वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद राजीव शुक्ला ने बुधवार (13 दिसंबर) को राज्यसभा में बोलते हुए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ से चुटकी ली। शुक्ला ने जगदीप धनखड़ से कहा कि सारी मलाई तो आप ही खा रहे हैं। कांग्रेस सांसद की बात पर उपराष्ट्रपति मुस्कुराते नजर आए।
दरअसल, 13 दिसंबर को राजीव शुक्ला ने राज्यसभा में सोशल मीडिया के जरिए किए जा रहे डिजिटल धोखाधड़ी का मुद्दा उठाया था। कांग्रेस नेता को बोलने के लिए आमंत्रित करते हुए राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “…आप जरा सोशल इंजीनियरिंग पर भी बात कीजिए, जिससे इन मुद्दों (डिजिटल धोखाधड़ी) से निपटा जा सके।”
इसके बाद राजीव शुक्ला ने डिजिटल धोखाधड़ी पर बोलना शुरू किया। उनकी मुख्य चिंता थी कि UPI के बढ़ते उपयोग के साथ धांधली भी बढ़ गई है, जिससे निपटने के लिए कुछ उपाय किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “वित्त मंत्री जी यहां बैठी हैं… जिस तरह से लोगों को बेवकूफ बना उनके पैसे लूटे जाते हैं… किसी के तीस हजार, किसी के चालीस हजार, किसी के एक लाख, किसी के डेढ़ लाख… लोग परेशान हैं। इसपर आप कुछ न कुछ करिए। यह बहुत जरूरी है। इसलिए मैं यह विषय यहां उठा रहा हूं।”
बात खत्म करने से पहले
राजीव शुक्ला ने अपना वक्तव्य खत्म करने से पहले जगदीप धनखड़ को सोशल इंजीनियरिंग वाली बात पर जवाब दिया। शुक्ला ने कहा, “सभापति जी ने सोशल इंजीनियरिंग की बात की। सोशल इंजीनियरिंग का इनसे बड़ा उदाहरण कौन हो सकता है। राजस्थान के जाट होने के बावजूद उपराष्ट्रपति हो गए। सारी मलाई तो आप ही खा रहे हैं…सोशल इंजीनियरिंग की। दूसरी कौन खा रहा है? उपराष्ट्रपति तक कोई पहुंचा वहां से? माननीय मिर्धा जी डिप्टी चेयरमैन तक पहुंचे थे। आप तो यहां से वहां पहुंच गए तो सोशल इंजीनियरिंग का आप से अच्छा उदाहरण और कौन हो सकता है।”
शुक्ला की बात सुनकर धनखड़ हंसते रहे। इतने में भाजपा सांसद घनश्याम तिवाड़ी खड़े हुए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लीडरशिप की तारीफ करते हुए कहा, “हीरे के पारखी तो नरेंद्र मोदी थे, जिन्होंने आपको यहां पर बैठा दिया। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि आप शेखावाटी के हैं और यहां तक पहुंच गए हैं।”
जगदीप धनखड़ ने मुस्कुराते हुए कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी को कहा, “मैं आपको राजस्थान का ही मानता हूं। आप वहीं से चुनकर आए हैं। आप कुछ कहना चाहेंगे, मुझ पर मक्खन खाने का आरोप लगा है… मुझे लगता है प्रमोद तिवारी जी मुझे प्रोटेक्शन देंगे।” उपराष्ट्रपति की बात सुनकर प्रमोद तिवारी खड़े हुए और सम्मानपूर्वक कहा कि सर इस बात को अन्यथा ही लिया जाए तो ठीक रहेगा।
जगदीप धनखड़ की यात्रा
पिछले साल भारतीय जनता पार्टी ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए जगदीप धनखड़ का नाम घोषित करते हुए उन्हें “किसान पुत्र” बताया था। धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में हुआ था।
उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव किठाना में की और बाद में छात्रवृत्ति पर सैनिक स्कूल (चित्तौड़गढ़) में दाखिला लिया। स्कूल के दिनों में क्रिकेट खेलने के अलावा धनखड़ की अध्यात्म और ध्यान में भी गहरी रुचि थी। सैनिक स्कूल से निकलने के बाद उन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज से बीएससी (ऑनर्स) किया। हालांकि पेशा उन्होंने वकालत को बनाया। राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उनका लंबा कानूनी करियर रहा है।
राजनीतिक यात्रा की शुरुआत जनता दल के साथ
जगदीप धनखड़ ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत जनता दल के साथ की थी। 1989 में बोफोर्स घोटाले के साये में हुए लोकसभा चुनाव में वह राजस्थान के झुंझुनू से सांसद बने। प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल में थोड़े समय के लिए संसदीय कार्य राज्य मंत्री रहे।
एक राजनेता के रूप में अपनी शुरुआती यात्रा में वह देवीलाल से प्रभावित थे। बाद में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस में चले गए। एक्टिव पॉलिटिशियन के तौर पर उन्होंने राजस्थान में जाट समुदाय को ओबीसी का दर्जा देने सहित अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित मुद्दों का समर्थन किया था।
बीजेपी में आने के बाद 15 साल से भी कम में बन गए उपराष्ट्रपति
जनता दल और कांग्रेस से जुड़े रहे धनखड़ लगभग एक दशक के अंतराल के बाद 2008 में भाजपा में शामिल हुए। 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले धनखड़ राजनीतिक हलकों में एक अपरिचित नाम थे, खासकर इसलिए क्योंकि उन्होंने आखिरी सार्वजनिक पद 1993 से 98 के बीच राजस्थान विधानसभा के सदस्य के रूप में संभाला था।