देश का टॉप मेकअप ब्रांड ‘लैक्मे’ आज दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में इस्तेमाल किया जाता है। 300 से ज्यादा तरह के प्रॉडक्ट बेचता है। 485 ब्यूटी सैलों चलाता है। लैक्मे का फैशन वीक साल में दो बार होना वाला एक ऐसा जलसा बन चुका है, जिसमें देश दुनिया के बड़े-बड़े सितारे शिरकत करते हैं। कोविड के कारण बिक्री में 19 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में लैक्मे का टर्नओवर 230 करोड़ रुपये था।

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नेहरू की कल्पनाः ये जानकारी तो आम है। लेकिन क्या आपको पता है कि लैक्मे भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित मेकअप ब्रांड है। आज हिन्दुस्तान यूनीलीवर के स्वामित्व वाली इस कंपनी की शुरूआत देश के मशहूर उद्योगपति जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा ने की थी। लेकिन इस ब्रांड की कल्पना टाटा की नहीं थी। भारत में लैक्मे जैसा कोई मेकअप ब्रांड होना चाहिए इसका ख्याल आया था देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को।

1950 का वो दौरा था। इकनॉमी के मामले में देश अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहा था। देश में अच्छी गुणवत्ता वाले देसी पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स की कमी थी। भारत में इसका उत्पादन करने वाल भी न के बराबर थे। ऐसे में देश की अमीर और संपन्न घरानों की महिलायें ब्यूटी प्रोडक्ट्स विदेशों से मंगवाती थीं। बाहर देश से आयात करने का मतलब था, एक मोटी रकम विदेश भेजना। एक नवजात अर्थव्यवस्था के लिए ये सही नहीं था। ऐसे में तत्कालीन प्रधानमंत्री को इसकी चिंता हुई। अपनी चिंता और इंडियन मेकअप ब्रांड शुरू करने का आइडिया लेकर नेहरू अपने दोस्त जेआरटी टाटा के पास पहुंचे।

टाटा ने बनाया ब्रांडः टाटा को नेहरू का आइडिया पसंद आया। उस वक्त इस क्षेत्र में कोई खास कॉम्पिटीशन भी नहीं था। तो काम शुरू कर दिया गया। साल 1953 में टाटा ऑयल मिल्स कंपनी (TOMCO) ने लैक्मे की शुरुआत की। तब लैक्मे का पूरा स्वामित्व TOMCO के पास था। TOMCO ने लैक्में की शुरुआत के लिए फ्रांस की दो नामी कंपनियों Robert Piguet और Renoir को साथ लिया था। Robert Piguet कंपनी के साथ-साथ एक व्यक्ति का भी नाम है। इन्होंने अपने ही नाम से परफ्यूम बनाने की कंपनी शुरू की थी।

खैर, लैक्मे को खड़ा करने के लिए TOMCO ने इन विदेशी कंपनियों को साथ तो लिया गया लेकिन कंपनी में हिस्सा नहीं दिया। इनकी सेवा के लिए टाटा भुगतान कर देता था। इस तरह लैक्मे पूरी तरह एक स्वदेशी ब्रांड था, जिसने भारतीयों की त्वचा और भारतीय जलवायु को ध्यान में रखकर मेकअप बनाना शुरू किया। साल 1996 में टाटा ग्रुप ने हिंदुस्तान यूनिलीवर को लैक्मे में 50 प्रतिशत का पार्टनर बनाया। फिर 1998 में पूरी कंपनी ही हिंदुस्तान यूनिलीवर बेच दी।

लैक्मे का ‘लक्ष्मी’ कनेक्शनः कंपनी के लिए फ्रेंच सहयोगियों से नाम का सुझाव मांगा गया। नाम मिला- लैक्मे। ये एक फ्रांसीसी शब्द है, जिसे पौराणिक कथाओं में उनकी सुंदरता के लिए जाना जाता है। इस नाम से उस वक्त पेरिस में लियो डेलिब्स का एक प्रसिद्ध ओपेरा था। इस ओपेरा नाम भी समृद्धि और सुंदरता की भारतीय देवी लक्ष्मी से प्रेरित था।

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First published on: 16-06-2022 at 10:52 IST