वंदना कालरा
हेनरी कार्टियर-ब्रेसन, मार्गरेट बॉर्के-व्हाइट और मैक्स डेसफ़ोर जैसे दुनिया के कई ख्याति प्राप्त फोटोग्राफरों ने महात्मा गांधी की तस्वीर खींचीं। हालांकि, गांधी की वह तस्वीर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हुई जो भारतीय करेंसी पर छपी है। 1947 में स्वतंत्र भारत के गठन के बाद राष्ट्रपिता के रूप में गांधी राष्ट्रीय मुद्रा पर छापे जा सकते थे। लेकिन तब ऐसा हुआ नहीं। गांधी भारतीय करेंसी पर कई दशकों के बाद, 1996 में परमानेंट हुए। बाद में गांधी की वह तस्वीर ही भारतीय नोटों की पहचान बन गई।
गांधी की जयंती के मौके पर हम भारतीय नोटों पर दिखने वाली गांधी की तस्वीर के इतिहास के बारे में जानेगें। साथ ही जानेंगे कि गांधी के अलावा और किन-किन लोगों की तस्वीर लगाने के सुझाव आ चुके हैं।
भारतीय मुद्रा पर गांधी की तस्वीर छपने की कहानी
बैंक नोटों पर दिखाई देने वाली गांधी की तस्वीर कोई केरीकेचर नहीं है। यह 1946 में ली गई एक तस्वीर का कट-आउट है, जहां वह ब्रिटिश राजनेता लॉर्ड फ्रेडरिक विलियम पेथिक-लॉरेंस के साथ खड़े हैं। तस्वीर का चयन इसलिए किया गया क्योंकि इसमें गांधी मुस्करा रहे थे। हालांकि उस विशेष फोटो के फोटोग्राफर और उसे शॉर्टलिस्ट करने वाले व्यक्ति की पहचान अज्ञात बनी हुई है।
भारतीय मुद्रा पर महात्मा गांधी पहली बार साल 1969 में अपने 100वें जन्मदिन पर नजर आए थे। तब गांधी जयंती के मौके पर नोटों की एक स्पेशल सीरीज जारी की गई थी। उन नोटों पर आरबीआई गवर्नर एलके झा के हस्ताक्षर थे। बैकग्राउंड में सेवाग्राम आश्रम और साथ में गांधी की तस्वीर थी। इसके बाद अक्टूबर 1987 में गांधी की तस्वीर वाले 500 रुपये के नोटों की एक श्रृंखला शुरू की गई।
बता दें भारतीय नोटों को आरबीआई का करेंसी मैनेजमेंट डिपार्टमेंट डिजाइन करता है। डिपार्टमेंट को डिजाइन के लिए केंद्रीय बैंक और केंद्र सरकार से मंजूरी लेनी होती है।
कैसे थे स्वतंत्र भारत के शुरुआती नोट?
15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र भारत की घोषणा के बाद भी कुछ महीनों तक आरबीआई ने किंग जॉर्ज VI की तस्वीर वाले औपनिवेशिक काल के नोट जारी रखे थे। भारत सरकार ने 1949 में 1 रुपये के नोट का नया डिजाइन पेश किया। वॉटरमार्क विंडो में किंग जॉर्ज को सारनाथ के अशोक स्तंभ के शेर से बदल दिया गया।
भारतीय नोट के लिए अशोक स्तंभ के शेर को ही क्यों चुना गया, इसकी जानकारी आरबीआई म्यूजियम की वेबसाइट पर मिलती है, “स्वतंत्र भारत के लिए प्रतीकों को चुना जाना था। शुरुआत में यह महसूस किया गया कि राजा (किंग जॉर्ज VI) की तस्वीर की जगह महात्मा गांधी का चित्र लगाया जाए। इसके लिए डिजाइन भी तैयार किए गए थे। लेकिन अंतिम विश्लेषण में गांधी की जगह अशोक स्तंभ के शेर को लेकर सहमति बनी।”
नतीजतन, 1950 में रिपब्लिक इंडिया के पहले बैंक नोट 2, 5, 10 और 100 रुपये के मूल्यवर्ग में जारी किए गए थे। उन सभी पर अशोक स्तंभ के शेर का वॉटरमार्क था। बाद में उच्च मूल्यवर्ग के नोट भी आए। उन पर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली दूसरी चीजों को जगह मिलती गईं। शुरुआती वर्षों में बाघ और सांभर हिरण जैसे जीव-जंतुओं के रूपांकनों को जगह मिली। 1970 के दशक में कृषि प्रयासों को दर्शाने वाली तस्वीरों को जगह मिली, जैसे खेती करना और चाय की पत्तियां तोड़ना। 1980 के दशक में वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति और भारतीय कला के प्रतीकों पर जोर दिया गया, जैस 2 रुपये के नोट पर आर्यभट्ट उपग्रह, 5 रुपये पर कृषि का मशीनीकरण और 20 रुपये पर कोणार्क व्हील, आदि।
भारतीय नोटों पर गांधी की तस्वीर परमानेंट कब और क्यों हुई?
1990 के दशक में डिजिटल प्रिंटिंग, स्कैनिंग, फोटोग्राफी और ज़ेरोग्राफी जैसी तकनीकों में प्रगति को देखते हुए आरबीआई को लगा कि करेंसी नोटों के सिक्योरिटी फीचर अपर्याप्त है। कथित तौर पर यह माना जाता था कि मानव चेहरे की तुलना में निर्जीव वस्तुओं को बनाना अपेक्षाकृत आसान होगा। गांधी को उनकी राष्ट्रीय अपील के कारण चुना गया था। अशोक स्तंभ के शेर की जगह महात्मा गांधी ने ले ली। 1996 में आरबीआई ने महात्मा गांधी की तस्वीर वाली नोटों की नई सीरीज जारी की। इन नोटों में कई सिक्योरिटी फीचर थे। नोटों में दृष्टिबाधित लोगों के लिए इंटैग्लियो की भी सुविधा थी।
2016 में RBI ने बैंक नोटों की नई श्रृंखला जारी की। नोटों में गांधी तो थे ही साथ ही कुछ एक्स्ट्रा सिक्योरिटी फीचर भी जोड़े गए। इसके अलावा नोटों के पीछे स्वच्छ भारत अभियान का लोगो भी जुड़ गया।
बैंक नोटों पर दूसरों को भी शामिल करने की मांग
हाल के वर्षों में गांधी के अलावा अन्य लोगों के बारे में भी कई सुझाव आए हैं जिन्हें करेंसी नोटों में शामिल किया जा सकता है। अक्टूबर 2022 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार से भारतीय नोटों पर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की तस्वीर लगाने की अपील की थी।
2014 में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को शामिल करने के सुझाव आए थे। लोकसभा को संबोधित करते हुए, तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आरबीआई ने बैंक नोटों पर गांधी के चित्र को किसी अन्य नेता के साथ बदलने के सुझाव को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा था, “समिति (आरबीआई द्वारा गठित) ने निर्णय लिया कि महात्मा गांधी से बेहतर कोई अन्य व्यक्तित्व भारत के लोकाचार का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है।”
उसी वर्ष, तत्कालीन आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने भी कहा था कि भारत में कई महान हस्तियां हैं लेकिन गांधी अन्य सभी से ऊपर हैं।