12 जनवरी 2018 को जब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के 4 वरिष्ठतम जजों ने प्रेस कांफ्रेंस कर तत्कालीन CJI दीपक मिश्रा पर मनमानी का आरोप लगाया था तो हंगामा मच गया था। यह पहली बार था, जब सुप्रीम कोर्ट के 4 सीनियर मोस्ट जजों ने सार्वजनिक तौर पर चीफ जस्टिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उस समय सीजेआई के बाद नंबर दो रहे जस्टिस जे. चेलमेश्वर और जस्टिस कुरियन जोसेफ भी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का हिस्सा थे। दोनों जज अब रिटायर हो गए हैं और 5 साल पुराने उस अभूतपूर्व घटनाक्रम पर चुप्पी तोड़ी है। बताया है कि आखिर क्यों प्रेस कांफ्रेंस करनी पड़ी थी।
क्या PC का कोई एजेंडा था?
जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने कहा कि प्रेस कांफ्रेंस के पीछे कोई एजेंडा नहीं था, बल्कि अनियमितताओं की तरफ ध्यान दिलाना था। तमाम फ्रंट पर सुधार की आवश्यकता थी और हमें लगा कि देश के लोगों को जानना चाहिए कि आखिर चल क्या रहा है, क्योंकि तय उन्हीं को करना था। एक स्वतंत्र नागरिक के तौर पर मैं अपने विचारों को ऑन रिकॉर्ड रखने के लिए स्वतंत्र हूं… दूसरे लोगों (अन्य तीन जजों) ने खुद प्रेस कांफ्रेंस ज्वाइन की थी।
जस्टिस चेलमेश्वर कहते हैं कि तमाम कयास लगे कि वो प्रेस कांफ्रेंस आखिर मेरे घर ही क्यों हुई थी, लोगों ने एक अलग कहानी बनाने की कोशिश की। जबकि प्रेस कांफ्रेंस में शामिल किसी भी जज को वहां जबरन नहीं लाया गया था।
जस्टिस जोसेफ ने क्या वजह बताई?
वहीं, जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि कहा कि बड़ी उम्मीदों के साथ शुरू हुई एक कहानी का अंत इसके विपरीत हुआ। मेरा मानना था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस से एक मैसेज जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया मास्टर ऑफ रोस्टर होते हैं और वही तय करते हैं कि कौन सा केस किस जज के पास जाएगा। जस्टिस जोसेफ कहते हैं कि मैं हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस रहा हूं… सुप्रीम कोर्ट में 6 साल के कार्यकाल के दौरान सिर्फ तीन बार फुल कोर्ट हियरिंग हुई, जबकि हाईकोर्ट में प्रत्येक 6 महीने में ऐसा होता था।
जस्टिस जोसेफ कहते हैं कि मुझे ऐसा लग रहा था कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद काम का बंटवारा ठीक तरीके से होगा। उस वक्त ऐसी स्थिति थी कि कई जजों को एक भी कॉन्स्टिट्यूशन बेंच लीड करने का मौका नहीं मिला और कई ऐसे जज भी थे, जो लगातार संवैधानिक पीठ की अगुवाई किए जा रहे थे। मेरे लिए यही ट्रिगरिंग पॉइंट था और प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए उकसाया।
CJI चंद्रचूड़ भी थे In-House मीटिंग का हिस्सा
इंडिया टुडे कांक्लेव (साउथ) में जस्टिस कुरियन जोसेफ ने बताया कि उस प्रेस कॉन्फ्रेंस के के बाद एक इन हाउस मीटिंग भी हुई थी, जिसमें तमाम हाईकोर्ट के वे चीफ जस्टिस भी शामिल हुए थे जो आने वाले दिनों में सीजेआई बनने की कतार में थे। मौजूदा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) भी इस मीटिंग का हिस्सा थे। इस मीटिंग में चर्चा हुई थी कि आने वाले दिनों में ऐसी परिस्थितियों से किस तरीके से बचा जा सकता। जस्टिस चंद्रचूड़ ने भी कई सुझाव दिये थे।
उम्मीद है सीजेआई चंद्रचूड़ को याद होगी अपनी बात..
जस्टिस जोसेफ कहते हैं कि उसके बाद (प्रेस कांफ्रेंस के बाद) भी मुझे कुछ खास बदलाव नहीं दिखता है। मुझे उम्मीद है कि मौजूदा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उस वक्त जो आइडियाज दिए थे वो उन्हें याद होंगे। आपको बता दें उस बहुचर्चित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस जे. चेलमेश्वर के अलावा जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल थे। जस्टिस गोगोई बाद में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी बने।
जजों ने क्या-क्या आरोप लगाए थे?
इन चारों जजों ने तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर कई आरोप लगाए थे और कहा था कि यदि सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं को बचाया नहीं गया तो देश में लोकतंत्र नहीं बचेगा। जजों ने आरोप लगाया था कि दीपक मिश्रा बिना पारदर्शिता के, केसेज का बंटवारा कर रहे हैं। जजों ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को लिखा एक पत्र भी दिखाया था। कहा था कि वे पहले भी अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं कि जूनियर जजों को संवेदनशील मसले सौंपे जा रहे हैं। लेकिन सीजेआई मिश्रा ने खत का जवाब नहीं दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ की इस प्रेस कांफ्रेंस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय का हर जज समान और स्वतंत्र है। जजों के बीच पारदर्शी तरीके से केसेज का बंटवारा किया जाता है।