दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंंद केजरीवाल के जेल में होने की वजह से स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में झंडा फहराने का मसला भी विवादित हो गया। विवाद के बीच यह तय हुआ है कि कैलाश गहलोत सीएम की गैर मौजूदगी में दिल्ली सरकार की ओर से 15 अगस्त को ध्वजारोहण करेंगे।
असल में स्वतंत्रता दिवस पर किसी राज्य में मुख्यमंत्री द्वारा झंडा फहराने की व्यवस्था शुरुआत से थी ही नहीं। बताते हैं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के दिवंगत पिता और कई बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे एम करुणानिधि ने 1974 में स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्रियों को राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
करुणानिधि 1969 में पहली बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने थे। फरवरी 1974 में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चिट्ठी लिखी। इसमें उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण का अधिकार दिए जाने की मांग की थी। जुलाई में उनकी यह मांग मान ली गई। 15 अगस्त, 1974 को करुणानिधि चेन्नई में झंडा फहराने वाले तमिलनाडु के पहले मुख्यमंत्री बने।
करुणानिधि ने अपनी आत्मकथा नेंजुक्कु नीधि में लिखा है, “हर साल 15 अगस्त को यह प्रथा थी कि राज्यपाल राज्य सचिवालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। दिल्ली (केंद्र सरकार) को पत्र लिखने और बार-बार व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे को उठाने के मेरे प्रयासों के कारण कि लोकतांत्रिक रूप से चुने गए मुख्यमंत्रियों को यह अधिकार क्यों नहीं दिया जाना चाहिए, यह निर्णय लिया गया कि राज्यपाल गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे और मुख्यमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर।”
31 जुलाई, 1974 के द हिंदू आर्काइव्स की एक रिपोर्ट ‘CMs to unfurl tricolour’ में कहा गया है, “भारत सरकार ने तमिलनाडु सरकार (करुणानिधि के नेतृत्व वाली) के सुझाव को स्वीकार कर लिया कि मुख्यमंत्रियों को 15 अगस्त को राज्य की राजधानियों में तिरंगा फहराने की अनुमति दी जानी चाहिए।”
स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने से जुड़े कुछ नियम जानिए
भारत सरकार की ओर से ‘भारतीय ध्वज संहिता (Flag Code of India)’ लागू की गयी है। इसमें राष्ट्रीय ध्वज और ध्वजारोहण से जुड़े कई नियम दर्ज हैं। 26 जनवरी, 2002 को इसे संशोधित रूप में लागू किया गया।
नियम के अनुसार राष्ट्रध्वज आयताकार होना चाहिए और उसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होना चाहिए। झंडे पर किसी भी प्रकार से कुछ भी लिखा हुआ नहीं होना चाहिए। अगर झंडा किसी भी प्रकार से क्षतिग्रस्त है और कटा-फटा है तो उसको उपयोग में नहीं लाना चाहिए।
- अगर झंडा किसी मंच पर फहराया जा रहा है तो ध्यान रखना है कि वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो और झंडा उसके दाहिनी ओर होना चाहिए।
- तिरंगा किसी भी प्रकार से जमीन को नहीं छूना चाहिए।
- अशोक चक्र झंडे के बिल्कुल बीच में और सफेद पट्टी पर होना चाहिए और उसमें 24 तीलियां होनी चाहिए।
- फटा हुआ या गंदा झंडा नहीं फहराना चाहिए।
- तिरंगे के बगल में अगर किसी भी झंडे को लगाना है तो उसका स्थान तिरंगे के नीचे होना चाहिए।
- भारतीय ध्वज संहिता के सेक्शन 2 के अनुसार केवल भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप ही ध्वज का उपयोग किया जाएगा।
- झंडे को किसी वाहन, ट्रेन या नाव के हुड, ऊपर, किनारे या पीछे नहीं लपेटा जाएगा।
- राष्ट्रध्वज का उपयोग किसी भवन को ढंकने के लिए नहीं किया जाएगा।
- झंडे का उपयोग किसी भी प्रकार की पोशाक या वर्दी में नहीं किया जाएगा। इसे कुशन, रूमाल, नैपकिन या बक्सों पर कढ़ाई या प्रिंट नहीं किया जाना चाहिए।
- राष्ट्रध्वज पर कुछ भी लिखा नहीं जाएगा।
- राष्ट्रध्वज का उपयोग किसी भी प्रकार के विज्ञापन में नहीं किया जाएगा और न ही उस खंभे पर कोई विज्ञापन चिन्ह लगाया जाएगा जहां से झंडा फहराया जाता है।
- झंडे का उपयोग किसी भी चीज़ को वितरित करने, रखने या ले जाने के लिए नहीं किया जाएगा। हालांकि, झंडे को फहराने से पहले उसमें फूलों की पंखुड़ियां रखने पर कोई आपत्ति नहीं होगी।
दिल्ली में क्या था विवाद
दिल्ली शराब नीति घोटाले में जेल में बंद अरविंंद केजरीवाल चाहते थे कि उनकी गैर मौजूदगी में मंत्री आतिशी स्वतंत्रता दिवस समारोह में झंडा फहराएं। दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कैलाश गहलोत को इस जिम्मेदारी के लिए चुना।आतिशी ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि एक ‘नए वायसराय’ आए हैं और वह राष्ट्रीय ध्वज फहराना चाहते हैं।
- दिल्ली के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने तिहाड़ जेल में सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी। इसके बाद उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) को आदेश जारी किया था। उन्होंने कहा था कि सीएम केजरीवाल ने कहा है कि 15 अगस्त को जीएडी मंत्री आतिशी झंडा फहराएंगी। इससे पहले, दिल्ली के सीएम ने एलजी वीके सक्सेना को पत्र लिखकर कहा था कि आतिशी छत्रसाल स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में तिरंगा फहराएंगी, जहां दिल्ली सरकार का स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित होता है। तिहाड़ जेल अधिकारियों द्वारा इस पत्र को रोक दिया गया था। कहा गया कि इस तरह का पत्र लिखना एक कैदी के रूप में केजरीवाल को मिले अधिकार का उल्लंघन है।