अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी के अध्यक्ष के खिलाफ आरोप लगाए हैं। हिंडनबर्ग ने शनिवार को आरोप लगाया कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की उस ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी जिसका इस्तेमाल गौतम अदाणी के भाई विनोद अदाणी ने किया है। हिंडनबर्ग ने ये आरोप व्हिसलब्लोअर दस्तावेज़ों का हवाला देते हुए लगाया है। सेबी प्रमुख ने हालांकि इन आरोपों से इनकार किया है। वहीं, सेबी ने कहा कि उसके पास हितों के टकराव (Conflict of Interest) से संबंधित मुद्दों को देखने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है।
इससे पहले हिंडनबर्ग ने अदाणी ग्रुप पर जनवरी 2023 में ऐसी ही रिपोर्ट प्रकाशित की थी। 25 जनवरी, 2023 को जारी 106 पन्नों की रिपोर्ट में, हिंडनबर्ग ने गौतम अदाणी के अदाणी ग्रुप पर शेयरों की कीमतें प्रभावित करने और अकाउंट में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया।
अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में गिरावट
यह रिपोर्ट अदाणी इंटरप्राइजेज लिमिटेड के 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) आने से ऐन पहले प्रकाशित की गई थी। इसके बाद अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी और कंपनी ने एफपीओ मामले में भी आगे कदम नहीं बढ़ाने का फैसला लिया था। हालांकि, एफपीओ पूरी तरह सब्सक्राइब हो चुका था। अदाणी ने हिंडनबर्ग के आरोपों से इनकार किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से जांच करने के लिए कहा
2 मार्च, 2023 को, सुप्रीम कोर्ट ने यह जांच करने के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन किया कि क्या अदाणी ग्रुप या अन्य कंपनियों द्वारा कानूनों का उल्लंघन किया गया और क्या इससे निपटने में कोई विफलता थी। इसके बाद अदालत ने सेबी से (जो पहले से ही अदाणी कंपनियों के खिलाफ आरोपों को देख रहा था) जांच करने के लिए कहा कि क्या पब्लिक लिमिटेड कंपनियों में न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों का उल्लंघन, संबंधित पक्षों के साथ लेनदेन का खुलासा करने में विफलता या स्टॉक रेट में कोई हेरफेर हुआ था।
मई 2023 में एक्सपर्ट समिति ने कहा कि मार्केट रेगुलेटर्स ने ऑफशोर कंपनियों से अदाणी कंपनियों में मनी फ्लो के उल्लंघन की अपनी जांच में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला। नवंबर 2023 में अदालत ने कहा कि उसके पास सेबी को बदनाम करने का कोई कारण नहीं है।
सेबी की जांच में क्या सामने आया?
3 जनवरी, 2024 को अदालत ने सेबी की जांच का समर्थन किया और मामले को विशेष जांच दल (एसआईटी) या सीबीआई को ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया। इसमें कहा गया है कि सेबी ने 22 में से 20 मामलों में जांच पूरी कर ली है और उसे तीन महीने के भीतर काम पूरा करने को कहा है। सेबी ने मार्च में एक और मामले की जांच पूरी कर ली है और कहा है कि अंतिम जांच पूरी होने के करीब है।
हिंडनबर्ग को सेबी से कारण बताओ नोटिस
1 जुलाई, 2024 को हिंडनबर्ग ने घोषणा की कि उसे जनवरी 2023 की रिपोर्ट जारी होने से ठीक पहले और बाद में अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के स्टॉक की कम बिक्री के लिए सेबी से कारण बताओ नोटिस मिला है। नोटिस में हिंडनबर्ग रिसर्च, इसके संस्थापक नाथन एंडरसन,पार्टनर इन्वेस्टर मार्क किंगडन और किंगडन के स्वामित्व या नियंत्रण वाली तीन संस्थाओं का नाम दिया गया है। इनमें किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट एलएलसी, एम किंगडन ऑफशोर मास्टर फंड एलपी और के इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड (केआईओएफ)- क्लास F के नाम थे।
हिंडनबर्ग ने यह भी कहा कि सेबी ने अपने नोटिस में भारत के सबसे बड़े बैंकों और ब्रोकरेज फर्मों में से एक कोटक बैंक का नाम नहीं बताया है, जिसने हमारे पार्टनर इन्वेस्टर मार्क किंगडन द्वारा उपयोग की जाने वाली ऑफशोर फंड संरचना का निर्माण और निरीक्षण किया था।
इसके एक दिन बाद कोटक महिंद्रा इंटरनेशनल लिमिटेड (KMIL) और KIOF ने कहा कि हिंडनबर्ग कभी भी उनका ग्राहक नहीं था और न ही वह कभी फंड में निवेशक था। इसमें कहा गया है कि फंड को इस बात की जानकारी नहीं थी कि हिंडनबर्ग उसके किसी भी निवेशक का पार्टनर था।
क्या है हिंडनबर्ग का नया आरोप?
हिंडनबर्ग ने अब आरोप लगाया है कि उसे संदेह है कि अदाणी ग्रुप के खिलाफ सेबी ने एक्शन इसलिए नहीं लिया क्योंकि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के वित्तीय संबंध गौतम अदाणी के भाई विनोद अदाणी से हैं।
व्हिसलब्लोअर डॉक्यूमेंट्स का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी के चेयरपर्सन की अदाणी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल की गई ऑफशोर एंटीटी में हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने कहा कि सेबी ने अभी तक इंडिया इंफोलाइन- ईएम रिसर्जेंट फंड और इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड्स द्वारा संचालित अन्य संदिग्ध अदाणी शेयरधारकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि माधवी बुच ने सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में अपनी नियुक्ति से दो हफ्ते पहले यह सुनिश्चित किया था कि अदाणी से जुड़े खाते केवल उनके पति धवल बुच के नाम पर रजिस्टर हों और बाद में उन्होंने अपने पति के नाम के जरिये धनराशि भुना ली थी।
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है, “अपने सेबी कार्यकाल के एक साल बाद (2018 में) उन्होंने जो प्राइवेट ईमेल भेजा था, उससे पता चलता है कि उन्होंने अपने पति के नाम के माध्यम से फंड में हिस्सेदारी भुनाई है।”
सेबी चेयरपर्सन ने आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया दी है?
माधवी पुरी बुच और धवल बुच ने कहा है कि हिंडनबर्ग द्वारा बताए गए ऑफशोर फंड में उनका निवेश 2015 में किया गया था जब वे सिंगापुर में रहने वाले नागरिक थे। उन्होंने कहा है कि यह निवेश माधबी के सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल होने से लगभग 2 साल पहले किया गया था।
बुच दंपती ने कहा, “इस फंड में निवेश करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) रहे अनिल आहूजा धवल के पुराने दोस्त हैं। स्कूल में भी और आईआईटी दिल्ली में भी दोनों दोस्त रहे। आहूजा सिटीबैंक, जेपी मॉर्गन और 3आई ग्रुप पीएलसी में काम कर चुके हैं। इस नाते उनके पास निवेश का कई दशकों का अनुभव था। यही सब देखते हुए निवेश किया गया था और जब 2018 में, आहूजा ने फंड के सीआईओ के रूप में अपना पद छोड़ दिया तो हमने उस फंड में निवेश को भुनाया।”
माधवी बुच की आरोपों पर सफाई
2011 से मार्च 2017 तक माधवी सिंगापुर में रहीं और काम किया, शुरुआत में एक निजी इक्विटी फर्म के कर्मचारी के रूप में और बाद में एक सलाहकार के रूप में। उन्होंने भारत और सिंगापुर में जो दो कंसल्टिंग कंपनियाँ स्थापित कीं, वे सेबी में उनकी नियुक्ति के बाद निष्क्रिय हो गईं। उन्होंने कहा है कि ये कंपनियां और उनमें उनकी हिस्सेदारी स्पष्ट रूप से सेबी को किए गए उनके खुलासे का हिस्सा थीं।
रविवार को सेबी ने कहा कि उसने समय-समय पर सिक्योरिटीज की होल्डिंग और उनके ट्रांसफर के संदर्भ में आवश्यक खुलासे किए हैं। इसमें कहा गया है, “चेयरपर्सन ने कॉन्फ़्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट से जुड़े मामलों से भी खुद को अलग कर लिया है।”
सेबी ने कहा, “घरेलू/विदेशी रेगुलेटर्स और बाहरी एजेंसियों से सहायता के लिए 100 से अधिक कम्यूनिकेशन किए गए हैं। इसके अलावा, हिंडनबर्ग मामले की जांच के दौरान 300 से अधिक डॉक्यूमेंट्स की जांच की गई है, इसने निवेशकों को शांत रहने और उचित परिश्रम करने की सलाह दी।”