कर्नाटक की सियासत में 16 अगस्त के बाद राज्यपाल थावर चंद गहलोत का नाम तेजी से सुर्खियों में आया है। यह वह तारीख थी, जिस दिन राज्यपाल ने कथित मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) घोटाला मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की मंजूरी दी थी।
राज्यपाल के इस कदम का राज्य में सरकार चला रही कांग्रेस और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जोरदार विरोध किया है। कांग्रेस ने कर्नाटक में राज्यपाल के खिलाफ राजनीतिक अभियान भी छेड़ दिया है।
कांग्रेस का कहना है कि गहलोत केंद्र की बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार की कठपुतली हैं।
राज्यपाल के फैसले को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने सिद्धारमैया को फौरी तौर पर राहत देते हुए इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 29 अगस्त तय की है।

दलित समुदाय से आते हैं गहलोत
थावर चंद गहलोत मध्य प्रदेश की सियासत के जाने-पहचाने चेहरे हैं। 76 साल के गहलोत दलित समुदाय से आते हैं। गहलोत आरएसएस और बीजेपी के बड़े नेताओं में शुमार रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ कथित घोटाला मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं के द्वारा भेजे गए पत्रों के आधार पर दी है।
इन कार्यकर्ताओं का दावा था कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को MUDA द्वारा 2021 में 3.16 एकड़ जमीन के बदले में मैसूर में 14 प्लॉट आवंटित किए गए थे। 2021 में राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार थी।
गहलोत मूल रूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन के रहने वाले हैं और बीजेपी का वैचारिक स्रोत माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से 1962 से जुड़े हैं। उन्होंने विक्रम यूनिवर्सिटी से स्नातक किया है। गहलोत उज्जैन में संघ की शाखाओं में जाते थे और वह उज्जैन में नागदा जंक्शन शाखा के सचिव और मुख्य आयोजक के रूप में काम कर चुके हैं।
थावर चंद गहलोत 1960 के अंत और 1970 के शुरुआती दशक में भारतीय मजदूर संघ से जुड़े कई संगठनों में बतौर सचिव और कोषाध्यक्ष के तौर पर भी काम कर चुके हैं। थावर चंद गहलोत मध्य प्रदेश में बलाई समाज से भी जुड़े हुए हैं। यह समाज अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए काम कर रहा है। बलाई समुदाय की मध्य प्रदेश में आबादी 11.7% है।
आपातकाल के दौरान 10 महीने जेल में रहे गहलोत
थावर चंद गहलोत आपातकाल के दौरान 1975-76 में MISA एक्ट के तहत 10 महीने तक जेल में रहे हैं। इसके बाद उन्हें उज्जैन, भोपाल और दिल्ली में किए गए आंदोलनों की वजह से भी कई बार न्याय हिरासत में रहना पड़ा।
थावर चंद गहलोत का राजनीतिक करियर जनता पार्टी के साथ शुरू हुआ, जहां पर वह 1977 से 1980 के बीच में उज्जैन (ग्रामीण) जिले के महासचिव और उपाध्यक्ष के पद पर रहे। 1980 में जब वह पहली बार आलोट आरक्षित विधानसभा सीट से विधानसभा के लिए चुने गए, तब तक वह बीजेपी में शामिल हो चुके थे।
1985 में वह विधानसभा का चुनाव हार गए लेकिन 1990 और 93 में उन्होंने फिर से जीत दर्ज की। विधायक रहने के दौरान गहलोत ने विधानसभा की कई समितियों में अहम भूमिका अदा की। इनमें एस्टीमेट और श्रम सलाहकार समिति भी शामिल हैं।
इसके अलावा वह मध्य प्रदेश की सरकार में पंचायत और ग्रामीण विकास, जल संसाधन जैसे अहम मंत्रालयों के मंत्री भी रहे। 1996 में उन्हें श्रेष्ठ विधायक के अवार्ड से सम्मानित किया गया।
बीजेपी संगठन में मिली जिम्मेदारियां
1984 से 1986 के बीच गहलोत को भारतीय जनता युवा मोर्चा का मध्य प्रदेश का सचिव बनाया गया। 1986 में थावर चंद गहलोत बीजेपी की रतलाम जिला इकाई के अध्यक्ष चुने गए। वह मध्य प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष भी रहे।
थावर चंद गहलोत पहली बार 1996 में लोकसभा के लिए चुने गए तब उन्होंने शाजापुर सीट से चुनाव जीता था। इसके बाद वह 1998 और 1999 में भी सांसद बने और कई संसदीय समितियों के सदस्य बने। इन समितियों में एससी और एसटी के साथ ही कृषि और श्रम से जुड़ी हुई समितियां शामिल थीं।
गहलोत जब तीसरी बार सांसद बने तो उन्हें भाजपा ने लोकसभा में व्हिप जैसे बड़े पद की जिम्मेदारी दी। 2004 में बीजेपी भले ही लोकसभा का चुनाव हार गई थी लेकिन गहलोत तब भी चुनाव जीते थे। 2009 में उन्होंने मध्य प्रदेश की देवास सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
कर्नाटक बीजेपी के प्रभारी भी रहे हैं गहलोत
2012 में थावर चंद गहलोत राज्यसभा पहुंचे। 2006 से 2014 तक वह कर्नाटक बीजेपी के प्रभारी भी रहे और इस दौरान उनके पास पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जैसा बड़ा ओहदा भी था।
थावर चंद गहलोत को 2018 में फिर से राज्यसभा भेजा गया और 2019 में वह राज्यसभा में भाजपा संसदीय दल के नेता बने। 2014 से 2021 के बीच उन्होंने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय संभाला। जुलाई 2021 में थावर चंद गहलोत को मोदी सरकार ने कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किया। वह कर्नाटक के 13वें राज्यपाल हैं।