आम आदमी पार्टी से राज्यसभा के सांसद राजिंदर गुप्ता का कहना है कि सीमाई इलाका होने व अन्य ऐतिहासिक कारणों से पंजाब महज एक राज्य नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संपत्ति है। गुप्ता ने कहा कि सबसिडी और मुफ्त शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी चीजें पूरी दुनिया की लोकतांत्रिक सरकारें देती हैं। राज्य का रुतबा मां जैसा होता है कि जिसके पास नहीं है, उसे संसाधन देती है। पंजाब को लेकर पिछले दिनों के घटनाक्रम पर उन्होंने कहा कि इस सूबे का मिजाज अलग है, और यह अपने तरीके से प्रतिक्रिया देता है। गुप्ता ने कहा कि नए श्रम कानून आने वाले समय में रोजगार के पूरे आंकड़े बदल सकने की क्षमता रखते हैं। नई दिल्ली में राजिंदर गुप्ता के साथ कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की बातचीत के चुनिंदा अंश।
आपने विभिन्न दलों की सरकारों में कई पदों को संभाला है। बतौर सांसद राज्यसभा में प्रवेश करने का अनुभव कैसा रहा?
राजिंदर गुप्ता: अपने देश के लिए और खास कर पंजाब के लिए काम करने का मौका मिले तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। अपने गुरु सुरजीत सिंह बरनाला को याद रखता हूं कि किस तरह राजनीतिक विचारधारा की लक्ष्मण-रेखा को भी धुंधला करके देश के लिए काम किया जा सकता है। देश के प्रति आस्था है। यह तो वक्त की धारा बताएगी कि मैं अपने हिस्से का कितना काम कर पाया हूं।
राजनीति ही क्यों?
राजिंदर गुप्ता: मैं इसे राजनीति नहीं कहूंगा। पंजाब कोई साधारण राज्य नहीं है। यह एक सीमाई राज्य है, जिसकी अपनी समस्याएं और मुद्दे हैं। संसद के मंच से मैं इस राज्य की बात कर सकूं, राष्ट्रहित की बात कर सकूं तो मेरा मानना है कि मेरी बात जरूर सुनी जाएगी। यह एक ऐसा मंच है जहां से आप मुद्दों की फरियाद भी कर सकते हैं और उसके लिए वकालत भी कर सकते हैं। पिछले पचास वर्षों में पंजाब ने क्या कुछ अनुभव नहीं किया। इसने आतंकवाद भी देखा और शांति भी देखी। हरित क्रांति व समृद्धि भी देखी। वह राज्य जो कभी हिंदुस्तान की शान हुआ करता था, क्या वह दौर वापस लाया जा सकता है? मैं नहीं जानता हूं कि कितना कामयाब हो पाऊंगा। लेकिन मेरा प्रयास ठीक रहा, भागीदारी हुई तो मैं समझूंगा कि पंजाब के काम आया हूं।
आपकी जैसी छवि रही है, आपका स्वागत किसी भी राजनीतिक दल में हो सकता था। फिर आम आदमी पार्टी ही क्यों?
राजिंदर गुप्ता: इस बात के लिए मैं केजरीवाल साहब और भगवंत मान साहब को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने ये फैसला लिया।
कैसे संभव हुआ यह?
राजिंदर गुप्ता: मैं इसे किसी पार्टी विशेष से नहीं, पंजाब से जोड़ना चाहता हूं। पंजाब में भी मालवा से जोड़ना चाहता हूं। यहां से मेरा भावनात्मक और आध्यात्मिक रिश्ता है। एक बात कहना चाहूंगा कि आम आदमी पार्टी ने एक ही समय में पंजाब से दो बनिया नेता दिए। एक मालवा से और एक माझा से। कांग्रेस से मेरा लंबा नाता रहा है, लेकिन उन्होंने पचास वर्षों में सिर्फ दो ही बनिया नेता दिए-संतराम सिंगला और सुरिंदर सिंगला।
भारतीय राजनीति कल्याणकारी राज्य के रूप में व्यवहार करती दिखना चाहती है, जिसका मकसद है जनता का भला करना। आप एक कारोबारी हैं, जिनका मकसद मुनाफा कमाना होता है। इस विरोधाभास को कैसे संतुलित करते हैं आप?
राजिंदर गुप्ता: मैंने अपनी शुरुआत बहुत छोटे कामों से की है। बहुत गुरबत देखी है। मेरा नाता एक साधारण संयुक्त परिवार से है। संपत्ति का सृजन करना एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इस बात को मानना मुश्किल है कि मुझे कभी भी मुनाफे में दिलचस्पी नहीं थी। मेरा कारोबार सफल है, लेकिन मैं सफल उद्यमी नहीं हूं।
मतलब आप दूसरी भूमिका आराम से निभा सकते हैं?
राजिंदर गुप्ता: मैंने उन शख्सियतों के साथ काम किया, जिन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया है। पंजाब में धर्मनिरपेक्ष शांति का माहौल बनाया। देश में जब आर्थिक उदारवाद आ रहा था, उस समय मुझे दक्षिण और वाम दोनों की राजनीति को नजदीक से देखने का मौका मिला। आतंकवाद को भी करीब से देखा। मेरे दिमाग में चार मुद्दे बड़े साफ थे, जिसे हम न्यूनतम आर्थिक कार्यक्रम कहते हैं। गरीब, किसान, मजदूर और छोटे उद्यमियों पर आंच नहीं आनी चाहिए, बाकी मुल्क जो मर्जी करे। इतना सब कुछ होने के बाद भी पंजाब में जो शांति व सद्भाव आया उस पर हम सबको नाज होना चाहिए। खासकर मालवा में जो हिंदू-सिख सद्भाव रहा, उसका उदाहरण पूरी दुनिया में कहीं नहीं है। इसके साथ यहां अलग-अलग दलों की सरकारें भी बनीं।
जिस पार्टी से आप जुड़े उस पर खालिस्तानियों से पैसे लेने के भी आरोप लगे।
राजिंदर गुप्ता: देखिए, जिस चीज का मुझे ज्ञान नहीं है, उस पर मैं किसी तरह की आलोचनात्मक टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं।
पंजाब में भगवंत मान सरकार का किस तरह मूल्यांकन करेंगे, जब उसके कार्यकाल के साढ़े तीन साल से ज्यादा पूरे हो चुके हैं? दिल्ली के अनुभव को ध्यान में रख कर बताइएगा कि क्या राज्य में आम आदमी पार्टी दोबारा सरकार बना पाएगी?
राजिंदर गुप्ता: राजनीति में कल क्या होगा यह कोई नहीं कह सकता है। लेकिन मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि इन्होंने अपनी पूरी कोशिश की है। और अच्छा करने की गुंजाइश तो हमेशा रहती है।
क्या आपको लगता है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ठीक काम कर रही है?
राजिंदर गुप्ता: मेरा तो मानना है कि सरकार अच्छा काम कर रही है। उम्मीद है कि और भी अच्छा काम हो सकता है आने वाले समय में।
आपने लोक कल्याणकारी सरकार की बात कही। इसी के बरक्स मुफ्त की रेवड़ियों पर भी बहस चल रही है। आम आदमी पार्टी ने मुफ्त बिजली-पानी की परिपाटी शुरू की जिसे कई सरकारों ने आजमाया। अभी बिहार में महिलाओं के ‘दस हजारी’ वोट को लेकर चर्चा हुई। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने महिलाओं के खाते में एक हजार रुपए डालने का वादा किया था, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है। क्या आपको लगता है कि इस तरह की कोशिशें मतदाताओं को रिश्वत देने के समान हैं?
राजिंदर गुप्ता: देखिए, राज्य का रुतबा मां के समान होता है। जिसके पास कुछ नहीं होता है, मां उसका ख्याल रख कर उसे संसाधन देती है। आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के कल्याण के लिए राज्य की मदद से अहसमत नहीं हुआ जा सकता है। ऐसा दुनिया भर में होता है। हां, राज्य के देने के तरीके पर किंतु-परंतु किया जा सकता है, टिप्पणी की जा सकती है।
पंजाब सरकार ने अभी तक क्यों नहीं दिए एक हजार रुपए? क्या अगले चुनाव से पहले यह रकम देगी सरकार?
राजिंदर गुप्ता: यह फैसला तो मुख्यमंत्री साहब या केजरीवाल साहब ही कर सकते हैं। मैं एक और बात कहना चाहता हूं। दिल्ली जैसे शहर में शिक्षा, स्वास्थ्य मुफ्त नहीं हो, बिजली-पानी रियायती नहीं हो तो क्या मामूली तनख्वाह पाने वाले लोगों की गुजर-बसर हो पाएगी? मजदूर, कारीगर क्या इतनी तनख्वाह पाते हैं कि वे सभी खर्च अपनी आमदनी से उठा सकें?
सरकार सबसिडी और मुफ्त देने के बजाय जीवन निर्वाहक तनख्वाह देने की नीति पर क्यों नहीं चलती है? इसी के संदर्भ में नए श्रम कानूनों पर बात करना चाहूंगा। क्या आपको लगता है कि इससे सकारात्मक बदलाव आएगा?
राजिंदर गुप्ता: दलगत विचारधारा से परे जाकर मैं ये कहना चाह रहा हूं कि कौशल का तनख्वाह से बड़ा भारी ताल्लुक है। लोग पढ़ाई पूरी कर लेते हैं, लेकिन उनके पास रोजगार नहीं है। आज के समय में पंद्रह हजार तक की नौकरी मिल रही है। हमारे देश के लोगों में उत्साह बहुत है, लेकिन जो हुनर की बात है उस पर आजादी के बाद से ही पर्याप्त काम नहीं हुआ है। औपनिवेशिक शिक्षा ने ‘बाबू’ बनने लायक मानसिकता तैयार की। जैसा हुनर जर्मनी ने, जापान ने अपने नागरिकों को दिया, हमें अब उस पर ध्यान देना चाहिए।
नया श्रम कानून इस क्षेत्र में कारगर होगा?
राजिंदर गुप्ता: इसमें स्वास्थ्य का मुद्दा भी उठाया गया है, जो बहुत अहम है। नौकरी और निजी जीवन के संतुलन की भी बात हो रही है। मैं जो बोल रहा हूं, शायद उसे लेकर तथ्य गलत हो सकते हैं, लेकिन मेरी सोच गलत नहीं है। जितनी बेरोजगारी की बात हो रही है, उतनी बेरोजगारी है नहीं। एक बड़ा तबका असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहा है। ये पांच करोड़, दस करोड़ हो सकते हैं। अब अगर इस असंगठित क्षेत्र को संगठित किया जाए तो तस्वीर बदल जाएगी। प्राविडेंट फंड, ग्रेच्युटी, स्वास्थ्य सुरक्षा दी जाए तो मैं समझता हूं कि आने वाले समय में नया डेटा निकल कर आएगा। आज हमें जो बेरोजगार दिख रहे हैं, कल उनके रोजगार दिखेंगे। आज जिनकी कमाई नहीं दिख रही है, कल उनकी कमाई दिखेगी। हो सकता है कि गरीबी रेखा से नीचे आने वाली जनसंख्या, सबसिडी, मुफ्त सुविधाएं इन सभी चीजों के पूरे आंकड़े बदल जाएं। इससे एक अलग किस्म का हिंदुस्तान सामने आ सकता है।
पंजाब सरकार पर आरोप है कि उसे बाहरी लोग चला रहे हैं। पार्टी में सामूहिक तौर पर निर्णय नहीं लिए जाते हैं। एक नेता का वर्चस्व है।
राजिंदर गुप्ता: मुझे इस आरोप का कोई अंदाजा नहीं है। हम तो उन्हीं मंत्रियों के पास जाते हैं, जिन्हें जनता ने चुना है। जनता अपने जनतांत्रिक अधिकारों के लिए उन्हीं के पास जा रही है, जिन्हें उन्होंने चुना है। जहां तक सामूहिकता की बात है तो बड़े राजनीतिक दलों में भी एक सर्वमान्य नेता के फैसले को माना जाता है।
आम आदमी पार्टी को आप बड़ी पार्टी मानते हैं या छोटी पार्टी?
राजिंदर गुप्ता: पंजाब में 94 विधायक हैं जो अपने-आप में इतिहास है।
इतिहास तो दिल्ली में भी बना था।
राजिंदर गुप्ता: जी, जनता के फैसले का सम्मान है।
आम आदमी पार्टी को उसके जन्म के साथ ही राष्ट्रीय विकल्प के रूप में देखा गया। लेकिन उसने जल्द ही इस स्थिति को गंवा दिया। अब हालत यह है कि अरविंद केजरीवाल को चंडीगढ़ में रहना पड़ रहा है।
राजिंदर गुप्ता: लोकतांत्रिक राजनीति में जनता का मन किधर जाएगा, इसे लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता है। जनमत का सम्मान कर उसे स्वीकारना चाहिए।
पंजाब पर नशे का एक बड़ा धब्बा है। यहां के नशे पर बनी फिल्मों की कतार लग गई है। पंजाब कैसे काबू पाए इस पर?
राजिंदर गुप्ता: नशे की समस्या पूरी दुनिया की समस्या है। यह सिर्फ पंजाब नहीं अमेरिका, कोलंबिया और वेनेजुएला के लिए भी चुनौती है। सिर्फ पंजाब से नशे का इतना बड़ा संजाल नहीं बन सकता है। इस मुद्दे पर पंजाब को राजनीतिक औजार बना लिया गया है। इससे पंजाब की आन को धक्का लगा है। पंजाब के युवा हमारी राष्ट्रीय संपत्ति हैं। वे भारतीय फौज से लेकर पूरी दुनिया में काम कर रहे हैं और नाम कमा रहे हैं। इसका हल निकालना पूरे देश की जिम्मेदारी है। जिस तरह से फिल्मों व अन्य मंचों पर पंजाब के युवाओं की साख गिराई जा रही है तो यह कोई बहुत बड़ी साजिश भी हो सकती है।
पिछले दिनों पंजाब विश्वविद्यालय के सीनेट चुनाव में हस्तक्षेप से लेकर चंडीगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था तक को बदलने की कोशिश हुई। ये सब क्यों हो रहा है?
राजिंदर गुप्ता: मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं।
चंडीगढ़ किसका? पंजाब या हरियाणा का?
राजिंदर गुप्ता: अन्य राज्यों के विभाजन में जो पैमाना रहा, वही होना चाहिए। उस मापदंड से देखेंगे तो चंडीगढ़ पंजाब का ही है।
अरविंद केजरीवाल पर आरोप है कि वे अपने दोस्तों का साथ जल्द छोड़ देते हैं। उनके साथ आपका अनुभव कैसा रहा?
राजिंदर गुप्ता: मेरी उनसे बहुत कम मुलाकात हुई है। जब भी मुलाकात हुई राज्य की भलाई के संदर्भ में ही बातें हुईं। मेरी उनसे इतनी मुलाकात ही नहीं हुई है कि मैं उनके निजी स्वभाव के विषय में बता पाऊं।
कांग्रेस के एक नेता, जो बाद में भाजपा में शामिल हुए और मंत्री बने, उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्यसभा का टिकट बिकता है। उन्होंने पंद्रह साल पहले सौ करोड़ की कीमत भी बताई थी। क्या ऐसा है?
राजिंदर गुप्ता: आजादी के समय महात्मा गांधी के साथ बिरला खड़े थे। पूरी दुनिया में ऐसे उदाहरण हैं जहां राजनेताओं को उद्योगपतियों का साथ मिला। सत्ता और समृद्धि का हमेशा से नाता रहा है। अगर मैं कहूं कि कल को पार्टी मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं लगाएगी तो मैं झूठ बोल रहा हूं। अभी तक मुझसे कुछ कहा नहीं गया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आगे भी नहीं कहा जाएगा। लेकिन अभी तक मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे ऐसा कुछ नहीं कहा गया है।
राज्यसभा में बौद्धिकता और राजनीति का गठजोड़ होता है। आपके पास जनादेश नहीं है, लेकिन पार्टी का समर्थन है। क्या इस स्थिति से राजनीतिक मकसद में फर्क पड़ता है?
राजिंदर गुप्ता: मैं 18 वर्षों से राजनीति में हूं। कैबिनेट मंत्री भी रहा हूं। भाजपा और अकाली दल की सरकारों में भी रहा। मेरी एक ही इच्छा है कि पंजाब के हित में बात करूं। इसकी आन-बान और शान वापस आए।
