अडानी समूह (Adani Group) पर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के सीलबंद लिफाफे में सुझाव को मानने से इंकार कर दिया और कहा कि कोर्ट खुद एक कमेटी बनाएगा और इसमें सदस्यों की नियुक्ति भी करेगा।
17 फरवरी को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अगुवाई वाली बेंच ने जिन याचिकाओं पर सुनवाई की उनमें एडवोकेट विशाल तिवारी (Advocate Vishal Tiwari) की याचिका भी शामिल थी। बेंच ने एक-एक करके सभी याचिकाकर्ताओं की दलील सुनी। एडवोकेट विशाल तिवारी जब अपनी दलील रख रहे थे, उसी दौरान उनकी जुबान फिसल गई। एक गलती पर CJI चंद्रचूड़ ने उन्हें टोक दिया।
CJI ने गलती पर टोक दिया
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandra chud) ने कहा कि हम याचिकाकर्ताओं को सुनेंगे। शुरुआत एडवोकेट विशाल तिवारी से हुई। एकडवोकेट विशाल तिवारी ने कहा ‘कॉरपोरेटर (पार्षदों) के बीच जो कुछ भी हो रहा है, हम इस पूरे मामले की हाई पावर कमेटी से जांच चाहते हैं…’।
विशाल तिवारी की इसी गलती को सीजेआई ने पकड़ लिया और टोकते हुए कहा कि यहां पार्षदों की बात कहां से आ गई? CJI ने कहा- ‘Corporators पार्षद? क्या कह रहे हैं? यह कोई पार्षद का मामला थोड़ी है। शायद आप कॉरपोरेट बॉडी कहना चाह रहे हैं…’।
एडवोकेट विशाल तिवारी ने याचिका में क्या मांग की है?
एडवोकेट विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि अडानी समूह को दिए गए 500 करोड़ रुपये के लोन की जांच की जाए। उन्होंने यह भी मांग की है कि अडानी समूह के खिलाफ जांच के लिए कमेटी बने और इसकी अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करें।
और कौन हैं याचिकाकर्ता?
गौतम अडानी के स्वामित्व वाले अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लगी हैं। एडवोकेट विशाल तिवारी के अलावा कांग्रेस नेता जया ठाकुर और चर्चित एडवोकेट एम एल शर्मा ने भी याचिका दायर की है।