भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। नेहरू के राजनीतिक जीवन का कई तरीकों से विश्लेषण किए जाने के बावजूद, उनके व्यक्तित्व, व्यक्तिगत संबंधों, रुचियों, पसंद और नापसंद के बारे में बहुत कुछ अज्ञात है।

उदाहरण के लिए उन्हें पतंग उड़ाने का बेहद शौक था और वह इंग्लैंड के हैरो और कैम्ब्रिज में इसके लिए मशहूर थे, जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की थी। इसी तरह, यह किस्सा भी बहुत कम लोग जानते हैं कि नेहरू, एक बार सांसदों द्वारा खाकर फेंके गए मुर्गे की हड्डियां उठाने लगे थे।

क्या है यह किस्सा?

साल 1951 की बात है। एक रोज लोकसभा की बैठक देर रात तक चली। सांसदों के लिए रात के खाने का इंतजाम लोकसभा सचिवालय ने किया। सांसद भोजन के लिए पहुंचे। बैठकर खाने की व्यवस्था नहीं थी, बुफे स‍िस्‍टम था। यानी सांसदों को फूड स्टॉल पर जाकर अपनी प्लेट में खाना लेना था और खड़े-खड़े खाना था। खाना शुरू हुआ। खाने में चिकन भी था। देखते ही देखते नेताओं ने लॉन में चिकन की हड्डियां बिखर दी। सांसद चिकन खाकर उसकी हड्डियों को लॉन में इधर-उधर फेंकते जा रहे थे।

सुंदर से लॉन में हड्डियों की बारिश से नेहरू विचलित हो गए। वह और ज्यादा ये सब नहीं देख सकते थे। उन्होंने फौरन अपना प्लेट किसी को पकड़ाया और लॉन में पहुंच गए।

आठ वर्षों तक नेहरू के निजी सहायक के तौर पर काम करने वाले जनकराज जय बीबीस को दिए इंटरव्यू में बताते हैं, “नेहरू लॉन में फेंकी गई हड्डियों को उठाने लगे। ये सभी के लिए आश्चर्य का क्षण था। हंगामा सा मच गया और हड्डी उठाने वे लोग भी पहुंच गए, जिन्होंने ये बेवकूफी की थी। इसके बाद सभी एक-एक कर हाथ धोने बाथरूम पहुंचे। जवाहरलाल नेहरू बिना कुछ खाए वहां से चले गए।”

ऑटो में बैठकर साउथ ब्लॉक पहुंचे पीएम

एक बार प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू अपने आवास तीन मूर्ति भवन से दफ्तर जाने के लिए निकले। लेकिन कुछ दूर जाने के बाद ही उनके कार का टायर पंचर हो गया। तब प्रधानमंत्री के साथ कारों का काफिला नहीं चला करता था, न ही साथ में भारी सुरक्षाकर्मी हुआ करते थे। हालांकि एक कार साथ में थी। लेकिन सुरक्षाकर्मी नेहरू को उस कार में बैठने के लिए कहते उससे पहले पीएम सड़क पर टहलने लगे थे। इतने में एक टैक्सी चालक ‘सरदार जी’ नेहरू के पास भागता हुआ आए और उनसे निवेदन करने लगा की “हुजूर मेरी टैक्सी में चलिए।”

डॉक्टर जनकराज जय याद करते हैं कि नेहरू ने सरदार जी से कहा- “हां-हां हम तुम्हारी टैक्सी में जरूर चलेंगें।” इतना कह वह सुरक्षा की परवाह किए बिना टैक्सी में बैठ गए। टैक्सी साउथ ब्लॉक पहुंची। वहां उतरकर पीएम टैक्सी को पैसा देने के लिए अपना जेब टटोलने लगे। लेकिन नेहरू की जेब में कभी पैसा होता ही नहीं था।

नेहरू के बारे में अनोखी बातें

हैरो और कैम्ब्रिज में एक छात्र के रूप में नेहरू ‘पतंग उड़ाने’ के खेल में माहिर थे। वह भारत से बढ़िया से बढ़िया पतंग मंगवाते। उन्होंने अपने कॉलेज में पतंगबाजी को लोकप्रिय बना दिया था।

नेहरू को कानून की पढ़ाई करने की इच्छा नहीं थी। उन्होंने अपने पिता के आग्रह पर लॉ की पढ़ाई की। उनके लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र का अध्ययन करना चाहता थे। उनकी शिकायत थी कि उनके पिता ने उन्हें ‘महज वकील’ बनने के लिए मजबूर किया।

महात्मा गांधी की हत्या की सूचना पाकर जब नेहरू बिरला हाउस पहुंचे थे, तो शव देखकर फूट-फूटकर रोए थे। उसी शाम नेहरू ने रेडियो पर देश को संबोधित करते हुए ‘द लाइट हैज़ गॉन आउट ऑफ़ अवर लाइव्स..’ नामक भाषण दिया था। नेहरू ने यह भाषण बिना किसी तैयारी के दिया था। इसे अक्सर इतिहास के सबसे महान भाषणों में से एक के रूप में उद्धृत किया जाता है।

नेहरू अपने पूरे जीवन में नौ बार जेल गए। एक बार जेल में ही उन्होंने अपनी बेटी इंदिरा की शादी के लिए एक हल्के गुलाबी रंग की खादी की साड़ी बुनी थी। बाद में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी दोनों ने अपनी शादी में एक ही साड़ी पहनी।

गाजा जाते वक्त इजरायली लड़कू विमान ने घेरा

जवाहरलाल नेहरू साल 1960 में यूएन के प्लेन से गाजा गए थे। प्लेन गाजा में उतरती उससे पहले ही इजरायल के आसमान में दो इजरायली लड़ाकू विमानों ने नेहरू के जहाज को घेर लिया। भारत लौटने के बाद प्रधानमंत्री ने संसद में इस बात का जिक्र किया था। इजरायल को इस मामले को लेकर जवाब भी देना पड़ा था।

PM Nehru | GAZA
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू मई 1960 में गाजा गए थे। वह संघर्षरत क्षेत्र में तैनात यूनाइटेड नेशन इमरजेंसी फोर्स (UNEF) के सैनिकों से मिले थे, जिसमें भारतीय जवान भी शामिल थे। कर्नल ईआर ह्यूचेन ने नेहरू का स्वागत किया था। (Photo courtesy UN archives)

नेहरू गाजा क्यों गए थे, नेहरू के अधिकारी ने इजरायल पर क्या सवाल उठाए थे और इजरायल के प्रधानमंत्री ने क्या जवाब दिया था? इन सभी सवालों के जवाब जनाने के लिए फोटो पर क्लिक करें।