क्या हरियाणा के बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह बीजेपी से नाराज हैं? यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि राव इंद्रजीत सिंह ने हिसार में एक कार्यक्रम में कहा है कि हरियाणा के लोग इस बात से निराश हैं कि उन्हें (राव इंद्रजीत सिंह को) इस बार भी मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया।

राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि वह भारत के इतिहास में अकेले ऐसे नेता हैं जो पांच बार राज्य मंत्री की कुर्सी संभाल चुका है।

निश्चित रूप से राव इंद्रजीत सिंह का यह बयान उनकी नाराजगी को दिखाता है। राव इंद्रजीत सिंह से पहले भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से बीजेपी के लोकसभा सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह भी कह चुके हैं कि राव को कैबिनेट मंत्री बनाया जाना चाहिए था। हरियाणा में लोकसभा चुनाव के नतीजे भी बीजेपी के लिए खराब रहे हैं।

बीजेपी ने पिछली बार जीती थी सभी 10 सीटें

राजनीतिक दलविधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीटलोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट
कांग्रेस 15131 05
बीजेपी 47740105

हरियाणा के विधानसभा चुनाव से पहले गुरुग्राम के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की सियासी सक्रियता को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं हैं। कहा जा रहा है कि राव की नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं।

इसके अलावा हरियाणा में यादव सभा ने मांग उठाई है कि राव इंद्रजीत सिंह को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। राव इंद्रजीत सिंह खुद भी मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जता चुके हैं।

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पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडा और सीएम नायब सैनी। (Source- FB)

अहीरवाल से बाहर निकले राव

राव इंद्रजीत सिंह इन दिनों सियासी रूप से खासे सक्रिय हैं और अहीरवाल से बाहर जाकर कई क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। उनकी इस सियासी सक्रियता के राजनीतिक गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री को लेकर सवाल उठाए जाने पर राव इंद्रजीत सिंह का कहना है कि पार्टी इस बात का फैसला कर चुकी है कि नायब सिंह सैनी ही विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा होंगे तो ऐसे में इस संबंध में फैसला हो चुका है। लेकिन राव की सक्रियता बताती है कि वह हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में पीछे नहीं रहन चाहते।

कौन हैं राव इंद्रजीत सिंह?

राव इंद्रजीत सिंह अहीरवाल क्षेत्र के 19वीं सदी के राजा राव तुला राम के वंशज हैं। अहीरवाल क्षेत्र में रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, गुड़गांव और भिवानी, दादरी, नूंह, झज्जर और राजस्थान में अलवर के कुछ हिस्से आते हैं।

राव इंद्रजीत सिंह छह बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। इनमें से चार बार गुरुग्राम की सीट से और दो बार भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे हैं। 2014 से पहले वह कांग्रेस में थे। वह यूपीए की सरकार में विदेश और रक्षा राज्य मंत्री जैसे बड़े पदों पर रहे हैं।

2014 में वह बीजेपी में शामिल हुए और पिछले तीन चुनाव उन्होंने बीजेपी के टिकट पर ही गुरुग्राम से जीते हैं। उनके पिता राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री रहे थे। राव 1977, 1982, 1991 और 2000 में जटूसाना विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे और 1991 से 1996 तक हरियाणा के कैबिनेट मंत्री भी रहे।

राव इंद्रजीत सिंह दक्षिणी हरियाणा के इलाके से आते हैं। इस इलाके को अहीरवाल भी कहा जाता है क्योंकि यहां यादव मतदाताओं की अच्छी संख्या है। राव दक्षिण हरियाणा में बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे हैं और वह दक्षिण हरियाणा के हक की आवाज बीजेपी में रहते हुए भी उठा चुके हैं।

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नायब सिंह सैनी के कंधों पर बीजेपी को जीत दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी है। (Source-NayabSainiOfficial)

समर्थक उठा चुके हैं मुख्यमंत्री बनाने की मांग

राव का खेमा मुख्यमंत्री पद को लेकर उनका नाम उछालता रहा है। राव समर्थकों का कहना है कि 2014 के बाद से हरियाणा में हुए चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन में योगदान के हिसाब से राव को बीजेपी में उनका सही हक कभी नहीं मिला। राव के इस बार भी राज्य मंत्री बनने के बाद उनके समर्थकों ने निराशा जताई थी।

सीएम की कुर्सी पर है नजर

हरियाणा की राजनीति में बीते कई सालों से यह चर्चा आम है कि राव इंद्रजीत सिंह की नजर सीएम की कुर्सी पर है। बीते साल एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में राव ने कहा था, ‘इसमें कोई शक नहीं है कि हमारे क्षेत्र (दक्षिण हरियाणा) में लोगों ने मुख्यमंत्री बनाए और बिगाड़े हैं। 2014 में अगर हमारे लोग एकजुट नहीं हुए होते तो बीजेपी सत्ता में ही नहीं आती। हमारे समर्थकों ने विरोध किया कि खट्टर के साथ खड़ा होना गलत है, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी और खट्टर को सीएम बना दिया। मेरी सीएम बनने की इच्छा था और लोगों की भी यही भावना थी। लेकिन जब सरकार बनी तो लोगों को लगा कि उनके नेता को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया लेकिन यह पार्टी का फैसला था और हमें इसका पालन करना था।’

इससे यह साफ होता है कि राव इंद्रजीत सिंह हरियाणा का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।

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हरियाणा का विधानसभा चुनाव जीत पाएगी बीजेपी?(Source-FB)

राव इंद्रजीत सिंह ने कहा था कि उन्होंने 2014 और 2019 में दो बार रेवाड़ी विधानसभा सीट से अपनी बेटी आरती के लिए टिकट मांगा था लेकिन बीजेपी ने दोनों बार इनकार कर दिया। राव की बेटी इस बार भी रेवाड़ी से टिकट की दावेदार हैं।

अहीरवाल से राव इंद्रजीत सिंह के पिता राव बीरेंद्र सिंह ही अकेले ऐसे नेता थे जो इस इलाके से मुख्यमंत्री बने। उनके बाद से कोई दूसरा नेता अहीरवाल से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंचा।

गुटबाजी की बात स्वीकार की

राव इंद्रजीत सिंह ने इस बात को भी स्वीकार किया कि बीजेपी में गुटबाजी है। उन्होंने कहा कि वह 34 साल तक कांग्रेस में रहे हैं, वहां गुटबाजी थी और बीजेपी में भी गुटबाजी है। राव इंद्रजीत सिंह को लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भी गुटबाजी का सामना करना पड़ा था। अहीरवाल क्षेत्र में भाजपा के कई बड़े नेता राव इंद्रजीत सिंह के चुनाव प्रचार से बिल्कुल दूर दिखाई दिए थे। राव ने चुनाव प्रचार के दौरान भी इस बात को स्वीकार किया था और कहा था कि लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी में परिवर्तन होगा और हरियाणा का नक्शा बदलेगा।

इस बार लोकसभा चुनाव में उनकी जीत का अंतर भी काफी घट गया था। इस बार वह 75 हजार वोटों से चुनाव जीते हैं जबकि पिछली बार उनकी जीत का अंतर 3.36 लाख वोटों का था।

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इनेलो, बसपा के सामने है वजूद बचाने का संकट। (Source-PTI)

कहां है राव इंद्रजीत सिंह का असर

राव का असर अहीरवाल और इसके बाहर भी है। अहीरवाल के इलाके में गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, पटौदी, नारनौल, नांगल चौधरी, बावल, कोसली और अटेली विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनके अलावा नूंह, पुन्हाना, हथीन और फिरोजपुर झिरका विधानसभा क्षेत्रों में भी राव इंद्रजीत सिंह का असर है।

हरियाणा में लोकसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए एक बड़े झटके की तरह हैं। बीजेपी को अगर हरियाणा में फिर से सरकार बनानी है तो उसे सभी बड़े नेताओं को एक मंच पर लाना होगा लेकिन राव इंद्रजीत सिंह और उनके समर्थकों का रुख दिखाता है कि वे राव को कैबिनेट मंत्री नहीं बनाए जाने की वजह से निराश हैं।

बीजेपी को हरियाणा में जाट बेल्ट वाली सीटों- रोहतक, सोनीपत, हिसार में हार मिली है। ऐसे में पार्टी को दक्षिणी हरियाणा के दिग्गज राजनेता राव इंद्रजीत सिंह को मनाना होगा और पूरी ताकत के साथ चुनाव में उतरना होगा वरना विधानसभा चुनाव में उसकी राह मुश्किल हो सकती है क्योंकि लोकसभा चुनाव के आंकड़े भी इसी ओर इशारा करते हैं।

कांटे का रहा मुकाबला

हरियाणा की 90 में से 44 सीटों पर बीजेपी आगे रही है जबकि 46 सीटों पर इंडिया गठबंधन। इंडिया गठबंधन में कांग्रेस 42 और आप चार विधानसभा सीटों पर आगे रही है।

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 79 विधानसभा सीटों पर आगे रही थी लेकिन विधानसभा चुनाव में वह 40 सीटें ही जीती थी। ऐसे में उसके लिए इस बार विधानसभा चुनाव में लड़ाई निश्चित रूप से मुश्किल है।