Mamata Banerjee Congress Expulsion: पश्चिम बंगाल में कांग्रेस बड़ी उलझन में दिखाई दे रही है। पार्टी के सामने सवाल आ खड़ा हुआ है कि अगर उसने ममता बनर्जी को पार्टी से बाहर नहीं किया होता तो क्या राज्य में पार्टी की हालत इतनी खराब होती। बताना होगा कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की राजनीतिक हालत वाकई बेहद खराब है।

ममता बनर्जी को लेकर यह सवाल पश्चिम बंगाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य के एक बयान के बाद खड़ा हुआ है। भट्टाचार्य ने सोमेन मित्रा को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि जब वह 1997 में पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष थे तो कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने ममता को पार्टी से बाहर निकालने के लिए उन पर दबाव बनाया था जबकि वह ऐसा नहीं चाहते थे।

भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी अभी भी अपने इस फैसले की कीमत चुका रही है।

ममता बनर्जी उस समय पश्चिम बंगाल युवा कांग्रेस की अध्यक्ष थीं और उन्होंने सड़कों पर वाम दलों की सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। तब उन्हें पूरे पश्चिम बंगाल में पहचाना जाने लगा था।

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दिल्ली चुनाव में किस ओर जाएंगे मुस्लिम-दलित मतदाता। (Source-PTI)

ममता के नेतृत्व में लगातार जीती टीएमसी

ममता बनर्जी एक वक्त में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की बड़ी नेता थीं। कांग्रेस से अलग होने के बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) बनाई और वामपंथी पार्टियों को बंगाल की सत्ता से बाहर कर दिया। ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी बंगाल में लगातार तीन चुनाव जीत चुकी है। जबकि कांग्रेस ने बंगाल में वाम दलों के साथ गठबंधन करके पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन फिर भी कांग्रेस और वामपंथी दलों को चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थी।

ममता बनर्जी को कमान देने की वकालत

याद दिलाना होगा कि कुछ दिन पहले ही इस तरह की राजनीतिक चर्चा जोर-शोर से सामने आई थी कि ममता बनर्जी विपक्षी इंडिया गठबंधन की स्वाभाविक नेता हैं क्योंकि उन्होंने पश्चिम बंगाल में बीजेपी को सत्ता में नहीं आने दिया जबकि इसकी तुलना में कांग्रेस संघर्ष कर रही है और हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा है।

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और ममता बनर्जी के आलोचक अधीर रंजन चौधरी को कांग्रेस ने पद से हटा दिया था। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का मौजूदा नेतृत्व राज्य में 2026 के विधानसभा चुनाव के लिए टीएमसी से समझौता करना चाहता है।

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दिल्ली में पिछले दो चुनाव में नहीं खुला था कांग्रेस का खाता। (Source-ANI/PTI)

अगले चुनाव में टीएमसी के साथ जाने की ख्वाहिश

कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “वामपंथी दलों के साथ सीट बंटवारे से हमें नुकसान हुआ है। हाल के चार उपचुनाव में हम अकेले चुनाव लड़े लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। चूंकि हम इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं, ऐसे में हमारे कुछ नेता मानते हैं कि हमें अगले विधानसभा चुनाव में टीएमसी के साथ जाने के बारे में सोचना चाहिए।”

भट्टाचार्य ने कहा, “सोमेन मित्रा ने मुझसे कहा कि सीताराम केसरी (जो उस वक्त कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे) ने उन्हें फोन कर ममता बनर्जी को पार्टी से बाहर करने के लिए कहा था। मैंने उनसे कहा कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए लेकिन मित्रा पर बहुत दबाव था।”

सोमेन मित्रा और ममता बनर्जी के बीच राजनीतिक लड़ाई थी। ममता ने राज्य में कांग्रेस के कई नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था और आरोप लगाया था कि वह लेफ्ट के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि वे तरबूज जैसे हैं- यानी ऊपर से हरे और अंदर से लाल। इसका मतलब था कि वे वाम दलों के समर्थक हैं।

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दलित चेतना और प्रतिरोध का प्रतीक बना नीला रंग। (Photos: Bhupendra Rana/Express; @RahulGandhi)

1998 में ममता ने बनाई टीएमसी

1997 में कांग्रेस का एक बड़ा अधिवेशन कोलकाता में होना था लेकिन ममता बनर्जी ने इससे पहले एक बड़ी रैली आयोजित की थी। कांग्रेस को यह नागवार गुजरा और ममता को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। यह कहा जाता है कि ममता बनर्जी ऐसा ही चाहती थीं कि उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया जाए बजाय इसके कि वह खुद पार्टी छोड़कर जाएं।

इसके कुछ महीने बाद बाद 1 जनवरी, 1998 को ममता बनर्जी ने टीएमसी बनाई और कांग्रेस के कई नेता उनके साथ चले गए। 2008 में सोमेन मित्रा ने भी कांग्रेस छोड़ दी और अपनी पार्टी बनाई थी लेकिन बाद में इसका टीएमसी में विलय कर दिया था। 2011 में ममता बनर्जी ने पहली बार पश्चिम बंगाल में सरकार बनाई।

कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भट्टाचार्य का यह बयान पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है क्योंकि टीएमसी के साथ कांग्रेस के रिश्तों को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता।

‘कांग्रेस को कमजोर कर रही टीएमसी’

कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा, “टीएमसी जानबूझकर कांग्रेस को इंडिया गठबंधन के अंदर कमजोर करने की कोशिश कर रही है क्योंकि उसके नेता गठबंधन की कमान ममता बनर्जी को देने की बात कर रहे हैं।” दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के नेताओं का एक वर्ग अब टीएमसी को लेकर नरम दिख रहा है।

भट्टाचार्य के बयान पर टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि यह बयान ममता बनर्जी की सफलता का गवाह है। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी कांग्रेस से अलग होकर कामयाब नहीं हो सके थे लेकिन ममता बनर्जी ने ऐसा कर दिखाया है।

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