हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही नेताओं ने एक-दूसरे पर जोरदार हमले भी शुरू कर दिए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की बहू और लंबे वक्त तक कांग्रेस में रहीं किरण चौधरी ने कहा है कि हरियाणा कांग्रेस बाप-बेटे की पार्टी है और बीजेपी में शामिल होने के बाद वह राहत महसूस कर रही हैं।
याद दिलाना होगा कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के तुरंत बाद किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने जून में कांग्रेस को अलविदा कहकर बीजेपी का हाथ पकड़ लिया था।
किरण चौधरी को भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है और उनका राज्यसभा सांसद चुना जाना लगभग तय है।
बीजेपी-कांग्रेस को मिली 5-5 सीटें, पिछली बार बीजेपी ने जीती थी 10 सीटें
सीट | सांसद का नाम | राजनीतिक दल |
अंबाला | वरुण चौधरी | कांग्रेस |
सिरसा | कुमारी सैलजा | कांग्रेस |
कुरूक्षेत्र | नवीन जिंदल | बीजेपी |
करनाल | मनोहर लाल खट्टर | बीजेपी |
सोनीपत | सतपाल ब्रह्मचारी | कांग्रेस |
रोहतक | दीपेंद्र सिंह हुडा | कांग्रेस |
हिसार | जय प्रकाश | कांग्रेस |
भिवानी-महेंद्रगढ़ | धर्मबीर सिंह | बीजेपी |
गुरुग्राम | राव इंद्रजीत सिंह | बीजेपी |
फरीदाबाद | कृष्ण पाल गुर्जर | बीजेपी |
किरण चौधरी ने जब कांग्रेस छोड़ी थी तब भी उन्होंने स्पष्ट रूप से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रोहतक से उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा पर निशाना साधा था हालांकि तब उन्होंने हुड्डा का खुलकर नाम नहीं लिया था। लेकिन इस बार उन्होंने खुलकर पिता-पुत्र की जोड़ी पर हमला किया है।
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस को ताकत देने वाले रहे थे। लेकिन किरण चौधरी जैसी बड़ी नेता के पार्टी छोड़कर जाने से बंसीलाल के प्रभाव वाले इलाकों में उसे थोड़ा-बहुत राजनीतिक नुकसान होने का खतरा जरूर है।
कांग्रेस ने 2019 में दोगुनी सीटें जीती
साल | बीजेपी को मिली सीटें | कांग्रेस को मिली सीटें | इनेलो को मिली सीटें | जेजेपी को मिली सीटें | अन्य को मिली सीटें |
2014 | 47 | 15 | 19 | – | 9 |
2019 | 40 | 31 | 1 | 10 | 8 |
किरण चौधरी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, हरियाणा में कांग्रेस नाम की कोई चीज नहीं है, यहां सिर्फ बाप-बेटे की पार्टी बची है। उन्होंने कहा कि जो भी पार्टी में उभरने की कोशिश करता है उसका कद कम कर दिया जाता है।
चौधरी ने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा दोनों खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने बेटे के लिए मैदान खाली करना चाहते हैं लेकिन दीपेंद्र हुड्डा काबिल नहीं हैं। इन दोनों के ही खिलाफ बहुत सारे मामले हैं।
किरण चौधरी ने कहा कि ये दोनों कभी भी कांग्रेस के लिए कुछ भी बेहतर नहीं करेंगे और वास्तव में बाप-बेटे की जोड़ी ने हरियाणा में कांग्रेस को खत्म कर दिया है।

किरण चौधरी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हरियाणा कांग्रेस में जो कुछ भी बचा है उसे भी बाप और बेटे मिलकर खत्म करने पर तुले हुए हैं। राज्य में कांग्रेस वेंटिलेटर पर है और अपनी अंतिम सांसें गिन रही हैं। किरण चौधरी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उन्हें भाजपा विधानसभा चुनाव में जो भी जिम्मेदारी देगी उसे वह पूरी ईमानदारी के साथ पूरा करेंगी।
बीजेपी का वोट शेयर गिरा, कांग्रेस का बढ़ा
राजनीतिक दल | लोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में) | लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में) |
कांग्रेस | 28.51 | 43.67 |
बीजेपी | 58.21 | 46.11 |
तोशाम से मिल सकता है श्रुति को टिकट
किरण चौधरी ने 2019 का विधानसभा चुनाव भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट से जीता था। इस बार ऐसी चर्चा है कि उनकी बेटी श्रुति चौधरी यहां से चुनाव लड़ सकती हैं। क्या उनकी बेटी विधानसभा चुनाव लड़ेंगी, इस सवाल के जवाब में किरण चौधरी ने कहा कि इसका फैसला भाजपा नेतृत्व को करना है। अगर भाजपा नेतृत्व उनकी बेटी को टिकट देता है तो श्रुति चौधरी बड़े अंतर से चुनाव जीतेंगी। श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रही हैं।
भिवानी-महेंद्रगढ़ में मिलेगा बीजेपी को फायदा?
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सवाल यह है कि किरण चौधरी क्या बीजेपी को चुनाव में बढ़त दिला सकती हैं? किरण चौधरी का राजनीतिक असर भिवानी और महेंद्रगढ़ जिले में है। भिवानी जिले में पड़ने वाली तोशाम, लोहारू, भिवानी, बवानी खेड़ा के साथ महेंद्रगढ़ जिले की नारनौल, महेंद्रगढ़, नांगल चौधरी और अटेली सीटों पर किरण चौधरी बीजेपी को कांग्रेस पर कुछ हद तक लीड दिला सकती हैं। हालांकि पिछले दो लोकसभा चुनावों में श्रुति चौधरी को यहां से हार मिली थी लेकिन बंसीलाल की बहू होने की वजह से किरण चौधरी अभी भी यहां मजबूत हैं।

जाट बेल्ट में मिली बीजेपी को हार
चौधरी बंसीलाल हरियाणा में जाट राजनीति के बड़े चेहरे थे। भिवानी-महेंद्रगढ़ की विधानसभा सीटों के अलावा अन्य सीटों पर भी बंसीलाल के समर्थक मतदाताओं के वोट भी बीजेपी को मिल सकते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में हरियाणा में जाट बेल्ट के असर वाली सीटों यानी- सोनीपत, रोहतक, हिसार में बीजेपी को हार मिली है जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में वह यहां जीती थी। लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद बीजेपी के लिए विधानसभा चुनाव में लड़ाई मुश्किल हो गई है। ऐसे में किरण चौधरी के राज्यसभा सांसद बनने के बाद बीजेपी को कुछ हद तक फायदा हो सकता है।
अनुभवी नेता हैं किरण चौधरी
किरण चौधरी कांग्रेस में रहते हुए बड़ा चेहरा थीं, वह दिल्ली में विधायक रहने के साथ ही विधानसभा की डिप्टी स्पीकर भी रह चुकी हैं। इसके अलावा वह हरियाणा सरकार में दो बार मंत्री रहीं और विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल की नेता जैसा बड़ा पद भी उन्होंने संभाला।

एसआरके के बाद बना एसआरबी गुट
किरण चौधरी जब कांग्रेस में थीं तो उन्हें एसआरके गुट का नेता माना जाता था। एसआरके गुट में किरण चौधरी के अलावा सिरसा से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, राज्य सभा सांसद रणदीप सुरजेवाला भी थे। किरण चौधरी के बीजेपी में जाने के बाद इस गुट का नाम एसआरबी हो गया है क्योंकि अब इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह का नाम जोड़ा जाने लगा है।
कई बड़े नेताओं ने छोड़ी कांग्रेस
हरियाणा में कांग्रेस साल 2014 से राज्य की सत्ता से बाहर है। पिछले दो चुनाव में हार मिलने के साथ ही कई दिग्गज नेताओं ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ा है। इन नेताओं में किरण चौधरी के अलावा केंद्रीय राज्य मंत्री और गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे और पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई, हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर का नाम शामिल है।