जून के अंत से ही जम्मू-कश्मीर से भारी बारिश की खबरें आने लगी थीं। रामबन-उधमपुर सेक्टर में 30 से अधिक भूस्खलन के कारण जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर कई दिनों तक वाहनों की लम्बी कतार लगी थी। 9 जुलाई को गांदरबल जिले में अमरनाथ धाम के करीब बादल फटने से 16 लोगों की मौत हुई थी। सरकार की तरफ से इन घटनाओं पर चिंता भी व्यक्ति की गई थी, लेकिन बचाव के लिए पैसों का आवंटन नहीं किया गया था।
2020-21 से अब तक कोई मदद नहीं
संसद में सरकार की तरफ से दिए जवाब से पता चलता है कि केंद्र सरकार ने साल 2020-21 से अब तक जम्मू कश्मीर में आई आपदाओं के लिए एक भी रुपये का आवंटन नहीं किया है। जबकि सरकार खुद मानती है कि साल 2020-21 के बीच मौसम संबंधी आपदाओं से 77 लोगों की जान गई थी। साथ ही 8 आवासीय ढांचे क्षतिग्रस्त हुए और 77 पशुओं का मौत हुई।
एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के तहत निधियों के आवंटन और जारी निधियों का राज्यवार ब्योरा दर्शाता है कि केंद्र ने न एसडीआरएफ में कोई योगदान दिया है और न ही एनडीआरएफ ने किसी आपदा से निपटने के लिए कोई राशि खर्च की है। सरकार ने संसद में 12 जुलाई 2022 तक का आंकड़ा पेश किया है यानी 9 जुलाई को बादल फटने की घटना से निपटने के लिए भी केंद्र सरकार ने कोई राशि नहीं दी।
केंद्र ने आखिरी बार 2018-19 में एसडीआरएफ द्वारा आवंटित राशि में 252.90 करोड़ और 2019-20 में 405.00 करोड़ रुपये का योगदान दिया था। इसके बाद से अब तक किसी भी आपदा से निपटने के लिए केंद्र ने कोई राशि आवंटित नहीं की है।
भाजपी नेत्री के सवाल से मिला जवाब
संसद का मानसून सत्र जारी है। सदन के सदस्य अलग-अलग विषयों पर सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। इसी क्रम में अभिनेत्री से नेत्री बनीं हुगली लोकसभा क्षेत्र की भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी ने प्राकृतिक आपदाओं से जुड़ा सवाल पूछा। उन्होंने गृह मंत्री से वर्ष 2018 के बाद प्राकृतिक आपदाओं से हुई क्षति का राज्यवार ब्योरा और आवंटित राशि की जानकारी मांगी। जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई।