पहली बार प्रवर्तन निदेशालय (ED) घोटालों की रकम पीड़ितों को वापस करेगा। यह कोलकाता में रोज वैली समूह की कंपनियों की अटैच्ड फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) में जमा करीब 12 करोड़ रुपये को 22 लाख छोटे जमाकर्ताओं में बांटने से शुरू होगा। इन्हें आरोपित कंपनियों द्वारा अत्यधिक रिटर्न का वादा करके पैसे जमा करने के लिए लुभाया गया था लेकिन वे वादे कभी पूरे नहीं हुए।

पहली बार कोलकाता की एक स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने 24 जुलाई को ईडी को रोज वैली घोटाले में 11.99 करोड़ रुपये की 14 अटैच्ड एफडी को अदालत द्वारा मॉनिटर की गई एसेट डिस्पोजल कमेटी (ADC) को स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी कहा कि इस राशि को वास्तविक दावेदारों को प्रोपोर्शनल बेसिस पर या एडीसी या अदालत के निर्देशानुसार वितरित की जाएगी।

कैसे पैसे लौटाएगा ईडी?

कोलकाता की अदालत ने पीएमएलए की धारा 8(8) के तहत एक रास्ता निकाला है। इसके तहत ईडी द्वारा जब्त की गई अटैच्ड संपत्तियों को किसी पीड़‍ित को सुपुर्द किया जा सकता है। ईडी को इस तरह की अटैच्ड संपत्ति के हस्तांतरण के लिए पंचनामा तैयार करना होगा जिसे ट्रायल के दौरान साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश के आधार पर फैसला

रोज वैली मामले में आए इस फैसले से पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय का एक निर्देश आया था, ज‍िसमें अदालत ने पश्चिम बंगाल में स्थित आरोपी कंपनी की संपत्तियों को सार्वजनिक नीलामी में बेचने और बिक्री से हुई आय को एक अलग खाते में जमा करने के लिए न्यायमूर्ति दिलीप कुमार सेठ की अध्यक्षता में एडीसी का गठन किया था।

विशेष अदालत ने आरोपी के बरी होने की संभावना को भी रखा ध्यान

विशेष अदालत ने ऐतिहासिक आदेश पारित करते समय आरोपी के बरी होने की संभावना को भी ध्यान में रखा। विशेष अदालत के न्यायाधीश ने कहा, “मैंने यह भी ध्यान में रखा है कि अगर आरोपी मुकदमे के बाद बरी हो जाते हैं तो इस रीस्टोरेशन आदेश का क्या प्रभाव होगा? इसका उत्तर है कि चाहे मुकदमे का परिणाम कुछ भी हो, निवेशकों को उनके पैसे वापस मिलेंगे।”

आदेश में रीस्टोरेशन को सही ठहराते हुए कहा गया, “यह उचित और तर्कसंगत है कि पैसा दिवालिया निवेशकों और जमाकर्ताओं को वापस किया जाना चाहिए, बजाय इसे लंबे समय तक एनपीए के रूप में रखने के क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का ट्रायल पूरा होने में समय लगता है।”

लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भी उछला था मुद्दा

यह मुद्दा लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भी उछला था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में एक भाजपा उम्‍मीदवार से फोन से पर बातचीत में कहा था क‍ि ईडी ने घोटालों की जो रकम जब्‍त की है वह घोटाले के पीड़‍ितों को वापस म‍िल सके, इस बारे में वह कानूनी सलाह ले रहे हैं। उन्‍होंने कहा था क‍ि गरीब लोगों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बंगाल में छापे में जब्त किए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये वापस करने के लिए कानूनी विकल्प तलाशे जा रहे हैं।

3000 करोड़ वापस करने के लिए कानूनी विकल्प की तलाश- पीएम मोदी

लोकसभा चुनाव के लिए कृष्णानगर से भाजपा की उम्मीदवार अमृता रॉय के साथ फोन पर बातचीत के दौरान पीएम ने कहा था, “यह गरीब आदमी का पैसा है। किसी ने टीचर बनने के लिए पैसे दिए, किसी ने क्लर्क बनने के लिए पैसे दिए। मैं कानूनी सलाह ले रहा हूं और अगर मेरी कानूनी सलाह नई सरकार को दी जाती है तो उन्हें गरीबों के पैसे वापस करने के लिए कानूनी व्यवस्था, नियम और तरीके बनाने होंगे।” बीजेपी ने पीएम और अनीता की बातचीत का ऑडियो क्लिप भी जारी किया था।

बाद में टीएमसी ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी और अनीता की बातचीत आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करती है और पीएम ने अनुचित वादे किए।

ईडी नकदी और जब्त की गई अन्य संपत्तियों का क्या करता है?

ईडी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत किसी मामले में संदिग्धों के परिसरों की तलाशी लेने का अध‍िकार है। ईडी आम तौर पर तलाशी वारंट के साथ संदिग्ध के पास पहुंचती है और तलाशी लेती है। तलाशी के दौरान की गई बरामद नकदी या सामान को स्वतंत्र गवाहों की उपस्थिति में ‘सीजर मेमो’ बना कर जब्त किया जाता है। मेमो पर इन गवाहों को हस्ताक्षर करना होता है।

पहले जब्त की गई नकदी को सरकारी अफसर खाते खुलवा कर जमा कराते थे। केस का फैसला होने तक पैसा खाते में ही रहता था। अगर अभियुक्त को दोषी ठहराया गया तो रकम सरकारी खजाने में जमा की जाती थी। अगर आरोपी बरी होता तो ब्याज सहित पूरी राशि उस वापस कर दी जाती थी।जब्त किए गए सोने या अन्य कीमती सामान को लॉकर में जमा किया जाता था।

2018 में पूरी प्रणाली को बदला गया और अब पैसा सीधे सरकारी खजाने में जमा कराया जाता है। संबंधित क्षेत्र के अफसर अब भारतीय स्टेट बैंक के साथ प्रवर्तन निदेशालय के नाम पर पीडी खाते खोलते हैं। इन खातों में जमा पर कोई ब्याज नहीं म‍िलता है। नकदी और सोना दोनों के लिए बाकी प्रक्रिया समान रहती है।

कैसे होती है कुर्की?

ईडी द्वारा नकदी सहित किसी भी संपत्ति को कुर्क या जब्त करने के बाद एजेंसी के पास निर्णायक प्राधिकरण से उक्त जब्ती पर पुष्टि प्राप्त करने के लिए 180 दिन का समय होता है। एक बार कुर्की की पुष्टि हो जाने के बाद, ईडी जब्त की गई संपत्ति को अपने कब्जे में ले सकती है। अगर वह अचल संपत्ति है तो ईडी संपत्ति के मालिक को बेदखली नोटिस जारी कर सकता है और इसे अपने कब्जे में ले सकता है।

हालाँकि, निर्णायक प्राधिकरण के आदेश को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अपीलीय न्यायाधिकरण और आगे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, जो आदेश पर रोक लगा सकता है, मालिक को संपत्ति बहाल कर सकता है या संपत्ति पर ईडी के कब्जे का रास्ता साफ कर सकता है।

क्या है रोज वैली स्कैम?

रोज वैली ग्रुप पर अलग-अलग राज्यों में निवेशकों से करीब 17,000 करोड़ रुपये जुटाने का आरोप है। यह पैसा मुख्य रूप से कम से कम आधा दर्जन राज्यों के ग्रामीण इलाकों में छोटे निवेशकों से जुटाकर इकट्ठा किया गया था। द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सेबी ने पाया कि कंपनी ने 11.2 प्रतिशत से 17.65 प्रतिशत तक की ब्याज दरों के साथ योजनाएं पेश कीं। योजना में शाम‍िल हो जाने के बाद उससे अलग होने का व‍िकल्‍प नहीं था। साथ ही, म‍ियाद पूरी होने से पहले निवेशक को पैसा वापस नहीं मिलने जैसे प्रावधान क‍िए गए थे। जुलाई 2013 में एक जांच के दौरान कंपनी में कई तरह की गड़बड़‍ियां सामने आई थीं।