गुजरात हाईकोर्ट के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार (Outgoing Chief Justice Of Gujarat High Court Aravind Kumar) ने अपने विदाई भाषण में कहा कि यदि मामलों को दशकों तक लंबित रखा जाएगा तो, जजों को नागरिकों की नाराजगी को स्वीकार करना होगा।
बता दें कि जस्टिस अरविंद कुमार (Justice Aravind Kumar) को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया है। उन्होंने अपने विदाई भाषण में कहा कि एक अच्छे फैसले का श्रेय न केवल जज को जाना चाहिए, बल्कि उन अधिवक्ताओं को भी जाना चाहिए जो केस को लेकर अच्छी बहस करते हैं।
उन्होंने कहा, “मैंने नागरिकों के लिए न्याय सुनिश्चित करने और न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए अपने स्तर पर पूरा प्रयास किया। मेरा मानना है कि अगर मामलों को दशकों तक लटकाए रखा जाएगा तो, न केवल अदालत आने वाली जनता की नाराजगी का सामना करना होगा, बल्कि न्यायसंगत आलोचना भी स्वीकार करनी होगी।”
85 दिनों 175 मामलों का किया गया निपटारा
खचाखच भरे कोर्ट-हॉल को संबोधित करते हुए जस्टिस कुमार ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान हाईकोर्ट जजों की समिति ने जिला अदालतों में लंबित पुराने मामलों की निगरानी की थी और उन्हें जल्द से जल्द निपटाने के लिए एक रोडमैप भी तैयार किया था।
उन्होंने कहा, “30 वर्षों से लंबित कुल 175 मामलों का 85 दिनों के भीतर निपटारा किया गया। यह हमारी निरंतर निगरानी के कारण संभव हुआ।”
‘न्याय की प्रक्रिया तेज और मैत्रीपूर्ण हो’
जस्टिस कुमार ने आगे कहा कि, “जनता चाहती है कि विवाद के समाधान की प्रक्रिया आसान, तेज और मैत्रीपूर्ण हो। कमर्शियल विवादों के स्टेकहोल्डर्स भी यह अपेक्षा करने हैं कि उन्हें न्याय जल्दी मिले। सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अधिकारों की सुरक्षा और सुनवाई के दौरान समानता की आवश्यकता है। बार और बेंच को सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए और सस्ता, समान और त्वरित न्याय प्रदान करना चाहिए। यही समय की मांग है।”