हरियाणा कांग्रेस में बड़ी सेंधमारी करते हुए बीजेपी ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी को पार्टी में शामिल कर लिया है। किरण चौधरी के साथ ही उनकी बेटी और पूर्व सांसद श्रुति चौधरी भी बीजेपी में शामिल हो गई हैं।

हरियाणा में 4 महीने के अंदर विधानसभा के चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए अच्छे और बीजेपी के लिए खराब रहे हैं।

ऐसे में सवाल यह है कि क्या किरण चौधरी के आने से वाकई बीजेपी को कुछ फायदा मिलेगा?

बीजेपी-कांग्रेस को मिली 5-5 सीटें, पिछली बार बीजेपी ने जीती थी 10 सीटें

सीटसांसद का नामराजनीतिक दल
अंबालावरुण चौधरीकांग्रेस
सिरसाकुमारी सैलजाकांग्रेस
कुरूक्षेत्रनवीन जिंदलबीजेपी
करनालमनोहर लाल खट्टरबीजेपी
सोनीपतसतपाल ब्रह्मचारीकांग्रेस
रोहतकदीपेंद्र सिंह हुडाकांग्रेस
हिसारजय प्रकाशकांग्रेस
भिवानी-महेंद्रगढ़धर्मबीर सिंहबीजेपी
गुड़गाँवराव इंद्रजीत सिंहबीजेपी
फरीदाबादकृष्ण पाल गुर्जरबीजेपी

कौन हैं किरण चौधरी?

पहले जानते हैं कि किरण चौधरी और श्रुति चौधरी कौन हैं। किरण चौधरी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की बहू हैं। वह पांच बार विधायक रही हैं और 2019 में भिवानी जिले की तोशाम सीट से जीती थीं।

किरण चौधरी दो बार हरियाणा में कैबिनेट मंत्री रही हैं और नेता विपक्ष जैसे बड़े पद पर भी उन्होंने काम किया है। हरियाणा से लगते हुए प्रदेश दिल्ली में भी वह विधायक और डिप्टी स्पीकर का पद संभाल चुकी हैं। इससे पता चलता है कि किरण चौधरी हरियाणा की सियासत में बड़ा नाम हैं।

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हरियाणा का विधानसभा चुनाव जीत पाएगी बीजेपी?(Source-FB)

2009 में लोकसभा का चुनाव जीती थीं श्रुति चौधरी

किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी 2009 के लोकसभा चुनाव में भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बनी थीं लेकिन 2014 और 2019 में उन्हें यहां से हार मिली थी। श्रुति चौधरी इस बार भी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से लोकसभा चुनाव में टिकट की दावेदार थीं लेकिन पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी और विधायक राव दान सिंह को उम्मीदवार बनाया था। राव दान सिंह को चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार चौधरी धर्मबीर सिंह के हाथों हार मिली है।

श्रुति चौधरी पार्टी छोड़ने से पहले हरियाणा कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष का पद संभाल रही थीं।

गुटबाजी की वजह से छोड़ी कांग्रेस

किरण चौधरी और उनकी बेटी के पार्टी छोड़ने के कारण हरियाणा कांग्रेस में चल रही गुटबाजी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले फिर से सामने आ गई है। किरण चौधरी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे गए पत्र में इस ओर स्पष्ट रूप से इशारा भी किया है। उन्होंने कहा है कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी को एक निजी जागीर की तरह चलाया जा रहा है और दूसरे लोगों को अपमानित किया जा रहा है।

श्रुति चौधरी ने भी इसी तरीके के आरोप लगाए हैं और कहा है कि हरियाणा में पूरी पार्टी एक व्यक्ति तक केंद्रित होकर रह गई है।

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पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा। (Source-FB)

हरियाणा कांग्रेस में जबरदस्त गुटबाजी

हरियाणा कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान का एक गुट है जबकि दूसरा गुट राज्यसभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा का है। इस गुट में किरण चौधरी भी शामिल थीं और इसीलिए इस गुट को एसआरके (सैलजा-रणदीप-किरण) गुट कहा जाता था।

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कुमारी सैलजा ने चुनाव में टिकट बंटवारे पर सवाल उठाया था और कहा था कि अगर टिकट वितरण ढंग से हुआ होता तो कांग्रेस भिवानी-महेंद्रगढ़ सहित बाकी सीटें भी जीत सकती थी। उनका निशाना सीधे तौर पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर था।

अशोक तंवर ने भी छोड़ी थी पार्टी

2019 के विधानसभा चुनाव से पहले भी लगभग ऐसा ही हुआ था जब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया था। अशोक तंवर ने भी हुड्डा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाए थे कि जिन नेताओं को राहुल गांधी ने आगे बढ़ाया है उन्हें खत्म करने की साजिश रची जा रही है। अशोक तंवर युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद भी रहे थे। उन्होंने इस बार बीजेपी के टिकट पर सिरसा से चुनाव लड़ा था लेकिन कुमारी सैलजा से हार गए थे।

अशोक तंवर के पार्टी छोड़ने के बाद भी कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया था और इसका श्रेय हुड्डा को दिया गया था।

कांग्रेस ने 2019 में दोगुनी सीटें जीती

साल बीजेपी को मिली सीटेंकांग्रेस को मिली सीटें इनेलो को मिली सीटेंजेजेपी को मिली सीटेंअन्य को मिली सीटें
20144715199
201940311108
हरियाणा की विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं।

जाट बेल्ट में हारी बीजेपी

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे साफ बताते हैं कि हरियाणा में जाट बेल्ट वाली सीटों यानी- सोनीपत, रोहतक, हिसार में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में इन सीटों को जीतने वाली बीजेपी इस बार तीनों जगह हार गई है। लोकसभा चुनाव के नतीजे यह भी बताते हैं कि बीजेपी के लिए विधानसभा चुनाव में लड़ाई आसान नहीं रहेगी।

बीजेपी का वोट शेयर गिरा, कांग्रेस का बढ़ा

राजनीतिक दललोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में)लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में)
कांग्रेस 28.51 43.67
बीजेपी 58.2146.11 

जाट वोट हासिल कर पाएगी बीजेपी?

बीजेपी 2014 में हरियाणा में सरकार बनाने के बाद से ही गैर जाट नेताओं को मुख्यमंत्री बनाते आई है। पहले मनोहर लाल खट्टर और अब नायब सिंह सैनी के रूप में उसने गैर जाट नेताओं को ही मुख्यमंत्री बनाया है। हरियाणा से केंद्रीय मंत्रिमंडल में चुने गए तीनों सांसद- मनोहर लाल खट्टर, कृष्ण पाल गुर्जर और राव इंद्रजीत सिंह गैर जाट बिरादरी से ही आते हैं। हरियाणा में 25 प्रतिशत आबादी जाट मतदाताओं की है। इसलिए ऐसा नहीं है कि पार्टी इतनी बड़ी आबादी वाले जाट वोट बैंक को नजरअंदाज करने का जोखिम उठाएगी।

इसलिए ऐसी चर्चा है कि हरियाणा में खाली हुई राज्यसभा की एक सीट पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी किरण चौधरी को उम्मीदवार बना सकती है और किरण चौधरी की विधानसभा सीट खाली होने पर वहां से श्रुति चौधरी को मैदान में उतार सकती है।

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पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडा और सीएम नायब सैनी। (Source- FB)

इन सीटों पर मिल सकता है फायदा

बड़ा सवाल यही है कि किरण चौधरी और श्रुति चौधरी के आने से बीजेपी को क्या फायदा मिलेगा? किरण चौधरी और श्रुति चौधरी के बीजेपी में शामिल होने से बीजेपी को भिवानी और महेंद्रगढ़ जिले की विधानसभा सीटों पर फायदा मिल सकता है। इन विधानसभा में तोशाम, लोहारू, चरखी दादरी, भिवानी, बाडढा के साथ महेंद्रगढ़ जिले की नारनौल, नांगल चौधरी और अटेली सीट शामिल हैं।

चौधरी बंसीलाल हरियाणा में जाट राजनीति के बड़े चेहरे थे। भिवानी-महेंद्रगढ़ की विधानसभा सीटों के अलावा बंसीलाल के समर्थक जाट मतदाताओं के वोट भी बीजेपी को मिल सकते हैं।

हरियाणा के तीनों लाल की पीढ़ियां अब बीजेपी में

हरियाणा अपनी लालों की राजनीति के लिए मशहूर है। यहां के तीन पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल, चौधरी भजनलाल और चौधरी बंसीलाल को हरियाणा और हरियाणा से बाहर भी जाना पहचाना जाता है। पिछले कुछ सालों में एक और लाल मनोहर लाल खट्टर का नाम भी इस सूची में जुड़ा है।

किरण चौधरी और श्रुति चौधरी के बीजेपी में शामिल होने से बंसीलाल परिवार की सियासी विरासत अब बीजेपी के साथ है। जबकि चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई, कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई पहले से ही बीजेपी में हैं। देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला भी बीजेपी में हैं और इस चुनाव में हिसार से लड़े थे लेकिन हार गए।

कांग्रेस नेतृत्व को सैलजा-रणदीप को साधना होगा

इस लोकसभा चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस ने दमदार प्रदर्शन किया है। इससे ऐसा लगता है कि विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में भी हुड्डा की ही चलेगी। ऐसे में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को रणदीप सुरजेवाला और कुमारी सैलजा के समर्थकों को भी टिकट में अच्छी भागीदारी देनी होगी वरना यह नेता नाराज होकर घर पर बैठ सकते हैं और जीत के सपने संजो रही कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है।

हरियाणा कांग्रेस में 90 फीसदी विधायक हुड्डा के साथ माने जाते हैं जबकि पांच में से चार सांसद ऐसे हैं, जिन्हें भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सिफारिश पर टिकट मिला था। इसमें सतपाल ब्रह्मचारी सोनीपत से, जयप्रकाश हिसार से, वरुण चौधरी अंबाला से और हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम शामिल है।

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चुनाव प्रचार के दौरान किसानों ने किया था बीजेपी नेताओं का विरोध। (File Photo)

बीजेपी से नाराज हैं किसान

बीजेपी के लिए हरियाणा में सबसे बड़ी मुश्किल किसानों की नाराजगी का मुद्दा है। लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान उसके उम्मीदवारों को कई जगहों पर किसानों के पुरजोर विरोध का सामना करना पड़ा था। ऐसे में देखना होगा कि क्या विधानसभा चुनाव में भी किसान बीजेपी का विरोध करेंगे या भाजपा उन्हें शांत कर पाएगी?