आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जब से प्रवर्तन निदेशालय का सम्मन मिला है, देशभर में हाहाकार मचा है। आजकल चर्चा का विषय ही यही है कि क्या भाजपा ने ठान लिया है कि वह मुखर होकर सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वालों को शीघ्र से शीघ्र राजनीतिक रूप से बर्बाद कर देगी? यदि हम अपने से ही अपना सीना ठोककर समाज सुधार का ठेका ले लें, तो कोई क्या कर सकता है!

आजकल यही देश में हो रहा है कि भाजपा अकेले अपने दम पर यह साबित करने में जुटी है कि उसने वर्ष 1914 के बाद देश को बदल दिया है। देश बदला या नहीं, इसका निर्णय तो चुनाव में जनता करती है, लेकिन समाज के टुकड़े-टुकड़े जरूर हो रहे हैं। अब आप अपने पड़ोस के भाई—बंधुओं से खुलकर नहीं मिल सकते, क्योंकि दोनों के मन में मलाल है कि कहीं यह नाटक तो नहीं?

दिल्ली के मुख्यमंत्री या आम आदमी पार्टी के मंत्री—नेता ही नहीं, विपक्ष के सभी नेता अगले वर्ष चुनाव तक जेल में बंद जरूर करवा दिए जाएंगे। महज, चुनाव को और करीब आने दीजिए। वैसे, जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, वहां की विपक्षी पार्टियों के नेताओं का हाल पूछिए, सभी डरे हुए हैं कि पता नहीं, कब प्रवर्तन निदेशालय या सीबीआई का छापा पड़ जाए। लेकिन, शुक्र है कि जनता भयभीत नहीं है और वह नौटंकीबाजों को सबक सिखाने के लिए मतदान के इंतजार में है।

इसी क्रम में चुनाव के चंद दिन पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर महादेव ऐप के नाम पर करोड़ों रुपये घूस लेने का आरोप लगाकर सरकार के साथ मुख्यमंत्री की छवि को बुरी तरह से क्षति पहुंचा दिया गया है। पता नहीं उसका क्या असर छत्तीसगढ़ के पहले चरण के चुनाव पड़ा होगा, लेकिन इतना जरूर हुआ है बदनामी का एक ठप्पा तो लग ही चुका है। ऐसा ही आरोप तो झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर लगाया गया है। कमाल तो यही है कि यदि किसी राज्य में भाजपा की सरकार नहीं है, तो केंद्र सरकार के अनुसार वहां भ्रष्टाचार की नदियां बहती हैं।

इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि केंद्र सरकार के प्रति किसी ने देश के किसी कोने से किसी विपक्ष ने कोई आरोप लगाया, तो निश्चित रूप से जानिए कि वहां प्रवर्तन निदेशालय अथवा सीबीआई का छापा डलवाकर पहले डर पैदा किया जाता है। यदि वह डर से समर्पण कर देता है, तो उसे सत्ता की ऊंची कुर्सी से नवाजा जाता है।

जनता उदाहरण देती है कि महाराष्ट्र के अजीत पवार के लिए कुछ दिन पहले हजारों करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार की बात भरी सभा में मंच से प्रधानमंत्री करते हैं, वही अजीत पवार जब भाजपा के प्रति समर्पित हो जाते हैं, तो उन्हें महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री के पद से नवाजा जाता है। इसी तरह असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा जब कांग्रेस में थे, तो केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ श्वेतपत्र जारी कर महाभ्रष्ट होने का प्रमाणपत्र दिया था, लेकिन जैसे ही हेमंत विश्व सरमा भाजपा की वाशिंग मशीन में धुलकर साफ हो गए, फ़िर तत्काल उन्हें सारे आरोपों से बरी करके प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया।

जनतंत्र के आज तक के इतिहास में इसके पहले ऐसा हुआ या नहीं, यह तो नहीं पता, लेकिन आज की सरकार में जो हो रहा है, उसे देखकर देश के किसी संवेदनशील व्यक्ति को निश्चित रूप से दुख पहुंच रहा होगा। एडोल्फ हिटलर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि अगर किसी को बड़ा नेता होना हो, तो उसको अपने देश को उतना ही भयभीत करना जरूरी है। मुल्क जितना भयभीत होता जाएगा, नेता का कद उतना बड़ा होता जाएगा। इस तरह के उदाहरण हिटलर की बातों को बल ही प्रदान करते हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर दबाव बनाने के लिए घूमकर नाक पकड़ने का काम किया है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर जो हमला किया गया है, वह ममता बनर्जी को ही तो साधने या अपने पाले में लाने प्रयास ही तो है। अब यह बात अलग है कि टीएमसी सत्तारूढ़ के पक्ष में आएगी या नहीं।

जनता को कितना असहज और निठल्ला करने का काम यह सरकार कर रही है, इसका एक प्रमाण यह है कि प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के दुर्ग में कहा कि अगले पांच वर्ष तक उन्हें मुफ्त राशन मिलेगा, जो अब तक मिलता आ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान में योजना का लाभ देशभर में 80 करोड़ लोगों को मिल रहा है, वही अगले पांच वर्ष तक जारी रहेगा। यह ठीक है कि कोई भी सरकार देश की जनता के जीवन जीने के लिए कुछ व्यवस्था करती है, तो यह सरकार का दायित्व है, लेकिन किसी सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए जनता के हित में उसके जीवन रक्षा के लिए किया जा रहा है, वह रेवड़ी है, तो यह गलत है।

लेकिन, इस प्रयास के बदले यदि उन्हें किसी तरह के रोजगार की सुविधा उपलब्ध करा दी जाए, तो निश्चित रूप से यह एक स्थायी इलाज होगा। लेकिन, खासकर यह कहना कि सरकार उन्हें रबड़ी कहकर बांटे, निश्चित रूप से उन गरीबों का उपहास है, जिन्हें यह राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। आज भी जनता कहती है कि आप हमें मुफ्त का राशन मत बांटो, हमें रोजगार दो, हम अपने आप जीने का इंतजाम कर लेंगे।

दूसरी ओर यह आवाज भी डंके की चोट पर उठने लगी है कि सरकार उनसे उस मुफ्त के आटा-चावल के बदले अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करती है। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के लिए कहा कि उनके पास झूठी घोषणाओं के भोंपू है। कांग्रेसी नेताओं के डायलॉग और उनकी घोषणाएं सभी फिल्मी हैं। यहां कांग्रेस के दो नेताओं के बीच कपड़े फाड़ने की प्रतियोगिता चल रही है। मौका मिल गया, तो जनता के भी कपड़े फाड़ेंगे। तीन दिसंबर को भाजपा की जीत के बाद कांग्रेस में असली सिर फुटौव्वल होगी।

इधर विभिन्न एजेंसियों के सर्वे जो इन पांच राज्यों के चुनाव के लिए आ रहे हैं, उसे देखकर तो भाजपा नेताओं की स्थिति खराब होती जा रही है। पता नहीं चुनाव आते—आते और विशेषरूप से 3 दिसंबर तक क्या स्थिति बनती है, यह तो उसी दिन पता चलेगा, लेकिन जनता की जो स्थिति बनी हुई है, उससे ऐसा नहीं लग रहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भाजपा अपनी सरकार बना पाएगी।

जब नेताओं में हर का डर सताने लगता है, तो लोगों को भ्रमित करने वाले उनके बयान आने शुरू हो जाते हैं। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि उन्हें अपनी खुफिया एजेंसियां भी गुप्त रूप से सूचना दे देती हैं कि आपकी सरकार जानेवाली है, तो उनका भयभीत करने वाला बयान सामने आने लगता है। जो भी हो, 3 दिसंबर को जनता पांचों राज्यों में दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए तैयार है। अब धैर्य रखकर इंतजार कीजिए, सबका सच सामने आ जाएगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)