बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने 22 फरवरी को मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) को कड़ी फटकार लगाई है। दरअसल, एमएमआरडीए ने एक परिवार को सिर्फ 48 घंटे के अंदर मकान खाली करने का नोटिस जारी कर दिया था और कोई रहने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की थी। इसके बाद परिवार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
मामला हाई कोर्ट में जस्टिस जीएस पटेल (GS Patel) और जस्टिस नीला गोखले (Neela Gokhale) की डिवीजन बेंच के पास पहुंचा। पीड़ित के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि मामला मेंशन होने के बाद एमएमआरडीए ने फ्लैट में ताला भी लगा दिया। इस तथ्य के संज्ञान में आने के बाद हाई कोर्ट नाराज हो क्या और एमएमआरडीए (MMRDA) से पूछा कि आखिर बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए, परिवार से घर कैसे खाली करा सकते हैं? कोर्ट ने MMRDA को परिवार के रहने के लिए ताज होटल में कमरा बुक कराने का निर्देश दिया।
तो अब क्या भीख मांगें?
हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास कोर्ट आने के अलावा विकल्प ही क्या बचा था? क्या फ्लोरा फाउंटेन के पास भीख मांगते! MMRDA को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर परिवार के रहने के लिए आप वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करा सकते हैं तो ताज होटल में ठहरने की व्यवस्था कराइए, ये वहीं रहेंगे। कोर्ट ने कहा कि जब हम ताज होटल कह रहे हैं तो मतलब पुराना ताज होटल है।
दूसरी बार उजड़ा आशियाना
‘बार एंड बेंच’ (Bar & Bench) की एक रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ता शोभनाथ सिंह ( Shobhnath Singh) ने एमएमआरडीए के 8 फरवरी 2023 के नोटिस के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था। एमएमआरडीए ने शोभनाथ सिंह को 48 घंटे के अंदर फ्लैट करने का आदेश दिया था, अन्यथा जबरन निकालने को कहा था। याचिकाकर्ता ने बताया कि उनके पास रहने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं है।
याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि साल 2017 तक वे एक दूसरी जगह रहा करते थे। फिर ‘स्पार्क समुदाय निर्माण’ (PARC Samudaya Nirman) ने यह कहते हुए उनसे जगह खाली करा ली थी, कि वहां अंडर ग्राउंड वाटर टैंक बनेगा जो सिंह के घर तक आ रहा था। बाद में ‘स्पार्क’ ने ही उन्हें रहने की वैकल्पिक व्यवस्था दी थी, जिस मकान में अभी रह रहे थे। अब इसी मकान को खाली कराने के लिए एमएमआरडीए ने नोटिस दिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि हमें आश्वासन दिया गया था कि पुराने मकान के बदले उन्हें जो फ्लैट दिया गया, वह परमानेंट है और कोई समस्या नहीं आएगी।
कोर्ट ने क्या आदेश दिया?
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) को 10 मार्च 2023 तक जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही आदेश दिया है कि जब तक याचिकाकर्ता के रहने का कोई वैकल्पिक बंदोस्त नहीं करते हैं, तब तक उनके खिलाफ कोई भी कदम न उठाएं।