देश के कई हिस्सों में इन दिनों जानलेवा गर्मी पड़ रही है। ज़्यादातर हिस्सों में तापमान सामान्य से कई डिग्री ऊपर चल रहा है। दिल्ली में मंगलवार को पिछले 12 सालों की सबसे गर्म रात रही जब पारा 35.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। देशभर में लू और गर्मी के चलते होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़ी है। वहीं, इस साल हज के दौरान कम से कम 550 तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई।

मंगलवार को सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, मृतकों में 323 मिस्रवासी थे जो मुख्य रूप से गर्मी से होने वाली बीमारियों से पीड़ित थे। इसके अलावा 60 जॉर्डनवासियों के मारे जाने की खबर है।

हीटवेव के संपर्क में आने से हीटस्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के डेटा से पता चलता है कि हीटस्ट्रोक ने मार्च और मई के बीच देश भर में कम से कम 56 लोगों की जान ले ली, जिनमें से 46 अकेले मई में थे।

हीटस्ट्रोक से मरने वाले भारतीयों की संख्या

साल हीटस्ट्रोक से भारत में हुई मौतें
20171127
2018890
20191274
2020530
2021374
2022730

लू का कहर

आईएमडी डेटा से पता चलता है कि भारत में इस बार गर्मी की अवधि सबसे लंबी चल रही है। 36 वेदर सबडिवीजन में से 14 में 1 मार्च से 9 जून के बीच 15 से अधिक लू वाले दिन दर्ज किए गए और यह दौर जारी है।

9 जून 2024 तक सबसे अधिक हीटवेव वाले दिन ओडिशा (27) में दर्ज किए गए, इसके बाद पश्चिम राजस्थान (23) का स्थान रहा। यहां तक ​​कि ऊंचाई वाले इलाके भी इससे नहीं बचे, जम्मू और कश्मीर में 6 हीटवेव वाले दिन देखे गए जबकि हिमाचल प्रदेश में (12) दिन लू चली।

क्षेत्र कितने दिनों तक चली हीटवेव
ओडिशा 27
पश्चिमी राजस्थान 23
पश्चिम उत्तर प्रदेश 20
हरियाणा 20
पश्चिम मध्य प्रदेश 19
पूर्वी राजस्थान 17
सौराष्ट्र और कच्छ 17
झारखंड 16
पूर्वी उत्तर प्रदेश 16
पूर्वी मध्य प्रदेश 16

यह लगातार तीसरा साल है जब भारत में लू को जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। इससे पहले रिसर्चर्स ने बताया था कि 2022 के मार्च-अप्रैल और 2023 के अप्रैल में अत्यधिक गर्मी भी संभवतः जलवायु परिवर्तन के कारण हुई थी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने 2023 में उत्तर प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में ‘हीटवेव’ को ‘बड़ी प्राकृतिक आपदा’ के रूप में रिपोर्ट किया।

लू का प्रभाव

लंबे समय तक गर्मी में रहने से डिहाइड्रेशन और हार्ट और सांस संबंधी बीमारियाँ हो सकती हैं, यहां तक कि अचानक मृत्यु भी हो सकती है। भारत में अत्यधिक गर्मी के कारण होने वाली बीमारियों और मौतों का डेटा पूरी तरह से मेंटेन नहीं है।

उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल एक संसद प्रश्न के उत्तर में कहा था कि उसके पास 2022 में गर्मी से संबंधित केवल 33 मौतों की जानकारी है। लेकिन एनसीआरबी ने बताया 2022 में 730 मौतें गर्मी और लू से हुई थीं। वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2023 के पहले छह महीनों में गर्मी से संबंधित 264 मौतों की सूचना दी थी।

उत्तर भारत में बढ़ते तापमान से बढ़ी चिंता

पूरे उत्तर भारत में तापमान में हालिया वृद्धि ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। हरियाणा-दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अधिकतम तापमान सामान्य स्तर से 4-8 डिग्री सेल्सियस अधिक हो गया है। तापमान सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस और 6.4 डिग्री सेल्सियस के बीच होने पर हीटवेव घोषित की जाती है, और जब यह 6.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है तो गंभीर हीटवेव घोषित की जाती है।

लंबी और तीव्र गर्मी के चलते मौत का खतरा भी बढ़ जाता है। इसे दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है- प्रत्यक्ष हीट स्ट्रोक से होने वाली मौतें और हृदय रोग (CVD) की घटनाओं में वृद्धि। औसत दैनिक तापमान में प्रत्येक 10°F वृद्धि से कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से होने वाली मौतों में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।

हीटवेव पर क्या बोले WMO के महासचिव

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के महासचिव प्रोफेसर सेलेस्टे सॉलो ने हाल ही में कहा कि हीटवेव से होने वाले जान-माल के नुकसान को आमतौर पर कम करके आंका जाता है। द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में सौलो ने कहा, “पानी से संबंधित खतरे एशिया में जान-माल के नुकसान का मुख्य कारण हैं। हालांकि, हीटवेव से होने वाली मौतें और आर्थिक नुकसान को कम रिपोर्ट किया जाता है।”

गर्मी के चलते पावर आउटेज

गर्मी के चलते मांग और पावर लोड में बढ़ोत्तरी के बीच उत्तर भारत के कई राज्यों में ग्रिड आउटेज की संभावना जताई जा रही है। पंजाब के इंजीनियरों ने यह भी चेतावनी दी कि मांग में अचानक उछाल से पावर सप्लाई को मैनेज करना मुश्किल हो सकता है। पिछले एक महीने से उत्तरी क्षेत्र में भीषण गर्मी की स्थिति के कारण बिजली की रिकॉर्ड मांग देखी जा रही है।

मौसम विज्ञान और आईएमडी के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्र ने इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम आइडिया एक्सचेंज में कहा, “यह गर्मी का सबसे लंबा दौर रहा है जो देश के विभिन्न हिस्सों में अब तक लगभग 24 दिनों तक चला। अप्रैल में भारत के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में लू की स्थिति भयावह थी। मई में यह उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में चला गया। 16 मई से, पश्चिमी राजस्थान में लू की स्थिति शुरू हुई और पूर्वी भागों में और अधिक तीव्र हो गई।”

क्या लू हीटवेव से अलग है?

डॉ मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि स्थिर हवा के साथ हीटवेव शुष्क होती है वहीं लू तब होती है जब तेज़ उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलती हैं। ज़मीन से चलने वाली हवा लू के प्रभाव को बढ़ा देती है। इसी तरह तटीय बेल्ट में हवा, जिसे हम समुद्री हवा कहते हैं लू के प्रभाव को कम कर देती है।