सीनियर एडवोकेट रहे केवी विश्वनाथन (KV Viswanathan) 19 मई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज नियुक्त हुए। बार से सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त होने वाले वे 10वें वकील हैं। जस्टिस विश्वनाथन से पहले बार से जो 9 वकील, जज बने उनमें जस्टिस कुलदीप सिंह का भी नाम शामिल है। जस्टिस कुलदीप सिंह 14 दिसंबर 1988 को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए थे। उसी दिन जस्टिस एएम अहमदी भी उच्चतम न्यायालय के जज नियुक्त हुए थे।
जस्टिस कुलदीप सिंह (Justice Kuldip Singh) की नियुक्ति बार से हुई थी। हालांकि उन्हें पहले हाईकोर्ट का जज बनने का ऑफर मिला था लेकिन ठुकरा दिया था। दूसरी तरफ, जस्टिस अहमदी गुजरात हाईकोर्ट के जज हुआ करते थे। उस समय की परंपरा के मुताबिक बार से नियुक्त होने वाले जज को हाईकोर्ट के जज के मुकाबले सीनियर माना जाता था। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि कुलदीप सिंह जस्टिस अहमदी के मुकाबले आधिकारिक तौर पर 2 महीने बड़े थे।
तो जस्टिस कुलदीप सिंह होते CJI
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के बेटे और एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ पेंगुइन पब्लिकेशन से प्रकाशित अपनी किताब ‘Supreme Whispers’ में लिखते हैं कि जस्टिस अहमदी और जस्टिस कुलदीप सिंह, जस्टिस वेंकटचलैया से छोटे थे जो अक्टूबर 1994 में बतौर चीफ जस्टिस रिटायर होने वाले थे। यदि जस्टिस कुलदीप सिंह को जस्टिस अहमदी से सीनियर माना जाता तो अक्टूबर 1994 से दिसंबर 1996 तक वह चीफ जस्टिस होते। उनके रिटायरमेंट के बाद जस्टिस अहमदी को महज कुछ महीनों के लिए चीफ जस्टिस का पद मिलता।
ऐन मौके पर बदल दिया गया था शपथ का क्रम
अभिनव चंद्रचूड़ (Abhinav Chandrachud) लिखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति से कुछ महीने पहले अगस्त 1988 में जस्टिस कुलदीप सिंह को तत्कालीन चीफ जस्टिस पाठक का फोन आया। सीजेआई ने उनसे कहा कि हम आप को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करना चाहते हैं। यह भी आश्वासन दिया कि आप शपथ ग्रहण समारोह के दिन सबसे पहले शपथ लेंगे और सीनियर होंगे। लेकिन ऐन मौके पर शपथ ग्रहण का क्रम ही बदल दिया गया। जस्टिस कुलदीप सिंह से पहले जस्टिस अहमदी को शपथ दिला दी गई।
नाराजगी में ठुकरा दिया था ऑफर
वह लिखते हैं कि शपथ का क्रम बदलवाने में गुजरात हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एमपी ठक्कर का हाथ था। जस्टिस पाठक और जस्टिस कुलदीप सिंह, दोनों मानते थे कि जस्टिस ठक्कर ने ऐसा, अहमदी की सीनियॉरिटी के लिए करवाया था। इस घटनाक्रम से जस्टिस कुलदीप सिंह इतने नाराज हुए कि उन्होंने जज का ऑफर भी ठुकरा दिया था। लेकिन चीफ जस्टिस पाठक ने उन्हें किसी तरह मनाया था।