सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अमल न करने का क्या असर होता है ये चीज जजों के पेंशन एरियर्स के साथ रिटायर्ड एरियर्स के भुगतान को लेकर हुई सुनवाई के दौरान देखने को मिली। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जजों को पेंशन एरियर्स के साथ रिटायर्ड एरियर्स बढ़ोतरी के बाद दिए जाए। हालांकि पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में ये बात आई कि कुछ राज्य फैसले पर अमल नहीं कर रहे हैं। जाहिर है कि कोर्ट का पारा चढ़ना ही था।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान सख्त आदेश दिया कि 24 फरवरी 2023 तक अगर हलफनामे जमा कराकर राज्यों ने ये नहीं बताया कि दोनों मदों में सारी पेमेंट की जा चुकी है तो सारे चीफ सेक्रेट्री खुद सुप्रीम कोर्ट में पेशी लगाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर देखने को मिला। एमीकस क्यूरी सिद्धार्थ भटनागर ने कोर्ट को बताया कि सारे सूबों ने फैसले को अमली जामा पहना दिया है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संजय नाथ और जस्टिस करोल की बेंच खुश हुई और सभी राज्यों की सरकारों की तारीफ की गई। सिक्किम और दिल्ली को लेकर एमीकस क्यूरी ने कहा कि दोनों ने अभी तक फैसले को लागू करने को लेकर हलफनामा जमा नहीं कराया है। उसके बाद क्या था बेंच का गुस्सा भड़क गया।

सिक्किम के वकील ने दिया था गोलमोल जवाब

जस्टिस बीआर गवई और बाकी दोनों जजों को सिक्किम के वकील ने बताया कि उन्होंने दिसंबर में ही हलफनामा जमा कराकर बता दिया था कि आदेश को क्रियान्वित किया जा चुका है। उसके बाद पांच न्यायिक अधिकारी रिटायर हुए और सभी को फैसले के मुताबिक लाभ दिया गया। लेकिन एमीकस क्यूरी ने बेंच को बताया कि सिक्किम के हलफनामे में एक नोटीफिकेशन का जिक्र है, जिसमें कहा गया है कि सारे गुणा भाग के बाद एरियर का भुगतान कर दिया जाएगा। बस फिर क्या था जजों का पारा चढ़ गया। सिक्किम के वकील से पूछा कि पैसा दे दिया गया। वकील का कहना था कि हमने हलफनामे में लिखा है कि फैसले को लागू कर दिया गया है। जजों ने फिर पूछा- पेमेंट हो गई कि नहीं। वकील से जवाब नहीं मिला तो कोर्ट ने कहा कि सरकार से निर्देश लेकर सारे एरियर की पेमेंट करवाई जाए और कोर्ट को इसकी जानकारी दी जाए।

दिल्ली सरकार को 10 दिनों का समय

दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने बेंच को बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट की रजिस्ट्री और प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज के दफ्तर के बीच फैसले को लेकर उलझाव था। बेंच ने कहा कि प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज किसी गफलत में था। वकील ने कुछ दस्तावेज दिखाकर कहा कि दिल्ली सरकार लगातार मामले को लागू कराने के लिए दबाव बना रही है। दिल्ली के वकील ने जब कह कि अब गफलत दूर हो गई है। 10 दिनों में पैसा दे दिया जाएगा तो कहीं जाकर उनकी जान छूटी। बेंच ने कहा कि आप ध्यान रखें कि आदेश पर पूरी तरह से सरकार अमल करवाए।

2012 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 1 जनवरी 1996 के बाद रिटायर होने वाले जूडिशियल अफसरों की पेंशन 3.07 गुना बढ़ा दी जाए। फैसले में कर्नाटक मॉडल का भी जिक्र था। कर्नाटक सरकार ने 2004 में न्यायिक अधिकारियों की पेंशन को लेकर फैसला लिया था। 8 अप्रैल 2004 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक मॉडल को लागू कराने का फैसला लिया था। 2012 में इसे सारे देश में लागू करने का आदेश दिया गया था।