जून 2019 में महुआ मोइत्रा द्वारा ‘फासीवाद के सात शुरुआती संकेतों’ पर दिए भाषण ने सनसनी पैदा कर दी थी। हालांकि ट्रेजरी बेंच के सांसदों ने हल्ला कर उन्हें बैठाने की कोशिश की लेकिन तृणमूल सांसद अपना पहला भाषण लगभग 10 मिनट तक देती रहीं। भाषण का अंत विपक्ष के तमाम नेताओं और उनकी पार्टी के सदस्यों की तालियों की गरगराहट के साथ हुआ।
दो साल बाद मोइत्रा एक बार फिर अपने बयानों की वजह से चर्चा में हैं। इस बार उनके खिलाफ देश भर में कई एफआईआर और शिकायत दर्ज कराई गई है। दरअसल 5 जुलाई को इंडिया टुडे ईस्ट कॉन्क्लेव में देवी काली पर एक बातचीत के दौरान मोइत्रा ने कनाडाई फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलाई की डॉक्यूमेंट्री काली के पोस्टर पर जताई जा रही आपत्तियों को खारिज किया। उन्होंने कहा था, काली के कई रूप हैं। मेरे लिए काली का मतलब मांस और शराब स्वीकार करने वाली देवी है। मोइत्रा के इस बयान ने भाजपा और हिंदू समूहों में खलबली मचा दी। खुद मोइत्रा की पार्टी टीएमसी ने भी उनके बयान से किनारा कर लिया। टीएमसी ने साफ कह दिया कि महुआ का बयान पार्टी की विचारधारा से अलग है।
मोइत्रा शायद ही कभी घिसे-पिटे रास्तों पर चली हों। उनका जन्म असम में हुआ। परिवार के पास चाय का बागान था। मोइत्रा ने कड़ी मेहनत से पढ़ाई लिखाई की। स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। मैसाचुसेट्स के माउंट होलोके कॉलेज से गणित और अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने के लिए छात्रवृत्ति हासिल की। इसके बाद न्यूयॉर्क और लंदन में एक बैंकर के रूप में उच्च वेतन वाली नौकरी की।
फिर एक ऐसा मौका आया जब मोइत्रा ठहरीं और एक अलग मोड़ लिया। वह मौका था 2008 में कॉलेज में उनके बैच के 10वें री-यूनियन का। यहीं उन्होंने तय किया कि उन्हें कुछ अलग करना है। तब वह जेपी मॉर्गन की वाइस प्रेसीडेंट थीं। जुलाई 2019 में स्कूली छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, ”तब मुझे तय करना था कि क्या मैं अपने 20वें री-यूनियन में जेपी मॉर्गन के एक अन्य प्रबंध-निदेशक के रूप में वापस आना चाहती हूं या कुछ अलग करके वापस आना चाहती हूं?”
महुआ मोइत्रा भारत लौटीं और थोड़े समय के लिए कांग्रेस से जुड़ीं। इस दौरान वह राहुल गांधी की ‘आम आदमी के सिपाही’ अभियान की मुख्य सदस्य रहीं। बूथ स्तर पर इस अभियान का नेतृत्व किया। साल 2010 में मोइत्रा तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गयीं। आज जब वह अपनी गिरफ्तारी के तीखे आह्वान के खिलाफ अकेली लड़ रही है, तो पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर से सांसद हैं।
संडे एक्सप्रेस से बात करते हुए मोइत्रा ने कहा, ”मैं दोहराना चाहती हूं कि मैंने फिल्म या पोस्टर का किसी भी तरह से न प्रचार किया, न ही उसके समर्थन में एक भी शब्द कहा। मेरा बयान फैक्ट और अनुभव पर आधारित था कि कैसे माँ काली को उनके भक्त पूजते हैं और मैं उन्हें किस तरह समझती हूँ। धर्म हमारे निजी जीवन का एक अभिन्न अंग है। अब समय आ गया है कि हम यह बात जोर देकर बताएं कि हमें अपने विश्वासों और प्रथाओं के बारे में बात करने का अधिकार है।”
एक टीएमसी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ”बात सिर्फ इतनी नहीं है कि महुआ ने क्या कहा, बात ये भी है कि कैसे कहा। यह कहना कि माँ काली को व्हिस्की दी जाती है, यह कहने से अलग है कि माँ काली को करों सुधा (कुछ परंपराओं में देवी के चरणों में चढ़ाया जाने वाला एक मादक पेय) दिया जाता है। यह कहना कि माँ काली मांस खाती है, पशु बलि की अवधारणा से अलग है, जो कि पिछले कुछ वर्षों में जागरूकता और न्यायिक हस्तक्षेप के कारण कम हुई है। एक अच्छा वक्ता उन बारीकियों को ध्यान में रखता।”
मोइत्रा को लगता है कि बहस को धर्म के इर्द-गिर्द रखने से बीजेपी को फायदा होता है। वह कहती हैं, ”कई लोग मुझसे कहते हैं कि इस समय में धर्म के बारे में बात करने से बचना चाहिए। यही कारण है कि भाजपा हिंदू धर्म के अपने संस्करण को हम पर थोपने में सफल रही है। हिंदू धर्म उनका क्षेत्र नहीं है और मैं एक इंच भी पीछे नहीं हटूंगी”
बांग्लादेश की सीमा से लगे ग्रामीण करीमपुर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक के रूप में तीन साल के कार्यकाल के बाद, मोइत्रा 2019 में कृष्णानगर से लोकसभा के लिए चुनी गईं। इसके तुरंत बाद, उन्हें पार्टी का नादिया जिला अध्यक्ष बनाया गया। यह पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी का मोइत्रा पर विश्वास को दर्शाता है।
कांग्रेस नेता शशि थरूर, मोइत्रा की टिप्पणी पर हंगामे के बाद उनका समर्थन करने वालों में शामिल थे। उन्होंने द संडे एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, ”मैंने महुआ को दो भूमिकाओं में काम करते देखा है। पहला लोकसभा में एक वक्ता के रूप में अपनी पार्टी की ओर से बहस करते हुए। दूसरा सूचना और प्रौद्योगिकी पर पार्लियामेंट की स्टैंडिंग कमेटी के सक्रिय सदस्य के रूप में काम करते हुए। वह दोनों भूमिकाओं में प्रभावशाली रही हैं।”
इस विवाद पर कांग्रेस के कार्ति चिदंबरम का कहना है कि ”महुआ संसद की एक बहुत ही साहसी और जोशीली सदस्य हैं। वह सिंगल, शिक्षित, स्वतंत्र और एक विचारवान महिला है, जिसका विचार भाजपा को पसंद नहीं है। यही कारण है कि वह उन पर तीखे हमले करती हैं।”
राज्यसभा के एक सांसद ने कहा, ”हर कोई उनसे दूरी बनाए रखता है, क्योंकि सांसदों को लगता है कि वह थोड़ी मनमौजी हैं। मुखर हैं लेकिन तीखा बोलती हैं।” हालांकि, मोइत्रा को इन बातों से फर्क नहीं पड़ता। वह कहती हैं कि ”यदि तीखा और आवेगी होने जैसे गुण पुरुष में है, तो वह एक नेता हैं, लेकिन यदि किसी महिला में ये गुण हैं, तो वह b *** h है। ऐसी बातों पर अब मैं किसी से लड़ने के बजाय, इस तरह के टैग का आनंद लेती हूं।”