Sheo MLA Ravindra Singh Bhati: राजस्थान में बाड़मेर की शिव विधानसभा सीट से विधायक रविंद्र सिंह भाटी के खिलाफ पुलिस ने तीन एफआईआर दर्ज की हैं। रविंद्र सिंह भाटी इन दिनों शिव विधानसभा क्षेत्र में लगने वाले अक्षय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स के खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठे हुए हैं। भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा महासंघ ने आरोप लगाया है कि भाटी की वजह से शिव विधानसभा क्षेत्र में 8,500 करोड़ रुपये की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं का काम रुक रहा है।
रविंद्र सिंह भाटी राजस्थान की राजनीति में तेजी से चर्चा में आए हैं। उनकी उम्र सिर्फ 27 साल है। 2023 में वह पहली बार में ही निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विधायक का चुनाव जीत गए थे। इससे पहले वह आरएसएस के छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़े थे। सोशल मीडिया पर उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। भाटी लगातार राजस्थान की सरकार के कामकाज को लेकर उस पर हमला कर रहे हैं और अपने निर्वाचन क्षेत्र (शिव) को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हैं।
एफआईआर को लेकर ‘ऊपर’ से आए हैं निर्देश
शिव पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर मगन खान ने बताया कि रविंद्र सिंह भाटी पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 308 (2) के तहत FIR दर्ज की गई है। यह धारा जबरन वसूली के मामलों में लगाई जाती है। द इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक, एफआईआर दर्ज करने के बारे में निर्देश ‘ऊपर’ से आए हैं।
सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भाटी ने कहा था कि उनके खिलाफ तीनों एफआईआर इसलिए दर्ज की गई हैं क्योंकि वे लोगों के मुद्दे उठा रहे हैं।

भाटी की लोकप्रियता में हुआ इजाफा
स्थानीय मुद्दों को उठाने की वजह से रविंद्र सिंह भाटी की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है। पिछले साल विधायक बनने के बाद से ही उन्होंने खानाबदोश जनजातियों और पाकिस्तानी शरणार्थियों के लिए आवास का मुद्दा उठाया। बाड़मेर जेल में एक कैदी की मौत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण की मांग की, बेरोजगारी, पानी की कमी, बिजली कटौती आदि मामलों को जोर-शोर से उठाया है।
विधायक ने तमाम मुद्दों को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के मंत्रियों को पत्र लिखा है। यहां तक कि उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भी कई बार पत्र लिखे हैं। ऐसे मामलों में 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान मारे गए रेलकर्मियों के लिए एक संग्रहालय बनाने की मांग भी शामिल है।
विधायक भाटी अपने खर्चे पर शिव से जयपुर तक 80 मेधावी छात्रों को एजुकेशनल टूर पर ले गए, 80 सीनियर सिटीजन को हरिद्वार की तीर्थयात्रा कराई और मुफ्त फिजियोथेरेपी कैंप भी लगवाए।
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बीजेपी के साथ रिश्ते उतार-चढ़ाव वाले
राजस्थान में बीजेपी की सरकार है और शिव सिंह भाटी के बीजेपी के साथ रिश्ते उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं। शिव सिंह भाटी जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय (जेएनवीयू) में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के द्वारा टिकट दिए जाने से इनकार करने के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता।
इसके बाद वह बाड़मेर की लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़े, उन्हें मनाने की बीजेपी ने बहुत कोशिश की लेकिन वह पीछे नहीं हटे। हालांकि उन्हें चुनाव में हर काम में देखना पड़ा लेकिन उन्होंने बाड़मेर की लोकसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी को कड़ी टक्कर दी थी। बीजेपी उम्मीदवार के प्रचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, ग्रेट खली, बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत सहित राज्य के कई मंत्रियों ने चुनाव प्रचार किया था। जाट मतदाताओं के एकजुट होने से यहां कांग्रेस उम्मीदवार उम्मेद राम बेनीवाल को जीत मिली थी।
भाटी का जेएनवीयू में है जबरदस्त नेटवर्क
शिव सिंह भाटी का जेएनवीयू में जबरदस्त नेटवर्क है। भाटी के पिता टीचर हैं। भाटी गैर राजनीतिक परिवार से आते हैं। जेएनवीयू के 57 साल के इतिहास में वह पहले ऐसे छात्र थे जो निर्दलीय छात्र संघ अध्यक्ष बने थे। यह विश्वविद्यालय पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है और यहां की छात्र राजनीति में भाटी एक बड़ा नाम रहे हैं।
कोरोना महामारी के दौरान जब विश्वविद्यालय ने छात्रों से फीस ली थी तब भाटी ने इसका जबरदस्त विरोध किया था। उनका कहना था कि क्योंकि विश्वविद्यालय में पढ़ाई नहीं हुई है इसलिए उसे फीस लेने का कोई हक नहीं है। भाटी की टीम का दावा है कि उस समय राजस्थान के कई जिलों में भाटी के कहने पर ही बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इसके बाद भी वह छात्रों के कई मुद्दों को लेकर लगातार आंदोलन करते रहे।
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साल 2022 में भाटी ने गोवंश बचाओ अभियान चलाया था। उस दौरान बड़ी संख्या में गायों की बीमारी की वजह से मौत हो गई थी। इसी साल जेएनवीयू विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार अरविंद भाटी को चुनाव लड़ाया और जीत तिलाई जबकि एनएसयूआई के उम्मीदवार को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत का जबरदस्त समर्थन हासिल था।
जनवरी, 2023 में रविंद्र सिंह भाटी ने ‘रन फ़ॉर रेगिस्तान’ दौड़ का भी आयोजन किया था। इस बारे में पूछे जाने पर कि एबीवीपी और बीजेपी में रहने के बावजूद भी पार्टी ने उन्हें टिकट क्यों नहीं दिया, इसे लेकर भाटी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने हर बार टिकट हासिल करने की कोशिश की लेकिन शायद यह उनकी कुंडली में नहीं लिखा है।
जिस तरह रविंद्र सिंह भाटी लगातार राजस्थान की बीजेपी सरकार को तमाम मुद्दों पर घेर रहे हैं, उससे एक वक्त में एबीवीपी और फिर बीजेपी में सक्रिय रहा यह युवा विधायक निश्चित रूप से पार्टी और सरकार के लिए मुसीबत बन गया है।
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