हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक गहमागहमी शुरू हो गयी है। राज्य में एक चरण में 1 अक्टूबर को मतदान होगा और 4 अक्टूबर 2024 को नतीजे आएंगे। इसके साथ ही हरियाणा की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले चौटाला परिवार ने भी चुनाव के लिए कमर कस ली है। जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस को राज्यसभा उपचुनाव में कैंडिडेट खड़ा करने की चुनौती दी है।

दुष्यंत चौटाला ने पार्टी के विधायकों के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा कि अब तो हमारे 4-5 विधायक भी कांग्रेसी हो चुके हैं। अब तो कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव जीतने के करीब है। अगर भूपेन्द्र हुड्डा की बीजेपी से सांठगांठ नहीं है तो वो राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार खड़ा करीं, हम पहले से ही बीजेपी के खिलाफ वोट करने का वादा कर चुके हैं।

आइये जानते हैं चौटाला परिवार का इतिहास और हरियाणा की राजनीति में उनकी भूमिका के बारे में।

2018 में हुआ था INLD में विभाजन

हरियाणा के प्रभावशाली परिवारों में से एक चौटाला परिवार में झगड़े के कारण उनकी पार्टी, इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) में दिसंबर 2018 में विभाजन हो गया और उन्होंने एक अलग संगठन, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का गठन किया। इनेलो की स्थापना पूर्व उप प्रधानमंत्री स्वर्गीय देवीलाल ने की थी, जो उत्तर भारत के सबसे बड़े किसान नेताओं में से एक थे। हरियाणा में भाजपा के उदय और कांग्रेस के पुनरुत्थान के बीच इनेलो और जेजेपी दोनों ने उनकी राजनीतिक विरासत को बनाए रखने के लिए लंबा संघर्ष किया है।

जेजेपी का नेतृत्व ओम प्रकाश के बड़े बेटे अजय चौटाला और उनके बेटे कर रहे

आईएनएलडी का नेतृत्व 89 वर्षीय ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अभय चौटाला कर रहे हैं जबकि जेजेपी का नेतृत्व ओम प्रकाश के बड़े बेटे अजय चौटाला और उनके बेटे, हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कर रहे हैं।

इनेलो संरक्षक और देवीलाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला सात बार विधायक और पांच बार हरियाणा के सीएम रहे हैं। अभय चार बार के विधायक हैं जबकि अजय तीन बार के विधायक (एक बार हरियाणा में, दो बार राजस्थान में) और लोकसभा और राज्यसभा दोनों के पूर्व सदस्य हैं।

2019 के विधानसभा चुनाव में INLD और JJP ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था

2019 के विधानसभा चुनावों में, INLD और JJP ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। तब आईएनएलडी केवल एक सीट ऐलनाबाद जीत सकी थी, जिसे अभय ने जीता था और राज्य की 90 में से 81 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद उसे 2.44% वोट मिले थे। जेजेपी ने हालांकि 14.80% वोट शेयर हासिल करते हुए 87 सीटों में से 10 सीटें हासिल की थीं।

2019 के चुनावों में त्रिशंकु विधानसभा हुई और मौजूदा भाजपा ने 40 सीटें जीतीं जो सामान्य बहुमत से छह कम थी, जबकि कांग्रेस के पास 31 सीटें थीं। जिसके बाद जेजेपी नेता दुष्यंत किंगमेकर के रूप में उभरे। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को जेजेपी के समर्थन के बदले में, दुष्यंत को मनोहर लाल खट्टर मंत्रिमंडल में डिप्टी सीएम के रूप में शामिल किया गया था।

2019 विधानसभा चुनाव परिणाम

राजनीतिक दलमिली सीटें
बीजेपी40
कांग्रेस31
जननायक जनता पार्टी10
निर्दलीय 7
इनेलो1
हरियाणा लोकहित पार्टी1

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा ने जेजेपी से गठबंधन तोड़ दिया

हालांकि, इस साल मार्च में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने जेजेपी से नाता तोड़ लिया और खट्टर की जगह पार्टी नेता नायब सिंह सैनी को सीएम बना दिया। सत्ता से बाहर होने के बाद से ही जेजेपी का पतन जारी है। तीन विधायकों को छोड़कर जिनमें खुद दुष्यंत (उचाना कलां सीट), उनकी मां नैना चौटाला (भद्रा) और अमरजीत ढांडा (जुलाना) शामिल हैं, बाकी सभी ने पार्टी छोड़ दी है।

जेजेपी का पतन

इनमें से पांच विधायक- राम कुमार गौतम (नारनौंद), अनूप धानक (उकलाना), देवेंदर बबली (टोहाना), राम करण काला (शाहबाद) और ईश्वर सिंह (गुहला) शामिल हैं, जिन्होंने आधिकारिक तौर पर जेजेपी छोड़ दी है और वे भाजपा या कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।

वहीं, जेजेपी ने दो विधायकों – जोगी राम सिहाग (बरवाला) और राम निवास सुरजाखेड़ा (नरवाना) को उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए नोटिस जारी किया है। उनके भी बीजेपी में शामिल होने की संभावना है। इस बीच प्रदेश जेजेपी अध्यक्ष निशान सिंह ने पार्टी छोड़ दी है और कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।

जेजेपी फिर से किंगमेकर बनकर उभरेगी- दुष्यंत चौटाला

दुष्यन्त का दावा है कि वह इन चीजों से अप्रभावित रहते हैं। वह कहते हैं, “जेजेपी चौधरी देवीलाल की नर्सरी है। लोग यहां आते हैं, प्रशिक्षित होते हैं, पद ग्रहण करते हैं और फिर संघर्ष के समय चले जाते हैं। सात विधायक जो चले गए हैं, उनमें से छह ने लोकसभा चुनाव के दौरान पहले ही पार्टी से दूरी बना ली थी। उनका इस्तीफा देना महज एक औपचारिकता थी। विधानसभा चुनाव में अभी 42 दिन बाकी हैं और जेजेपी फिर से किंगमेकर बनकर उभरेगी।”

आखिरी बार चौटाला परिवार ने एकजुट होकर 2009 में चुनाव लड़ा था

आखिरी बार जब चौटाला परिवार ने इनेलो के अंडर एकजुट होकर 2009 में हरियाणा में चुनाव लड़ा था तब पार्टी को 25.79% वोट शेयर के साथ 31 सीटें मिली थीं। ओम प्रकाश तब विपक्ष के नेता (एलओपी) थे, जबकि 40 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन से फिर से सरकार बनाई थी। उस चुनाव में बीजेपी महज 4 सीटें जीत सकी थी। उसके बाद 2014 में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा केंद्र में सत्ता में आई तो पार्टी ने हरियाणा में भी इतिहास रचा और 47 सीटें जीतकर राज्य में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई।

2014 के राज्य चुनावों में भी चौटाला परिवार ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा और इनेलो ने 24.1% वोट शेयर के साथ 19 सीटें जीतीं। कांग्रेस को सिर्फ 15 सीटें मिलीं थी और जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल गए ओम प्रकाश की अनुपस्थिति में अभय को नेता प्रतिपक्ष नामित किया गया था।

जेजेपी के खिलाफ लोगों में गुस्सा

डिप्टी सीएम के रूप में दुष्यंत के लगभग साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान जेजेपी को उम्मीद थी कि वह राज्य में अपना समर्थन आधार बढ़ाने में सक्षम होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर चले किसान आंदोलन के दौरान उन्हें हरियाणा के लोगों के एक वर्ग और अपनी ही पार्टी के नेताओं और विधायकों के गुस्से का सामना करना पड़ा। जेजेपी ने नवंबर 2023 के विधानसभा चुनावों में राजस्थान में 19 उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर अपनी बढ़त बनाने की कोशिश की, जिनमें से सभी की जमानत जब्त हो गई।

2024 के लोकसभा चुनावों में, जेजेपी ने हरियाणा की सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ा जबकि आईएनएलडी ने उनमें से सात पर चुनाव लड़ा। दोनों पार्टियों को एक भी सीट नहीं मिली। बीजेपी और कांग्रेस ने पांच-पांच सीटें जीतीं। राज्य में किसी भी विधानसभा क्षेत्र में न तो जेजेपी और न ही इनेलो ने नेतृत्व किया।

जाट बहुल हिसार सीट पर कांग्रेस के जय प्रकाश (जो कभी देवी लाल के शिष्य थे) ने चौटाला परिवार के तीन सदस्यों – देवी लाल के बेटे रणजीत सिंह (भाजपा) और ओम प्रकाश की बहुएं सुनैना चौटाला (आईएनएलडी) और नैना चौटाला (जेजेपी) को हराया।

पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में इनेलो को मिली सीटें

राजनीतिक दलविधानसभा चुनाव 2009 में मिली सीट विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट
कांग्रेस 401531
बीजेपी 44740
इनेलो31191
जेजेपी10
हजकां(बीएल)62
अन्य978

इनेलो और जेजेपी का विलय?

हालांकि चौटाला परिवार के कई वफादार अब भी मानते हैं कि अगर इनेलो और जेजेपी दोनों का विलय हो जाता है और एकजुट होकर चुनाव लड़ते हैं तो यह फिर से राज्य की राजनीति में वापसी कर सकती है। लेकिन, उनकी ख़राब स्थिति को देखते हुए, इस स्तर पर ऐसा होने की संभावना बहुत कम लगती है।