आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने एक लेख लिखकर बताया है कि दुनिया में भारत की स्थिति कैसी है। वह लिखते हैं, हाल के महीनों में पीएम मोदी कहते रहे हैं कि दुनिया भारत की ओर देख रही है। उन्होंने मार्च में कहा कि दुनिया भारत की तरफ देख रही है क्योंकि हम मैन्युफैक्चरिंग पावरहाऊस हैं। मई में स्टार्टअप्स की वजह से दुनिया हमारी तरफ देख रही थी। जून में भारत की क्षमता और प्रदर्शन के लिए दुनिया इस ओर देख रही थी। जुलाई में यह जुमला कुछ और हो गया।

Continue reading this story with Jansatta premium subscription
Already a subscriber? Sign in करें

भारत की तरफ क्यों देख रही है दुनिया?

इसके बाद गुहा आकार पटेल की किताब -प्राइस ऑफ द मोदी ईयर्स के हवाले से बताते हैं कि वास्तव में दुनिया भारत की तरफ क्यों देख रही है, ”हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में भारत 85वें स्थान पर है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 94वें पायदान पर है। वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम के ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स में भारत 103 नंबर पर है। यूएन के ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में भारत 131वें नंबर पर है। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स के 150 देशों की सूची में भारत 142वें नंबर पर है। ऐसे कई पैमानों पर भारत साल 2014 से बहुत पीछे चला गया है। 2014 में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता संभाली थी।

इसके अलावा ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत 135 स्थान पर पहुंच गया है। लेबर फोर्स में महिलाओं की भागीदारी बांग्लादेश से भी कम 25 फीसदी रह गई है। मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व हर क्षेत्र में घटा है। विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के मुताबिक भारत के एक प्रतिशत अमीरों के पास नेशनल इनकम का 22% है।

आजादी के 75 साल पूरे होने पर दुनिया निश्चित रूप से यह जानना चाहेगी कि भारत और भारतीय क्या कर रहे हैं। संविधान में तय आदर्शों और उम्मीदों की रोशनी में भारत ने कहां तक की यात्रा तय कर ली है। आजादी के दीवानों का सपना कहां तक पूरा हुआ है।

आजादी हुई कम?

द टेलीग्राफ में प्रकाशित अपने लेख में गुहा मोदी सरकार के आंकड़ों को ही पेश कर सरकार को आइना दिखाते हैं। वह लिखते हैं, सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि 2016 से 2020 के दौरान 24 हजार से ज्यादा लोगों को UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया और उनमें से एक प्रतिशत से भी कम को सजा हुई।

जाने-माने शिक्षाविद और राजनैतिक स्तंभकार प्रोफेसर प्रताप भानु मेहता के हवाले से गुहा ने सुप्रीम कोर्ट की हालिया गतिविधियों पर सवाल उठाया है। लेख में उच्चतम न्यायालय को अधिकारों के अभिभावक के रूप में बल्कि उस पर खतरे के रूप में देखा गया है। मेहता को उद्धत करते हुए गुहा ने लिखा है, राजनीतिक और सामाजिक रूप से भारतीय कम आजादी अभिव्यक्त कर पा रहे हैं। सामाजिक दुराग्रह हर जगह दिखता है।

Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा विशेष समाचार (Jansattaspecial News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
First published on: 15-08-2022 at 11:25 IST