सुप्रीम कोर्ट ने फिल्ममेकर लीना मणिमेकलाई (Leena Manimekalai) को राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज सभी FIR दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud), जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने सुनवाई करते हुए फिल्ममकर को एफआईआर रद्द कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट जाने की छूट भी दी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि लीना के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की IFSO यूनिट को ट्रांसफर की जाए। साथ ही याचिकाकर्ता को बल पूर्वक कार्रवाई के खिलाफ मिली अंतरिम राहत मौजूदा और भविष्य की एफआईआर में भी बरकरार रहेगी। याचिकाकर्ता को यह भी छूट है कि वह सेक्शन 482 के तहत दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकती हैं।
CJI चंद्रचूड़ क्या बोले?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सभी एफआईआर को रद्द करने के लिए आर्टिकल 32 का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। ऐसे में तो यह एक प्रेक्टिस बन जाएगी।
चाहे तो वीडियो कॉल पर बात कर लें
चीफ जस्टिस के आदेश पर केंद्र की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दलील दी कि कृपया सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ता अब कोऑपरेट करें। इस पर सीजेआई ने कहा कि फिल्म में के अलावा और कोई मुद्दा है ही नहीं। वह एक युवा महिला हैं…आप चाहे तो उनसे वीडियो कॉल या किसी और चीज पर बात कर सकती हैं।
क्या है विवाद?
आपको बता दें कि फिल्ममेकर लीना मणिमेकलाई (Leena Manimekalai) के खिलाफ उनकी फिल्म ‘काली’ के पोस्टर में कथित आपत्तिजनक तस्वीर के खिलाफ देश के तमाम हिस्सों में एफआईआर दर्ज हुई है। फिल्म के पोस्टर में मां काली को सिगरेट पीते दिखाया गया था और एक हाथ में उन्होंने एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी का झंडा पकड़ रखा था। एक वर्ग को यही बात खराब लगी।
कौन हैं लीना मणिमेकलाई?
लीना मणिमेकलाई मूल रूप से तमिलनाडु के मदुरै की रहने वाली हैं। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वालीं लीना की महज 18 की उम्र में शादी करा दी गई थी। बाद में उन्होंने अपने पति से तलाक ले लिया। लेना ने बताया है कि वह बाय सेक्सुअल हैं।
आईटी फर्म में भी कर चुकी हैं नौकरी
लीना के पिता तमिल प्रोफेसर थे। पिता की मौत के बाद उन्होंने आईटी कंपनी में काम किया। बाद में नौकरी छोड़ फिल्ममेकिंग की राह पकड़ ली। साल 2002 में ‘महात्मा’ नाम से पहले डॉक्यूमेंट्री का डायरेक्शन किया था।
पहले भी कोर्ट जा चुका है मामला
यह कोई पहला मामला नहीं है जब लीना कोर्ट गई हैं। साल 2011 में उन्होंने ‘सेंदगल’ नाम से एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी, जो श्रीलंका और भारत के बीच फंसे मछुआरों पर केंद्रित थी। इस डॉक्यूमेंट्री पर भी सरकार के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी का आरोप लगा। मामला कोर्ट गया और आखिरकार डॉक्यूमेंट्री को बिना किसी कट के रिलीज करने की इजाजत मिली थी।