शनिवार को जब सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों के नतीजे आए तो इनमें से बिहार की रुपौली विधानसभा सीट के चुनाव नतीजे ने राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया। रुपौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने एनडीए और इंडिया के उम्मीदवारों को बड़े अंतर से हरा दिया है।
शंकर सिंह को 8,204 वोटों के अंतर से जीत मिली है।
बीमा भारती के इस्तीफे से खाली हुई थी सीट
रुपौली विधानसभा सीट पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर जीतीं बीमा भारती के इस्तीफे की वजह से खाली हुई थी। बीमा भारती ने आरजेडी में शामिल होकर पूर्णिया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें वहां भी हार मिली थी और इस विधानसभा उपचुनाव में भी उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा है।

बीमा भारती को न सिर्फ हार मिली है बल्कि वह तीसरे नंबर पर रही हैं और उन्हें काफी कम वोट मिले हैं। हैरानी की बात यह है कि एनडीए और इंडिया गठबंधन के पूरा जोर लगाने के बाद भी उनके उम्मीदवार शंकर सिंह को चुनाव नहीं हरा सके।
रुपौली में किसे मिले कितने वोट
राजनीतिक दल | उम्मीदवार का नाम | मिले वोट |
निर्दलीय | शंकर सिंह | 67,782 |
जेडीयू | कलाधर प्रसाद मंडल | 59,578 |
आरजेडी | बीमा भारती | 30,114 |
नॉर्थ बिहार लिबरेशन आर्मी के कमांडर रहे हैं शंकर सिंह
शंकर सिंह ने 2005 के विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर रूपौली विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी। शंकर सिंह नॉर्थ बिहार लिबरेशन आर्मी के कमांडर रहे हैं। उत्तरी बिहार में नॉर्थ बिहार लिबरेशन आर्मी का ठीक-ठाक असर रहा है।
2000 में नॉर्थ बिहार लिबरेशन आर्मी के संस्थापक बूटन सिंह की पूर्णिया में हत्या के बाद शंकर सिंह ने इसकी कमान संभाली थी। इस संगठन को राजपूत मिलिशिया भी कहा जाता था। शंकर सिंह के कार्यकाल में इस संगठन पर लोगों को डराने-धमकाने और बूथ कैप्चरिंग करने के आरोप लगे थे।

इस बार जब शंकर सिंह को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर गए थे। शंकर सिंह की पत्नी सुनीता सिंह रुपौली से जिला परिषद की सदस्य हैं। शंकर सिंह ने 2010, 2015 और 2020 में भी रुपौली से विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन तब उन्हें जीत नहीं मिली थी।
एनडीए और इंडिया के पास नेताओं का था जमावड़ा
चुनाव प्रचार के दौरान एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी, चिराग पासवान सहित एनडीए के तमाम बड़े नेताओं ने जेडीयू उम्मीदवार कलाधर प्रसाद मंडल के लिए चुनाव प्रचार किया था।
इसी तरह बीमा भारती के लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी चुनाव प्रचार किया था लेकिन इसका चुनाव में कोई फायदा देखने को नहीं मिला। यह भी कहा जा रहा है कि बीमा भारती के पार्टी बदलने की वजह से भी लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया। इससे पहले वह तीन बार लगातार जेडीयू के टिकट पर विधायक का चुनाव जीती थीं लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पाला बदलकर वह राजद में शामिल हो गई थीं।

राजद ने बहुत भरोसा करके बीमा भारती को पार्टी में शामिल किया था। लोकसभा चुनाव में भी उनका प्रदर्शन खराब रहा और विधानसभा उपचुनाव में भी वह सिर्फ 30000 वोट ही हासिल कर सकीं।
शंकर सिंह की जीत इसलिए भी हैरान करती है क्योंकि उनके पास किसी बड़े नेता का समर्थन नहीं था और सिर्फ अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों की बदौलत ही वह एनडीए और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को धूल चटाने में कामयाब रहे।
इस बड़ी जीत के बाद शंकर सिंह के समर्थकों में जमकर जश्न का माहौल है जबकि एनडीए और इंडिया गठबंधन के खेमों में निराशा है।