अपने पहले ही विधानसभा चुनाव में जब जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को अच्छी सफलता मिली थी तब यह कहा गया था कि जेजेपी के बिना हरियाणा में अब कोई भी दल सरकार नहीं बना पाएगा। जेजेपी को पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल की राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी तक बताया जाने लगा था।

लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अपने गठन के छह साल के भीतर ही जेजेपी जबरदस्त बगावत का शिकार हो गई है। पार्टी के 10 में से 6 विधायक बगावत पर उतरे हुए हैं। पार्टी प्रमुख अजय चौटाला की तमाम चेतावनियों के बावजूद भी बागी विधायक पार्टी का कोई आदेश मानने को तैयार नहीं हैं।

Jannayak Janta Party Haryana: कैसे बनी थी जेजेपी?

ताऊ देवीलाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला के दो बेटे हैं। इनके नाम अभय चौटाला और अजय चौटाला हैं। अजय चौटाला और अभय चौटाला में सियासी खटपट के बाद अजय चौटाला ने अपनी सियासी राहें जुदा कर ली और दिसंबर 2018 में जेजेपी बनाई।

अक्टूबर, 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में जेजेपी को 10 विधानसभा सीटों पर जीत मिली और दुष्यंत चौटाला 31 वर्ष जैसी कम उम्र में ही हरियाणा के उपमुख्यमंत्री बन गए। दुष्यंत 26 साल की उम्र में सांसद भी बन गए थे। खट्टर सरकार में जेजेपी के दो विधायकों- देवेंद्र सिंह बबली और अनूप धानक को मंत्री का दर्जा मिला।

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किसानों के प्रदर्शन के दौरान दिल्ली के बॉर्डरों पर लगी थीं कीलें (Source- Express Photo by Amit Mehra)

Farmers Protest Haryana: किसानों की नाराजगी पड़ी भारी

हरियाणा में किसान राजनीति हावी है। इस राज्य का किसान सियासी और आर्थिक रूप से ताकतवर है इसलिए नेताओं को किसानों के मुद्दों को अहमियत देनी ही पड़ती है।

2020 में जब केंद्र सरकार कृषि कानून लाई थी तो अजय और दुष्यंत चौटाला पर किसानों ने हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए दबाव बनाया था। एक साल तक चले किसान आंदोलन के दौरान जेजेपी के सभी विधायकों और दुष्यंत चौटाला को भी किसानों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था। लेकिन जेजेपी ने खट्टर सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया।

इसके उलट इस साल मार्च में बीजेपी ने जेजेपी को तगड़ा झटका दिया और बिना बताए ही गठबंधन तोड़ दिया।

Prime Minister Narendra Modi and Haryana Chief Minister Nayab Singh Saini
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी। (Source- Facebook/Nayab Saini)

Brij Bhushan sexual harassment case: महिला पहलवानों के यौन शोषण का मामला

किसानों की नाराजगी के अलावा बीते साल जब महिला पहलवानों ने बीजेपी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाए थे, तब भी दुष्यंत चौटाला की इस बात के लिए आलोचना की गई थी कि वह हरियाणा में बीजेपी की सरकार के साथ गठबंधन में क्यों हैं लेकिन तब भी दुष्यंत चौटाला ने खट्टर सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया था।

बता दें कि बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप लगाने वाली महिला पहलवान हरियाणा से ही थीं।

JJP MLA Revolt: छह विधायक हैं बगावत की राह पर

जेजेपी के लिए ताजा राजनीतिक हालात इस कदर खराब हैं कि उसके छह विधायक बगावत पर उतरे हुए हैं। इनमें से तीन विधायक खुलकर हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार के समर्थन में हैं।

जो विधायक पार्टी से बगावत कर रहे हैं, उनमें राम कुमार गौतम, जोगी राम सिहाग, रामनिवास सुरजाखेड़ा, रामकरण काला, चौधरी ईश्वर सिंह और देवेंद्र सिंह बबली शामिल हैं। ये विधायक लोकसभा चुनाव में जेजेपी के उम्मीदवारों के प्रचार में नहीं आ रहे हैं। ऐसे में जेजेपी के पास केवल नैना चौटाला उनके बेटे दुष्यंत चौटाला, अनूप धानक और अमरजीत ढांढा ही रह गए हैं। इसके अलावा पार्टी की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष निशांत सिंह सहित कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं।

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(From L-R) अभय चौटाला, सुशील गुप्ता और नवीन जिंदल (Source- Express Archive)

INLD Haryana : इनेलो के लिए संजीवनी होगी जेजेपी में टूट

जेजेपी में चल रहे सियासी संकट पर अजय चौटाला के भाई अभय चौटाला की भी निगाह है। जेजेपी के 2019 में 10 विधायकों के जीतने का सबसे बड़ा सियासी खामियाजा इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को ही उठाना पड़ा था। तब इनेलो को सिर्फ एक विधानसभा सीट से संतोष करना पड़ा था। 2014 के विधानसभा चुनाव में इनेलो को 19 सीटें मिली थीं।

किसान आंदोलन के दौरान अभय चौटाला ने किसानों के समर्थन में विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद हुए उपचुनाव में वह फिर से विधायक बन गए थे और किसानों का समर्थक नेता होने की छवि बनाने में कामयाब रहे थे। चूंकि जेजेपी इनेलो से ही निकली हुई है, ऐसे में इनेलो को उम्मीद है कि जेजेपी के कमजोर होने के बाद उसके समर्थक मतदाता फिर से इनेलो का रुख कर सकते हैं।

Hisar Lok Sabha Chunav 2024: दुष्यंत की मां हैं चुनाव मैदान में

हरियाणा में इस साल अक्टूबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं, उससे पहले लोकसभा चुनाव में जेजेपी का प्रदर्शन उसके राजनीतिक भविष्य की राह तय करेगा। जेजेपी हालांकि 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है लेकिन उसने अपनी पूरी ताकत हिसार सीट पर झोंकी हुई है। हिसार से 2014 में दुष्यंत चौटाला चुनाव जीत चुके हैं। हिसार से दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला चुनाव लड़ रही हैं।

जेजेपी की कोशिश है कि हिसार सीट फिर से हासिल करके विधानसभा चुनाव में ताकत के साथ उतरा जाए लेकिन विधायकों की बगावत की वजह से पार्टी के लिए लोकसभा का चुनाव मजबूती से लड़ पाना आसान नहीं दिख रहा है।

हिसार लोकसभा सीट पर चौटाला परिवार की दो बहुएं आमने-सामने चुनाव लड़ रही हैं। वे रिश्ते में देवरानी और जेठानी लगती हैं। जेजेपी उम्मीदवार नैना चौटाला और इनेलो उम्मीदवार सुनैना चौटाला आपस में देवरानी और जेठानी लगती हैं।

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हिसार में चौटाला परिवार में जंग। (Source- FB)

बड़ी टूट का खतरा

हरियाणा में जेजेपी के विधायकों की बगावत को देखते हुए इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि पार्टी में बहुत बड़ी टूट हो सकती है। याद दिलाना होगा कि महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी में बगावत हो चुकी है और पार्टी के ही नेता क्रमशः एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने अपनी पार्टियों को तोड़कर बीजेपी को समर्थन दे दिया था और पार्टी पर कब्जा भी कर लिया था।