Jat Dalit Alliance Haryana election 2024: हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने चुनावी समीकरण जातीय समूहों को ध्यान में रखकर सेट किए थे। कांग्रेस को जाट और दलित वोटों से मदद की उम्मीद थी जबकि बीजेपी का फोकस गैर जाट ओबीसी वोटों पर ज्यादा था। कांग्रेस के पास पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के रूप में जाट और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान के रूप में दलित चेहरा था। जबकि बीजेपी के मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों ही गैर जाट जातियों से थे।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ओबीसी और प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ब्राह्मण समुदाय से आते हैं।
हरियाणा के चुनाव में जब इनेलो-बसपा और जेजेपी-आसपा (कांशीराम) गठबंधन बना तो कांग्रेस को सबसे ज्यादा डर इस बात का था कि उसके जाट और दलित समीकरण में सेंध लग सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ और ये गठबंधन कांग्रेस को बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा सके। जबकि हरियाणा में इन दोनों जातियों का मत प्रतिशत 46% के आसपास है।
इनेलो और जेजेपी को जाट मतदाताओं की और बसपा और आसपा (कांशीराम) को दलित मतदाताओं की समर्थक पार्टी माना जाता है।
हरियाणा में किस जाति की कितनी आबादी
समुदाय का नाम | आबादी (प्रतिशत में) |
जाट | 25 |
दलित | 21 |
पंजाबी | 8 |
ब्राह्मण | 7.5 |
अहीर | 5.14 |
वैश्य | 5 |
राजपूत | 3.4 |
सैनी | 2.9 |
मुस्लिम | 3.8 |
हरियाणा में 12 सीटें, जहां इनेलो-बसपा गठबंधन तीसरे स्थान पर रहा और इसके उम्मीदवारों ने जीत के अंतर से ज्यादा वोट हासिल किए, उनमें से केवल चार में कांग्रेस को बीजेपी से हार मिली जबकि आठ सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की।
इस विधानसभा चुनाव में इनेलो-बसपा और जेजेपी-आसपा (कांशीराम) का गठबंधन पूरी तरह से बेअसर रहा। पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला उचाना कलां सीट पर पांचवें नंबर पर आए जबकि पिछली बार वह यहां 47 हजार से ज्यादा वोटों से जीते थे।
चुनाव में इनेलो-बसपा गठबंधन को को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली और इनेलो के प्रधान महासचिव अभय चौटाला 15 हजार से ज्यादा वोटों से ऐलनाबाद सीट से चुनाव हार गए। जेजेपी-आसपा (कांशीराम) का खाता भी नहीं खुला।
इनेलो-बसपा को मिले ज्यादा वोट
हरियाणा में इनेलो-बसपा का वोट शेयर 5.96% रहा और यह जेजेपी-आसपा(कांशीराम) के 1.05% वोट शेयर से कहीं बेहतर था। जेजेपी ने 2019 में अपने पहले चुनाव में 10 सीटें जीती थी। जेजेपी का वोट शेयर केवल 0.9% रहा जबकि हरियाणा में पहली बार चुनाव लड़े आसपा (कांशीराम) को केवल 0.15% वोट मिले।
ऐसी सीटें जहां बीजेपी हारी और कांग्रेस जीती जबकि इनेलो-बसपा गठबंधन ने जीत के अंतर से ज्यादा वोट हासिल किए, उनमें आदमपुर, फतेहाबाद, हथीन, जुलाना, कालांवली, लोहारू, नारायणगढ़ और साढौरा शामिल थीं। ओलंपिक पहलवान विनेश फोगाट जुलाना से कांग्रेस की उम्मीदवार थीं।
ऐसी सीटें जहां पर कांग्रेस हारी और बीजेपी जीती और इनमें इनेलो-बसपा गठबंधन को जीत के अंतर से अधिक वोट मिले – असंध, बरवाला, नरवाना और यमुनानगर शामिल हैं। जेजेपी-आसपा (कांशीराम) को केवल एक सीट डबवाली में जीत के अंतर से ज्यादा वोट मिले, जहां इनेलो के आदित्य देवीलाल ने कांग्रेस के उम्मीदवार अमित सिहाग को 610 वोटों के मामूली अंतर से हराया। यहां से जेजेपी उम्मीदवार दिग्विजय सिंह चौटाला को 35,261 वोट मिले।
गिरता गया इनेलो का ग्राफ
पिछले कुछ विधानसभा चुनावों से इनेलो का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद बसपा की प्रमुख मायावती ने इनेलो पर हमला बोला और कहा कि जाट समाज के जातिवादी लोगों ने विधानसभा चुनाव में बसपा को वोट नहीं दिया। मायावती ने यह भी कहा है कि आगे से किसी भी राज्य में क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन नहीं किया जाएगा।
पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में इनेलो को मिली सीटें
राजनीतिक दल | विधानसभा चुनाव 2009 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट |
कांग्रेस | 40 | 15 | 31 |
बीजेपी | 4 | 47 | 40 |
इनेलो | 31 | 19 | 1 |
जेजेपी | – | – | 10 |
हजकां(बीएल) | 6 | 2 | – |
अन्य | 9 | 7 | 8 |
दूसरी ओर जेजेपी की हालत इस चुनाव में बहुत पतली हो गई है। लोकसभा चुनाव में भी जेजेपी एक प्रतिशत से कम वोट ला पाई थी। इनेलो और जेजेपी पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के नाम पर वोट मांगती हैं और दोनों ही मूल रूप से हरियाणा की पार्टियां हैं और इस राज्य से बाहर इनका कोई आधार नहीं है।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इन पार्टियों के प्रदर्शन के बाद इनके राजनीतिक भविष्य को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।