणी शांत हुए। उन्होंने पहले उन्हें नाश्ता कराया और फिर एक ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए और चोपड़ा को अंततः उनकी नकदी मिल गई, जिसे फिल्म निर्माता ने कहा कि यह उनका पहला ‘वेतन’ था।