महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में किसानों की खुदुकुशी रुक नहीं रही है। इस क्षेत्र का यवतमाल जिला राज्य में किसानों की आत्महत्या के मामलों की वजह से ‘सुसाइड कैपिटल’ के रूप में बदनाम हो गया है। पर, अब अमरावती जिला किसानों की आत्महत्या के मामले में यवतमाल से आगे निकल गया है। इस साल मई तक यहां 143 किसानों ने आत्महत्या की। यानि पांच महीनों के 152 दिनों में यहां करीब हर दिन एक किसान ने आत्महत्या की। राज्य सरकार के आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है। वहीं, यवतमाल में अब तक 132 किसानों ने आत्महत्या की।
अमरावती में सबसे ज्यादा किसान करते हैं आत्महत्या
अमरावती ने साल 2021 से ही आत्महत्या के मामले में यवतमाल को पीछे छोड़ दिया है। 2021 में यहां 370 किसानों ने अपनी जान दे दी। इसके बाद साल 2022 में 349 और 2023 में 323 किसानों ने आत्महत्या कर ली। वहीं, यवतमाल में, 2021 में जान देने वाले किसानों की संख्या 290 थी। वहीं, 2022 और साल 2023 में क्रमशः 291 और 302 किसानों ने मौत को गले लगा लिया था।
यवतमाल की सीमा से लगे अमरावती में कपास और सोयाबीन की खेती की जाती है। प्रसिद्ध नागपुरी संतरे की खेती भी जिले के कुछ हिस्सों में की जाती है। इस साल मई तक अमरावती में 143 किसानों ने आत्महत्या की, यानी हर दिन आत्महत्या से एक मौत।

उपज में गिरावट बनी जान देने की वजह?
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अमरावती के किसानों ने जब से सोयाबीन की खेती करनी शुरू की तब से उपज में काफी गिरावट देखी गई। पिछले साल इसके रेट भी गिरकर 4,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। बैंकिंग लोन की कमी के कारण कई किसान छोटी फाइनेंस फर्मों या साहूकारों पर निर्भर रहते हैं जो इनसे कठोर वसूली करते हैं।
महाराष्ट्र के 6 जिलों में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या सबसे ज्यादा
साल 2001 से महाराष्ट्र सरकार विदर्भ के छह जिलों- अमरावती, अकोला, यवतमाल, वाशिम, बुलढाणा और वर्धा में आत्महत्या करने वाले किसानों का डेटा मेंटेन कर रही है। महाराष्ट्र के इन छह जिलों में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या सबसे ज्यादा है। पिछले दो दशकों में इन जिलों में 22,000 से अधिक आत्महत्याएं हुई हैं। 2024 में ही अब तक यहां 486 किसान जान दे चुके हैं।
अमरावती में, 143 आत्महत्याओं में से 33 कृषि संकट के कारण हुई और 100 केस में जांच जारी है। यवतमाल में, 132 आत्महत्याओं में से 34 कृषि संकट के कारण थीं। 66 मामलों में अभी भी जांच जारी है, जिला प्रशासन ने 32 को खारिज कर दिया है।

अमरावती में साल 2001 से अब तक 5319 किसानों ने आत्महत्या की जिनमें से 2774 किसानों ने कृषि संकट के कारण जान दी। वहीं, यवतमाल में साल 2001 से अब तक 5970 किसानों ने आत्महत्या की जिनमें से 2447 किसानों ने कृषि संकट के कारण जान दी।
महाराष्ट्र के वह जिले जहां सबसे ज्यादा किसानों ने की आत्महत्या
जिला | आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या (2001 से अब तक) |
अमरावती | 5319 |
यवतमाल | 5970 |
अकोला | 3029 |
बुलढाणा | 4251 |
वाशिम | 1960 |
वर्धा | 2415 |
साल 2023 में 2800 किसानों ने दी थी जान
महाराष्ट्र के राहत और पुनर्वास विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल महाराष्ट्र में 2,851 किसानों ने अपना जीवन समाप्त कर लिया था। 2022 में कर्ज में डूबे 2,942 किसानों ने आत्महत्या की थी और 2021 में यह संख्या 2,743 थी। क्षेत्र-वार देखा जाये तो विदर्भ (1,439) में 2023 में सबसे अधिक किसान आत्महत्या के मामले देखे गए, उसके बाद मराठवाड़ा (1,088) का स्थान रहा।
2023 में अमरावती जिले में 318 किसानों ने दी थी जान
आंकड़ों के अनुसार, 2023 में अमरावती जिले में 318, यवतमाल में 302, बुलढाणा में 292, बीड में 269, छत्रपति संभाजीनगर में 182 और जलगांव में 151 किसानों ने आत्महत्या की। पिछले साल दर्ज किए गए कुल 2,851 मामलों में से 1,551 मामलों में मृतकों के परिजन अनुग्रह राशि के पात्र थे और 96% मामलों में नियमों के अनुसार भुगतान किया गया था। आंकड़ों के अनुसार, जहां 746 मामले अनुग्रह राशि के लिए अयोग्य पाए गए, वहीं 554 मामलों में जांच पेंडिंग है।

क्या कहते हैं NCRB) के आंकड़े
देश भर की बात की जाये तो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों से पता चलता है कि 1995 और 2014 के बीच 296,438 किसानों ने आत्महत्या की थी। वहीं 2014 और 2022 के बीच नौ वर्षों में यह संख्या 100,474 रही। 2022 में, भारत में कृषि क्षेत्र से जुड़े कुल 11,290 व्यक्तियों (5,207 किसान और 6,083 कृषि मजदूर) ने आत्महत्या की थी, जो देश में कुल आत्महत्या करने वालों का 6.6% है।
इससे पहले, सरकारों ने अलग-अलग आंकड़े बताए थे। साल 2004 में सबसे अधिक 18,241 किसानों ने आत्महत्या की थी। कई राज्यों पर किसान आत्महत्या के आंकड़ों में हेरफेर करने का आरोप है इसलिए वास्तविक आंकड़े और भी अधिक हो सकते हैं।
इन पांच राज्यों में कृषि क्षेत्र में कुल आत्महत्याओं का लगभग 80 प्रतिशत
पिछले कई सालों से महाराष्ट्र देश में किसान आत्महत्याओं की सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2022 में किसान आत्महत्या के सबसे अधिक आंकड़ों वाले राज्य महाराष्ट्र (4,248), कर्नाटक (2,392), आंध्र प्रदेश (917), और तमिलनाडु (728) और मध्य प्रदेश (641) थे। कुल मिलाकर, इन पांच राज्यों में कृषि क्षेत्र में कुल आत्महत्याओं का लगभग 80 प्रतिशत और किसानों की आत्महत्याओं का लगभग 85 प्रतिशत दर्ज किया गया था।

क्यों करते हैं किसान आत्महत्या?
भारत में किसान आत्महत्या क्यों करते हैं इसके पीछे कई कारण हैं। बाढ़, सूखा, कर्ज, उपज में कमी इन कारणों में शामिल है। अध्ययनों से पता चलता है कि आत्महत्या करने वाले पीड़ित एक से अधिक कारणों से प्रभावित होते हैं।
किसानों के आत्महत्या करने का प्राथमिक कारण ऋण चुकाने में असमर्थता है। विश्व बैंक के एक अर्थशास्त्री पनगढ़िया कहते हैं, “लगभग 25 प्रतिशत मामलों में कृषि संबंधी कारण ही आत्महत्या के कारणों के रूप में सामने आते हैं। रिसर्च के मुताबिक, किसानों के बीच लोन का बोझ और ऋण के अनौपचारिक स्रोतों पर अधिक निर्भरता आत्महत्या करने के मुख्य कारण हैं।”