दिल्ली के अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की संख्या अचानक काफी बढ़ गई है। राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ-साथ ओपीडी में मरीजों की संख्या में करीब 20 प्रतिशत तक इजाफा देखा गया है। सर्दियों के मौसम में हर साल सांस से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ती है, लेकिन इस बार हालात ज्यादा गंभीर हैं। दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में मरीजों की कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि अस्पताल में जरूरी दवाइयों की भारी कमी देखने को मिल रही है। नेबुलाइजर, कफ सिरप, मल्टीविटामिन और अन्य जरूरी इनहेलर्स जैसी दवाइयां अस्पताल की फार्मेसी में उपलब्ध नहीं हैं। इस वजह से मरीजों को बाहर निजी मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इंडियन एक्सप्रेस के पास मौजूद लोकनायक अस्पताल के कई प्रिस्क्रिप्शन पर्चों में कई दवाइयों के सामने साफ तौर पर “नॉट अवेलेबल” लिखा हुआ है।
गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं। यही कारण है कि बड़ी संख्या में गरीब और जरूरतमंद लोग इन अस्पतालों पर निर्भर रहते हैं। लेकिन मौजूदा हालात में लोकनायक अस्पताल में जरूरी दवाइयां न मिलने से सबसे ज्यादा परेशानी इन्हीं लोगों को उठानी पड़ रही है।
दरियागंज की रहने वाली निशा बताती हैं कि उनके सात साल के बेटे नमन के लिए Bromhexine सिरप और मल्टीविटामिन सिरप की जरूरत थी, लेकिन अस्पताल की फार्मेसी में ये दवाइयां उपलब्ध नहीं थीं। Bromhexine सिरप का इस्तेमाल बलगम को पतला करने, खांसी कम करने और छाती में जकड़न दूर करने के लिए किया जाता है। निशा के मुताबिक, वह कई सालों से लोकनायक अस्पताल आ रही हैं, लेकिन फार्मेसी के शेल्फ अक्सर खाली ही मिलते हैं। उनका कहना है कि उनकी खुद की कोई आमदनी नहीं है और पति भी पास के स्कूल में पढ़ाते हैं, ऐसे में वे अपने बच्चे के भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं।
कुछ ऐसी ही परेशानी मयूर विहार में रहने वाले 40 वर्षीय प्रेम कुमार की भी है, जो पेशे से सिक्योरिटी गार्ड हैं। प्रेम लोकनायक अस्पताल में इलाज के लिए गए थे, लेकिन उन्हें MDI Tiova, NAC 600 tablets और Bromhexine जैसी जरूरी दवाइयां नहीं मिलीं। एक घंटे तक लाइन में लगने के बाद उन्हें बताया गया कि दवाइयां स्टॉक में नहीं हैं। प्रेम कहते हैं कि अब मजबूरी में बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं।
20 वर्षीय लक्ष्मण का कहना है कि उनकी मां के लिए Budecort और Ipratropium जैसी जरूरी दवाइयां भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं थीं। ये दवाइयां क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और अस्थमा के इलाज में इस्तेमाल की जाती हैं। Budecort अस्थमा और सीओपीडी के लॉन्ग-टर्म कंट्रोल के लिए दी जाती है, जबकि अन्य दवाइयां इनहेलेशन सॉल्यूशन या नेबुलाइजर के रूप में दी जाती हैं।
इंडियन एक्सप्रेस ने दवाइयों की भारी कमी को लेकर लोकनायक अस्पताल और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई आधिकारिक जवाब नहीं मिला। हालांकि, अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि पिछले कई महीनों से नेबुलाइजर और जरूरी कफ सिरप उपलब्ध नहीं हैं। फिलहाल केवल कुछ गिनी-चुनी दवाइयां ही मिल पा रही हैं।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, आखिरी बार अक्टूबर में दवाइयों की खरीद की गई थी, लेकिन वह भी जरूरत का केवल 25 प्रतिशत ही थी। दवाइयों की कमी की एक बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि दिल्ली सरकार ने स्थानीय स्तर पर दवाइयों की खरीद पर रोक लगा दी है। अब सभी दवाइयां सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी के जरिए खरीदी जाती हैं, जिसमें टेंडरिंग की लंबी प्रक्रिया शामिल होती है।
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