2014 लोकसभा चुनाव से पहले जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था तो नीतीश कुमार ने इसके विरोध में एनडीए से नाता तोड़ लिया था। दस साल बाद 2024 में नीतीश कुमार मोदी की अगुआई वाली एनडीए सरकार में हिस्सेदार हैं। जेडीयू के दो सांसदों को एनडीए की तीसरी सरकार में मंत्री बनाया गया है। एक सांसद (राम नाथ ठाकुर) तो राज्यसभा के सदस्य हैं और दूसरे हैं मुंगेर से निर्वाचित राजीव रंजन उर्फ ललन सिंंह।
नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से पहले जब राजद को छोड़ एनडीए से नाता जोड़ा तो इससे पहले ललन सिंंह को जेडीयू अध्यक्ष के पद से हटा दिया था। अब उन्हें लोकसभा के 11 सांसदों को छोड़ कर एनडीए सरकार में मंत्री बनवाया है।
अगड़ी जाति (भूमिहार) से ताल्लुक रखने वाले राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह 2004 में बेगूसराय से भी चुनाव जीत चुके हैं। ललन सिंह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार में मंत्री भी रहे हैं। ललन सिंह को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबियों में गिना जाता है।
बीते साल दिसंबर में जब उन्हें जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाया गया तो ऐसी चर्चा थी कि उनकी राजद के प्रमुख लालू प्रसाद यादव से नजदीकियां बढ़ रही थीं। ललन सिंंह लोकसभा चुनाव में मुख्य रूप से नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव जीते हैं। वह अपने चुनाव प्रचार में वह नरेंद्र मोदी का रिकॉर्डेड भाषण तक इस्तेमाल किया करते थे।

अब जदयू के अन्य लोकसभा सांसदों के बारे में भी थोड़ा जान लेते हैं।
Alok Kumar Suman Gopalganj: राजनीति में आने से पहले डॉक्टर थे सुमन
67 साल के आलोक कुमार सुमन लगातार दूसरी बार चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे हैं। आलोक 2019 से पहले एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर थे। 2019 में उन्हें जदयू से टिकट मिला और वह तब भी चुनाव जीते थे। आलोक कुमार सुमन राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के गढ़ गोपालगंज से चुनाव जीते हैं।
आलोक कुमार सुमन बेहद सामान्य परिवार से आते हैं। उन्होंने बाल मजदूरी भी की है। आलोक कुमार सुमन ने इस सीट से जीत हासिल करके नीतीश कुमार के महादलित समीकरण को मजबूत किया है।
अति पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता हैं दिलेश्वर कामैत
78 साल के दिलेश्वर कामैत बिहार के कोसी इलाके से आते हैं। दिलेश्वर कामत सुपौल से दूसरी बार सांसद बने हैं। दिलेश्वर कामत भारतीय रेलवे में अफसर थे लेकिन 2008 में रिटायरमेंट के बाद वह राजनीति में आ गए और 2010 में उन्होंने जदयू के टिकट पर त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट से चुनाव जीता।
वह 2014 में भी सुपौल सीट से लोकसभा का चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें हार मिली थी। बिहार में अति पिछड़ा वर्ग की आबादी सबसे ज्यादा है और दिलेश्वर कामत इस वर्ग में जदयू के बड़े नेताओं में से एक हैं।

गंगोता जाति से आते हैं अजय कुमार मंडल
अजय कुमार मंडल भागलपुर की सीट से लोकसभा का चुनाव जीते हैं। उनकी यह लगातार दूसरी जीत है। मंडल अति पिछड़ा वर्ग में आने वाली गंगोता जाति से आते हैं। इस जाति का आधार क्षेत्र गंगा नदी के बेल्ट के आसपास है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव में गंगोता जाति के लोगों ने इस इलाके के चुनावों में अपनी निर्णायक भूमिका अदा की है। 2014 में जब बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन यहां से चुनाव हारे थे तो उन्हें गंगोता समुदाय के शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल ने हराया था।
गिरधारी यादव बांका लोकसभा सीट से तीसरी बार चुनाव जीते हैं। वह तीन बार विधानसभा का चुनाव भी जीत चुके हैं। 39 साल के सुनील कुमार कुशवाहा जाति से आते हैं और पूर्व सांसद बैद्यनाथ प्रसाद महतो के बेटे हैं। वह 2020 में वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत कर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे।
यह उपचुनाव उनके पिता की मौत की वजह से हुआ था। सुनील कुमार बेहद कम उम्र में ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। जेडीयू इस बार सुनील कुमार को पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है क्योंकि जेडीयू अपने कुर्मी-कोईरी वोट बैंक में दूसरे दलों को सेंध नहीं लगाने देना चाहती।
देवेश चंद्र ठाकुर ब्राह्मण जाति से आते हैं। वह सीतामढ़ी लोकसभा सीट से जीते हैं। वह वर्तमान में बिहार विधान परिषद के सभापति भी हैं। देवेश चंद्र ठाकुर चार बार एमएलसी रहे हैं और बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।

Lovely Anand: आनंद मोहन की पत्नी हैं लवली आनंद
शिवहर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वालीं लवली आनंद इससे पहले वैशाली लोकसभा सीट से भी चुनाव जीत चुकी हैं। वह दो बार विधायक भी रही हैं। उन्होंने चुनाव में राजद की उम्मीदवार रितु जायसवाल को हराया है। लवली आनंद पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी हैं। उनके बेटे चेतन आनंद पिछले विधानसभा चुनाव में राजद के टिकट पर शिवहर विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे लेकिन इस साल वह जदयू में शामिल हो गए थे।
कुशवाहा जाति से आने वालीं विजयलक्ष्मी देवी इस बार सिवान लोकसभा सीट से चुनाव जीती हैं। वह विधायक रमेश कुशवाहा की पत्नी हैं। विजयलक्ष्मी को इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार और सिवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब से कड़ी टक्कर मिली लेकिन इसके बाद भी वह यहां त्रिकोणीय मुकाबले में जीत हासिल करने में कामयाब रहीं।
कुर्मी समुदाय से आने वाले कौशलेंद्र कुमार चौथी बार नालंदा से चुनाव जीते हैं। वह 2009 में पहली बार इस सीट से सांसद बने थे। नालंदा नीतीश कुमार का गृह क्षेत्र है और यहां कुर्मी समुदाय की बड़ी आबादी है। नालंदा को जेडीयू की सुरक्षित सीटों में से एक माना जाता है।

पांचवी बार जीते हैं दिनेश चंद्र यादव
दिनेश चंद्र यादव पांचवीं बार लोकसभा का चुनाव जीते हैं। इस बार वह मधेपुरा सीट से जीते हैं लेकिन इससे पहले वह खगड़िया और सहरसा सीट से भी चुनाव जीत चुके हैं। दिनेश चंद्र यादव कोसी इलाके की राजनीति में एक जाना पहचाना नाम हैं। वह जेपी आंदोलन से निकले हैं।
अति पिछड़ा वर्ग के धानुक समुदाय से आने वाले रामप्रीत मंडल इस समुदाय के बड़े नेता हैं। रामप्रीत मंडल 2019 में पहली बार झंझारपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे। इस सीट पर अति पिछड़ा वर्ग की बड़ी आबादी है। मंडल ने कुछ साल पहले अयोध्या में राम मंदिर की तर्ज पर सीतामढ़ी में सीता मंदिर बनवाने की मांग की थी।
एनडीए की 9 सीटें घटी
बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार में एनडीए गठबंधन को 30 सीटें मिली हैं जबकि इंडिया गठबंधन ने 9 सीटों पर जीत हासिल की है। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली है। 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 39 सीटें जीती थी।
बिहार में एनडीए गठबंधन में बीजेपी, जेडीयू, लोक जनशक्ति (रामविलास) हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा शामिल है। जबकि इंडिया गठबंधन में राजद, कांग्रेस, वीआईपी और वाम दल शामिल हैं।
बिहार में जेडीयू ने 16 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और 12 सीटों पर जीत हासिल की है।