हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से जिस सीट पर सबसे जबरदस्त चुनावी मुकाबला है- उस सीट का नाम रोहतक है। रोहतक सीट पर बीजेपी ने डॉ. अरविंद शर्मा को टिकट दिया है तो कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे और राज्यसभा के सांसद दीपेंद्र हुड्डा को उम्मीदवार बनाया है।
रोहतक लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि इस सीट से चार बार भूपेंद्र सिंह हुड्डा और तीन बार दीपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव जीत चुके हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा भी यहां से दो बार जीत हासिल कर चुके हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिला था और बीजेपी के उम्मीदवार डॉ. अरविंद शर्मा ने दीपेंद्र हुड्डा को 7500 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया था। कांग्रेस की कोशिश फिर से रोहतक सीट को जीतकर इस इलाके में अपनी चौधर वापस लाने की है।
Rohtak Lok Sabha Election Result: रोहतक से अब तक कौन-कौन पहुंचा संसद
साल | कौन बना सांसद | किस दल को मिली जीत |
1952 | रणबीर सिंह हुडा | कांग्रेस |
1957 | रणबीर सिंह हुडा | कांग्रेस |
1962 | लहरी सिंह | भारतीय जन संघ |
1967 | चौधरी रणधीर सिंह | कांग्रेस |
1971 | मुख्तियार सिंह मलिक | भारतीय जन संघ |
1977 | शेर सिंह | जनता पार्टी |
1980 | इंद्रवेश स्वामी | जनता पार्टी (सेक्युलर) |
1984 | हरद्वारी लाल | कांग्रेस |
1987 (उपचुनाव) | हरद्वारी लाल | लोकदल |
1989 | चौधरी देवीलाल | जनता दल |
1991 | भूपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
1996 | भूपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
1998 | भूपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
1999 | इंद्र सिंह | इनेलो |
2004 | भूपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
2005 (उपचुनाव) | दीपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
2009 | दीपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
2014 | दीपेंद्र सिंह हुड्डा | कांग्रेस |
2019 | डॉ. अरविंद शर्मा | बीजेपी |
हरियाणा में पिछले तीन लोकसभा चुनावों के नतीजे क्या रहे हैं।
साल | बीजेपी को मिली सीट | कांग्रेस को मिली सीट | अन्य को मिली सीट |
2009 | 0 | 9 | 1 |
2014 | 7 | 1 | 2 |
2019 | 10 | 0 | 0 |
2009 में हरियाणा की 10 में से 9 सीटें जीतने वाली कांग्रेस बहुत तेजी से नीचे आई है।
Rohtak Lok Sabha Seat: 9 में से 7 सीटें हैं कांग्रेस के पास
रोहतक लोकसभा क्षेत्र तीन जिलों में फैला हुआ है और इसमें कुल नौ विधानसभा सीटें आती हैं। इसकी चार सीटें रोहतक जिले में, चार झज्जर में और एक सीट रेवाड़ी जिले में है। रोहतक लोकसभा क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटों के नाम- महम, गढ़ी सांपला-किलोई, रोहतक, कलानौर (एससी), बहादुरगढ़, बादली, झज्जर (एससी), बेरी और कोसली हैं।
2019 के विधानसभा चुनाव में इन 9 सीटों में से 7 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी जबकि एक सीट पर बीजेपी और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। ऐसे में कांग्रेस यहां काफी मजबूत दिखाई देती है।
Rohtak Lok Sabha Seat Caste Equation: रोहतक के जातीय समीकरण
मतदाता सूची के आंकड़ों के आधार पर रोहतक लोकसभा क्षेत्र में 16.66 लाख मतदाता हैं और इनमें से 6.50 लाख जाट मतदाता हैं। 3 लाख अनुसूचित जाति, 1.75 लाख अहीर, 1.15 लाख पंजाबी, 1.30 लाख ब्राह्मण मतदाता हैं। जातीय समीकरण के हिसाब से साफ दिखाई देता है कि यहां पर जाट मतदाता सबसे ज्यादा हैं। हरियाणा में 4.5 साल तक बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चलाने वाली जननायक जनता पार्टी ने भी रोहतक से जाट समुदाय के रविंद्र सांगवान को टिकट दिया है।

रणदीप हुड्डा का नाम था चर्चा में
पहले यह कहा जा रहा था कि बीजेपी अरविंद शर्मा को करनाल से टिकट दे सकती है और जातीय समीकरण को देखते हुए रोहतक से फिल्म अभिनेता रणदीप हुड्डा को उतार सकती है। इसके अलावा राष्ट्रीय सचिव और जाट समुदाय से आने वाले ओमप्रकाश धनखड़ का नाम भी चर्चा में था। लेकिन बीजेपी ने जाट बनाम गैर जाट के फॉर्मूले पर काम करते हुए फिर से अरविंद शर्मा को ही यहां से उम्मीदवार बनाया।
Rohtak Arvind Sharma: कौन हैं अरविंद शर्मा?
अरविंद शर्मा हरियाणा में तीन लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव जीत चुके हैं। अरविंद शर्मा मूल रूप से झज्जर जिले के गांव माजरा के रहने वाले हैं और 1996 में उन्होंने पहली बार सोनीपत से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लोकसभा का चुनाव जीता था। 1999 में अरविंद शर्मा कांग्रेस में आ गए और 2005 और 2009 में करनाल से लोकसभा का चुनाव जीते। इसके बाद वह बसपा में गए और पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था।
2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की और वह करनाल सीट से ही टिकट मांग रहे थे लेकिन बीजेपी ने उन्हें रोहतक से उतारा था। अरविंद शर्मा ने बेहद मुश्किल मानी जाने वाली यह सीट बीजेपी की झोली में डाल दी थी। अरविंद शर्मा एक वक्त में कांग्रेस में ही हुआ करते थे और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी भी थे।
रोहतक से लगती हुई सोनीपत सीट भी जाट बाहुल्य है। लेकिन पहली बार यहां ऐसा हो रहा है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही गैर जाट समुदाय के नेताओं को टिकट दिया है।

Haryana Jat Politics: बीजेपी का गैर जाट वाला कार्ड करेगा काम?
कांग्रेस की उम्मीद रोहतक लोकसभा सीट पर जाट मतदाताओं से है जबकि भाजपा को गैर जाट मतदाताओं का सहारा है। जाट और गैर जाट मतदाताओं के बीच ही हरियाणा की सियासत घूमती है। अगर कांग्रेस जाट मतदाताओं के बड़े हिस्से को अपने साथ लाने में कामयाब रही और गैर जाट मतदाताओं का भी कुछ हद तक समर्थन उसे मिला तो एक बार फिर दीपेंद्र हुड्डा इस सीट पर कांग्रेस का झंडा लहरा सकते हैं। लेकिन अगर बीजेपी का गैर जाट वाला कार्ड काम कर गया तो बीजेपी यहां फिर से चुनाव जीत सकती है। क्योंकि रोहतक में गैर जाट मतदाताओं की संख्या ज्यादा है।
1966 में बने हरियाणा में 33 साल तक जाट समुदाय के नेताओं को ही मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला है। लेकिन 2014 के बाद से बीजेपी ने गैर जाट नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया है।

Haryana Assembly Election 2024: जल्द होने हैं विधानसभा चुनाव
हरियाणा में 6 महीने बाद ही लोकसभा के चुनाव होने हैं और लोकसभा के चुनाव में जीत हासिल करने वाले राजनीतिक दल को विधानसभा चुनाव के लिए एक मनोवैज्ञानिक बढ़त मिल जाती है।
इसलिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों की कोशिश ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की है। इनमें से भी रोहतक को जीतने के लिए दोनों दल पूरा जोर लगा रहे हैं।