प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को छत्तीसगढ़ में एक रैली के दौरान कहा कि कांग्रेस का कहना है कि वह एससी, एसटी और ओबीसी के कोटा में कटौती करके धर्म के आधार पर 15 प्रतिशत आरक्षण लागू करेगी। कांग्रेस संविधान बदलना चाहती है और एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारों को छीनकर अपने वोट बैंक को देना चाहती है।
इससे पहले भी राजस्थान के बांसवाड़ा में एक रैली के दौरान पीएम ने कहा था कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में कहा है कि वह माताओं और बहनों के सोने का हिसाब करेंगे और फिर इसे मुसलमानों को बांट देगी, यहां तक कि मंगलसूत्र को भी नहीं बख्शेगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि देश में मुसलमानों की आर्थिक स्थिति कैसी है और क्या मुसलमान हिंदुओं से ज्यादा अमीर हैं? आइये देखते हैं क्या कहते हैं आंकड़े?
देश में विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के पास कितना सोना
देश में विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के पास कितना सोना, धन या संपत्ति का कोई विस्तृत या विशिष्ट डाटा उपलब्ध नहीं है। कुछ संबंधित डाटा आईसीएसएसआर-मान्यता प्राप्त अनुसंधान संस्थान, भारतीय दलित अध्ययन संस्थान द्वारा 2020 में प्रकाशित ‘भारत में धन स्वामित्व में अंतर समूह असमानता पर अध्ययन रिपोर्ट’ में उपलब्ध है। इस रिपोर्ट में नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) और भारतीय आर्थिक जनगणना द्वारा किए गए अखिल भारतीय ऋण और निवेश सर्वेक्षण (AIDIS) के डाटा का इस्तेमाल किया गया है। रिपोर्ट में सामने आया कि अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों और मुसलमानों के पास सबसे कम संपत्ति है।
भारत में किस समूह के पास है कितनी संपत्ति?
रिपोर्ट के अनुसार, हिंदू उच्च जातियों के पास देश की कुल संपत्ति का लगभग 41% हिस्सा है, इसके बाद हिंदू ओबीसी (31%) का स्थान है। मुसलमानों, एससी और एसटी के पास क्रमशः 8%, 7.3% और 3.7% संपत्ति है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि हिंदू उच्च जातियों के स्वामित्व वाली संपत्ति का कुल मूल्य 1,46,394 अरब रुपये है, जो एसटी के स्वामित्व वाली संपत्ति (13,268 अरब रुपये) का लगभग 11 गुना है। मुसलमानों के पास अनुमानत: 28,707 अरब रुपये की संपत्ति है। वहीं, 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में हिंदुओं की आबादी 79.80% और मुसलमानों की आबादी 14.23% है।

मुस्लिम ऊंची जातियां भी हिंदू ओबीसी से ज्यादा गरीब
हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सामाजिक समूहों में औसत संपत्ति/एमपीसीई की तुलना से यह साफ होता है कि गैर-एससी/एसटी/ओबीसी मुसलमानों की औसत संपत्ति न केवल गैर-एससी/एसटी/ओबीसी हिंदुओं से कम है बल्कि हिंदू ओबीसी से भी कम है। इससे यह साफ होता है कि मुस्लिम ऊंची जातियों के पास ज्यादा संपत्ति होने के दावे सच नहीं हैं।
सामाजिक समूहों के पास कुल संपत्ति (अरब रुपये में)

परिवारों के पास है कितनी संपत्ति?
देश में प्रति परिवार संपत्ति का औसत मूल्य 15.04 लाख रुपये था लेकिन सामाजिक समूहों के बीच यह अलग-अलग है। औसत घरेलू संपत्ति हिंदू उच्च जातियों के पास सबसे अधिक (27.73 लाख रुपये) थी, उसके बाद हिंदू ओबीसी (12.96 लाख रुपये) थे। रिपोर्ट में पाया गया कि मुस्लिम परिवारों की औसत संपत्ति (9.95 लाख रुपये) एसटी (6.13 लाख रुपये) और एससी (6.12 लाख रुपये) परिवारों की तुलना में अधिक थी।
भारत में सामाजिक-धार्मिक समूहों के पास प्रति परिवार संपत्ति (रुपये में)

किस जाति के पास सबसे अधिक सोना है?
अध्ययन के अनुसार, हिंदू ओबीसी के पास सोने का सबसे बड़ा हिस्सा (39.1%) है, उसके बाद हिंदू उच्च जातियों (31.3%) का स्थान था। मुसलमानों की हिस्सेदारी 9.2% है, जो केवल एसटी (3.4%) से अधिक है।
सामाजिक-धार्मिक समूहों में संपत्ति का हिस्सा (प्रतिशत में)

सुप्रीम कोर्ट में संपत्ति के पुनर्वितरण पर उठे सवालों का अध्ययन
वहीं, दूसरी ओर पीएम मोदी के बयान के बाद मचे बवाल के बीच सुप्रीम कोर्ट की नौ-न्यायाधीशों की पीठ ने मंगलवार को संविधान के आर्टिकल 39 (B) की व्याख्या शुरू की। ऐसा इसलिए किया गया ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि क्या सामान्य भलाई के लिए राज्य नीति प्रावधान का यह निर्देशक सिद्धांत सरकार को निजी स्वामित्व वाली संपत्तियों के पुनर्वितरण की अनुमति देता है।

दरअसल, अनुच्छेद 39 (B) में प्रावधान है कि राज्य अपनी नीति इस आधार पर बनाएगा कि भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण समुदायों के बीच इस तरह वितरित करेगा कि जनता का सामान्य हित पूरा किया जा सके। वरिष्ठ वकील देवराज, ज़ाल अन्ध्यारुजिना और समीर पारिख ने तर्क दिया कि सामुदायिक संसाधनों में कभी भी निजी स्वामित्व वाली संपत्तियां शामिल नहीं हो सकतीं।
क्या कहती है सच्चर कमेटी की रिपोर्ट?
भारत में मुस्लिम समुदाय की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए नियुक्त की गई सच्चर समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा की स्थिति अन्य समुदायों की तुलना में काफ़ी ख़राब है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में मुसलमान समुदाय आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा के क्षेत्र में अन्य समुदायों के मुकाबले कहीं पिछड़ा है, इस समुदाय के पास शिक्षा के अवसरों की कमी है, सरकारी और निजी उद्दोगों में भी उसकी आबादी के अनुपात के अनुसार उसका प्रतिनिधित्व काफ़ी कम है।
PM मोदी के किस बयान पर मचा है बवाल
पीएम मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, “पहले जब उनकी सरकार थी, उन्होंने कहा था की देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठी करके किसको बांटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे।” उन्होंने कहा, “घुसपैठियों को बांटेंगे। आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? क्या आपको ये मंजूर है?”
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “ये अर्बन नक्सल वाली सोच। मेरी माताओ- बहनों ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे। इस हद तक चले जाएंगे।” उन्होंने कहा, “ये कांग्रेस का घोषणापत्र कह रहा है कि वे माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे और फिर उस संपत्ति को बांट देंगे और उनको बांटेगे जिनके बारे में मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।”