न्यायपालिका में लॉबिंग और जोड़तोड़ कोई नई बात नहीं है। पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पीबी गजेंद्रगाडकर (Former CJI P.B. Gajendragadkar) के कार्यकाल के कई किस्से मशहूर हैं। जस्टिस गजेंद्रगाडकर ने खुद अपनी आत्मकथा में इन किस्सों का जिक्र किया है। वह लिखते हैं एक बार शनिवार को हाईकोर्ट के एक जज ने उन्हें अपने घर चाय पर बुलाया।
जस्टिस गजेंद्रगाडकर उस जज के घर पहुंचे और बातचीत का दौर शुरू हुआ। इसी बीच उस जज ने सीजेआई से कहा कि उसे सुप्रीम कोर्ट में अप्वॉइंट कर दें। लेकिन सीजेआई गजेंद्रगाडकर ने ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया।
डिनर पार्टी में नहीं गए CJI
बॉम्बे हाईकोर्ट के एडवोकेट और सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के बेटे अभिनव चंद्रचूड़ अपनी किताब Supreme Whispers में लिखते हैं कि तमाम नामी वकीलों से लेकर जज तक मनपसंद पोस्ट के लिए जोड़तोड़ करते रहे हैं। CJI गजेंद्रगाडकर के कार्यकाल का एक और किस्सा मशहूर है। एक नामी वकील ने अपने घर डिनर पार्टी रखी है। सीजेआई समेत तमाम जजों को इनवाइट किया। हालांकि सीजेआई ने पार्टी में जाने से इंकार कर दिया। बाद में उन्हें पता लगा कि वह एडवोकेट हाईकोर्ट का जज बन गया है। बाद में उस जज ने खुद इशारा किया कि डिनर पार्टी में जो लॉबिंग की थी, वह काम आई।
जब चीफ जस्टिस ने ठुकरा दिया CM का आमंत्रण
साल 1992 में जब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस लीला सेठ रिटायर हुईं, तब राज्य के तत्कालीन चीफ मिनिस्टर उनके सम्मान में फेयरवेल डिनर आयोजित करना चाहते थे। खुद लीला सेठ का मानना था कि डिनर में शिरकत करने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन उनके तमाम साथी जजों ने सलाह दी कि इस पार्टी में जाना ठीक नहीं है। काफी सोच विचार के बाद जस्टिस सेठ ने CM का आमंत्रण ठुकरा दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री को ऐन मौके पर अपनी पार्टी कैंसिल करनी पड़ी थी।
अभिनव चंद्रचूड़ लिखते हैं कि जैसे ही इस बात की भनक लगती है कि किसी शख़्स का नाम सुप्रीम कोर्ट में अप्वाइंटमेंट के लिए चल रहा है, लॉबिंग शुरू हो जाती है। खासकर विपक्षी धड़ा उस शख्स के अपॉइंटमेंट को कैंसिल कराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देता है।
CJI वाईवी चंद्रचूड़ ने क्या कहा था?
अभिनव चंद्रचूड़ अपनी किताब में लिखते हैं कि पूर्व सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ ने बताया था कि जैसे ही किसी कैंडिडेट के नाम को लेकर अफवाह उड़ती है, खासकर उसके खिलाफ वाली लॉबी पूरी तरह सक्रिय हो जाती है। ताकि किसी भी सूरत में उसका अपॉइंटमेंट रोका जा सके। जस्टिस इरादी भी इस बात की तस्दीक करते हैं और कहते हैं कि किसी के नाम की भनक लगते ही पक्ष और विपक्ष दोनों तरह के लोग भी सक्रिय हो जाते हैं।