जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में सोमवार को आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए और पांच घायल हो गए। प्रारंभिक रिपोर्टों के मुताबिक, सेना के गश्ती दल पर दो दिशाओं से तब गोलीबारी हुई थी जब काफिला कठुआ शहर से 124 किमी दूर बदनोटा गांव में जेंदा नाला के पास पहुंचा था। इस हमले में शहीद हुए पांचों जवान उत्तराखंड से थे।

मारे गए लोगों की पहचान उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कंडाखाल गांव के नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत, पौरी गढ़वाल के पापरी गांव के हवलदार कमल सिंह, टिहरी गढ़वाल के चौंड जसपुर के नायक विनोद सिंह और पौरी गढ़वाल के डोबरिया गांव के राइफलमैन अनुज नेगी और उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के थाटी डागर गांव के राइफलमैन आदर्श नेगी के रूप में की गई है।

आदर्श नेगी के परिवार ने दो महीने में खोये दो बेटे

26 वर्षीय आदर्श नेगी के भाई मेजर प्रणय नेगी की भी हाल ही में मौत हुई थी। राइफलमैन के चाचा बलवंत सिंह नेगी ने कहा, “अभी दो महीने पहले हमने एक बेटे को खो दिया था जो देश की सेवा करते हुए चला गया। वह मेजर था। अब जम्मू-कश्मीर में एक काफिले पर आतंकवादी हमले में पौड़ी-गढ़वाल क्षेत्र के पांच सैनिक मारे गए, जिसमें आदर्श समेत हमारे क्षेत्र के पांच लोगों की मौत हो गई है।”

बलवंत नेगी के भतीजे मेजर प्रणय नेगी लेह में सेवारत थे और 30 अप्रैल को उनकी मृत्यु हो गई थी। आदर्श नेगी 2018 में गढ़वाल राइफल्स में शामिल हुए थे। उनके परिवार में उनके किसान पिता, मां, भाई और बड़ी बहन हैं। उनका भाई चेन्नई में काम करता है जबकि बड़ी बहन की शादी हो चुकी है।

आदर्श नेगी के पिता दलबीर सिंह नेगी ने कहा, “हमने उनसे आखिरी बार रविवार को बात की थी। उसने कहा कि वह खाना खा रहा है और ड्यूटी पर जा रहा है। आखिरी बार वह एक शादी में शामिल होने के लिए गांव आया था और मार्च में चला गया था।”

‘मां बारिश में भीगने से बचना’

हमले में शहीद हुए राइफलमैन अनुज नेगी का परिवार रखती खाल विकासखंड के डाबरिया गांव में रहता है। उनके दो भाई-बहन है। पिता भारत सिंह वन विभाग में दैनिक श्रमिक के पद पर काम करते हैं जबकि मां सुमित्रा देवी गृहणी हैं। ग्राम प्रधान नंदन सिंह ने बताया कि शहीद अनुज की शादी नवंबर 2023 में ही हुई थी।

अनुज लगातार फोन पर अपने परिवार का हाल लेते रहते थे। तीन दिन पहले ही मां सुमित्रा देवी से फोन पर बातचीत करते हुए उन्होंने कहा था, “मां इन दिनों बारिश में भीगने से बचना और खेतों की तरफ तो बिल्कुल मत जाना।”

टीवी पर खबर देख कर भी पिता को नहीं हुआ था अनुज की मौत का अंदाजा

टिहरी के चौंड-जसपुर निवासी विनोद सिंह (33) ने भी कठुआ में हुए आतंकी हमले में बलिदान दिया है। विनोद 2011 में सेना में भर्ती हुए थे। 33 वर्षीय विनोद सिंह 10 वीं गढ़वाल राइफल में तैनात थे। उनका परिवार भानियावाल देहरादून में रहता है। वह घर के इकलौते बेटे थे। विनोद का चार साल का बेटा और चार माह की बेटी है। डेढ़ महीने पहले ही वह अपने घर भानियावाला आए थे। विनोद सिंह के पिता वीर सिंह भंडारी और चाचा शूरवीर सिंह भी सेना से रिटायर हुए हैं।

जब कठुआ में आतंकी हमले की खबर चैनलों पर प्रसारित हो रही थी तो अनुज के पिता भी टीवी देख रहे थे लेकिन उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं हुआ कि शहीदों में उनके बेटे का नाम भी शामिल है। देर रात टिहरी जिला प्रशासन ने उन्हें इस बात की जानकारी दी।

शहीद अनुज के पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “देश की रक्षा के लिए मेरे इकलौते बेटे ने बलिदान दिया है। वह कम उम्र में ही देश को समर्पित हो गया। परिवार को इसका दुख है लेकिन इस बात का गर्व भी है कि हमारा बेटा देश को समर्पित हुआ है।”

बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे सूबेदार आनंद

रुद्रप्रयाग जखोली ब्लाक के कांडा-भरदार निवासी नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत ने भी देश के लिए बलिदान दिया है। 41 वर्षीय जवान का परिवार देहरादून में रहता है लेकिन वह जब भी छुट्टियों में घर आते थे तो अपने पैतृक गांव कांडा जाना नहीं भूलते थे। आनंद को बचपन से ही सेना में जाने का सपना था और इंटर पास करने के बाद वह सेना में भर्ती हो गए।

होली से पहले जब आनंद सिंह एक महीने के लिए छुट्टी पर आए थे तो पत्नी बच्चों सहित अपने गांव भी गए थे। गांव से लौटते समय आनंद ने गढ़वाली लोकगीत गाते हुए एक वीडियो बनाया है जिसे उनकी पत्नी ने सोशल मीडिया पर भी अपलोड किया है।

वीडियो में वह गा रहे हैं, “दगड़िया भोल कख तू कख मी, आखिर फिर भेंटी जा आज।” जिसका मतलब है कि कल आप कहां रहोगे और मैं कहां इसलिए आज ही मुलाक़ात कर लो।

शहीद आनंद के भाई कुंदन सिंह कहते हैं, “मैंने अपना छोटा भाई जरूर खोया है लेकिन देश के लिए उसके बलिदान पर गर्व की अनुभूति हो रही है। गांव ही नहीं, पूरे देश को उस पर गर्व है।”

उसी दिन सुबह की थी परिवार को वीडियो कॉल

हमले में शहीद हुए हवलदार कमल सिंह घर के इकलौते बेटे थे। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटियाँ, मां और दादी हैं। दो महीने की छुट्टी पर घर आए कमल मई में ही वापस लौटे थे। सोमवार दोपहर को ही उन्होंने पत्नी और बच्चों को वीडियो कॉल की थी जिसके बाद रात को जब पत्नी रजनी को पति की शहादत की खबर मिली तो वह बेसुध हो गयी। कमल के पिता का जब निधन हुआ था तब वह मात्र 5 साल के थे।

रक्षामंत्री ने सैनिकों की शहादत पर जताया था दुख

राजनाथ सिंह ने एक्स पर लिखा था, “कठुआ के बदनोटा में एक आतंकवादी हमले में हमारे पाँच बहादुर सैनिकों की मौत पर मुझे गहरा दुख है। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। इस कठिन समय में देश उनके साथ मज़बूती से खड़ा है। आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए जा रहे हैं और हमारे सैनिक क्षेत्र में शांति और व्यवस्था कायम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”