इंडिया को टेस्ट मैच स्टेटस साल 1932 में मिला था। भारत के पहले टेस्ट क्रिकेट मैच के कप्तान होल्कर आर्मी के सेनापति कर्नल सीके नायडू थे। भारत ने अपना पहला टेस्ट क्रिकेट लंदन के लॉर्ड्स (मशहूर क्रिकेट ग्राउंड) में खेला था। हालांकि भारतीय टीम के लंदन पहुंचने के बाद तक यह तय नहीं था कि कोट्टेरी कनकैया नायडू (C. K. Nayudu) कप्तान होंगे।

सीके नायडू को भी इस बात का इल्म नहीं था क्योंकि तब राजा-महाराजा, राजकुमार या नवाब के अलावा किसी दूसरे को कप्तान बनाए जाने की परंपरा ही नहीं थी। सब कुछ अचानक हुआ। इतना अचानक कि टीम में बगावत हो गई।

लंदन में कप्तान ने बदल लिया मन

भारत को जिस साल टेस्ट मैच स्टेटस मिला, उसी साल तय हुआ कि भारत से एक टीम अप्रैल से अक्टूबर तक के लिए इंग्लैंड दौरे पर जाएगी। इस टीम को 26 फर्स्ट क्लास मैच खेलने थे, जिसमें से एक ऑफिशियल टेस्ट मैच भी होता। यानी भारत अपना पहला टेस्ट मैच खेलने वाला था। टीम में सात हिंदू, पांच मुस्लिम, चार पारसी और दो सिख थे।  

चूंकि दौरा लंबा था इसलिए पटियाला के महाराजा और विजयानगरम के महाराजा टीम के साथ नहीं गए। दोनों महाराजा छह माह तक अपने राज्य से दूर नहीं रहना चाहते थे। अगर दोनों में से कोई भी जाता तो उन्हें ही टीम की कमान मिलती। क्योंकि टीम का कप्तान राजपरिवार का ही कोई व्यक्ति हो सकता था, ऐसे में पटियाला के महाराजा और विजयानगरम के महाराजा की अनुपस्थिति टीम की कमान पोरबंदर के महाराजा को सौंप दी गई। लिम्बड़ी के महाराजा को उप कप्तान बनाया गया। दोनों ही क्रिकेट में अच्छे नहीं थे।

लंदन पहुंचने के बाद प्रैक्टिस मैच में ही पोरबंदर के महाराजा को यह अहसास हो गया कि उन्हें जिस मैच की जिम्मेदारी मिली है, वह भारत के लिए ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण है। उन्होंने टेस्ट मैच से एक दिन पहले खुद को गेम से अलग करने का फैसला किया।

टीम में हुई बगावत

यूट्यूब चैनल ‘The EPIC Channel’ पर प्रसारित क्रिकेट से जुड़े एक प्रोग्राम ‘Mid Wicket Tales’ के मुताबिक, पोरबंदर के महाराजा ने टीम की जिम्मेदारी सीके नायडू को सौंप दी। लेकिन इस बात से टीम के कुछ खिलाड़ी बेहद नाराज हो गए। गुलाम भारत में पले-बढ़े इन खिलाड़ियों को अपने कप्तान के रूप में राजा-महाराजा या नवाब के अलावा कोई स्वीकार नहीं था। अगले दिन भारत अपना पहला टेस्ट मैच खेलने वाला था, लेकिन उससे पहले ही टीम में रातों-रात बगावत हो गई थी। उधर सीके नायडू को इस बात की खबर भी नहीं थी कि टीम के कई खिलाड़ी उनके नाम से इतने नाराज हैं।

बागी खिलाड़ियों ने रात में ही पटिलाया के महाराजा के समक्ष अपनी नामंजूरी व्यक्त करने के लिए फोन मिला दिया। खिलाड़ियों की बात सुनते ही महाराजा का पारा चढ़ गया क्योंकि उन्हें भी उस ऐतिहासिक क्षण का अंदाजा था। पटियाला के महाराजा ने कड़े शब्दों में कहा कि टीम की कप्तानी नायडू ही करेंगे और जिसे भी यह अस्वीकार्य है वह कभी टीम इंडिया के लिए नहीं खेलेगा।

इस तरह 25 जून, 1932 को लंदन के लॉर्ड्स में खेले गए भारत के पहले टेस्ट मैच की कप्तानी सीके नायडू ने की। शुरुआत में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद टीम यह मैच इंग्लैंड से हार गई लेकिन भारत एक टेस्ट प्लेइंग नेशन बन गया।

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Photo Credit – Indian Express

सीके सिक्सर

सीके नायडू (C. K. Nayudu) ने साल 1916 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलना शुरु किया था। इसके बाद अलगे 45-50 साल तक उनका इस खेल में जलवा रहा। वह बहुत अटैकिंग मोड में खलते थे। छक्का मारना उनकी पहचान बन गई थी। उनके ग्राउंड पर आते ही दर्शकदीर्घा से गूंज उठती थी- ‘सीके सिक्सर’ ‘सीके सिक्सर’…