आपातकाल के बाद जब 1977 में लोकसभा चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी को बुरी हार का सामना करना पड़ा। उनके बेटे संजय गांधी को भी अमेठी की सीट गंवानी पड़ी। कांग्रेस के तमाम कद्दावर नेता हार गए। 22 मार्च 1977 को जब इंदिरा गांधी कार्यवाहक राष्ट्रपति बीडी जत्ती को अपना इस्तीफा सौंपने पहुंचीं तो उस वक्त जत्ती की पत्नी संगम्मा भी वहां मौजूद थीं। इंदिरा के हाथ में लिफाफा देखकर वह फूट-फूटकर रोने लगीं।
द इंडियन एक्सप्रेस की कंट्रीब्यूटिंग एडिटर नीरजा चौधरी अपनी किताब ‘हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड’ में लिखती हैं कि बीडी जत्ती ने इंदिरा गांधी से लिफाफा ले लिया लेकिन खोल कर देखा तक नहीं। इंदिरा जब चलने को हुईं तब उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीएन धर ने राष्ट्रपति के कान में फुसफुसाया, ‘आपको प्रधानमंत्री से कहना चाहिए कि जब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होती है तब तक पद पर बनी रहें…’।
4 दिन कमरे में बंद रहीं इंदिरा गांधी
नीरजा चौधरी लिखती है कि इंदिरा गांधी के जीवन में पहले भी तमाम कठिन मोड़ आए थे और कई झटके झेल चुकी थीं, लेकिन यह हार बर्दाश्त नहीं कर पाईं और डिप्रेशन में चली गईं। 4 दिनों तक अकेले कमरे में कमरे में बंद रहीं। ना तो किसी से मिलीं और ना किसी से बातचीत की। इंदिरा गांधी को अपने परिवार की चिंता सता रही थी, सबसे ज्यादा चिंता संजय गांधी की थी, जिन्हें इमरजेंसी के विलेन के तौर पर पेश किया जा रहा था।
राजीव को प्राइवेट प्लेन का इंतजाम करने भेज दिया था
हार के ठीक बाद इंदिरा गांधी ने अपने दोनों बहुओं- सोनिया और मेनका गांधी को पोते-पोती राहुल और प्रियंका के साथ पहाड़ में अपनी दोस्त सुमन दुबे के घर भेज दिया। जबकि बड़े बेटे राजीव गांधी को मुंबई किसी प्राइवेट प्लेन की व्यवस्था करने को भेजा, ताकि परिवार को भारत से बाहर भेजा जा सके। नीरजा चौधरी लिखती हैं कि राजीव के गुपचुप प्राइवेट प्लेन का इंतजाम करने की जानकारी आईबी के एक अफसर वीवी नागरकर को लग गई।
IB को लग गई थी खबर
दिल्ली में इंटेलिजेंस ब्यूरो के ज्वाइंट डायरेक्टर नागरकर मुंबई के ही रहने वाले थे और वहां उनका बहुत अच्छा नेटवर्क था। नागरकर ने फौरन इस बात की जानकारी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को दी। यह सुनकर मोरारजी चिंतित हो उठे और उन्होंने जयप्रकाश नारायण को फोन मिला दिया। उन दिनों जयप्रकाश नारायण गांधी पीस फाउंडेशन में ठहरे हुए थे। दोनों नेताओं ने तय किया कि इस मामले को बहुत सावधानी से मैनेज किया जाए ताकि ऐसा संदेश न जाए कि सरकार, एक हारी हुई प्रधानमंत्री के परिवार को परेशान कर रही है।
इंदिरा ने PM से मांगी थी एक गारंटी
नीरजा चौधरी, उन दिनों जॉर्ज फर्नांडिस के राजनीतिक सचिव रहे रवि नय्यर के हवाले से लिखती हैं कि इसके बाद जयप्रकाश नारायण और प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई इंदिरा गांधी से मिलने पहुंचे और उन्हें आश्वासन दिया कि उनके परिवार को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा। उस मुलाकात में इंदिरा गांधी ने कहा, ‘अब मैं रिटायर होकर अपना वक्त पहाड़ों में बिताना चाहती हूं… मुझे बस एक गारंटी चाहिए कि संजय (संजय गांधी) को कोई नुकसान नहीं होगा’।
चौधरी लिखती हैं कि ठीक इसी वक्त सियासी गलियारों में चर्चा थी कि राजीव गांधी और सोनिया अपने बच्चों राहुल व प्रियंका के साथ भारत छोड़कर इटली जाने की फिराक में हैं।