कांग्रेस ने आज 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया। इस दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमारा घोषणा पत्र देश के राजनीतिक इतिहास में ‘न्याय के दस्तावेज़’ के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में चलाई गई भारत जोड़ो न्याय यात्रा पांच स्तंभों पर केंद्रित थी। यात्रा के दौरान- युवा न्याय, किसान न्याय, नारी न्याय, श्रमिक न्याय और हिस्सेदारी न्याय की घोषणा की गई थी, इन पांच स्तंभों में से ही कांग्रेस ने घोषणापत्र में 25 गारंटियां दी हैं।
दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हाल के दिनों में अपनी देश यात्राओं को लेकर चर्चा में रहे हैं। पिछले साल उनकी भारत जोड़ो यात्रा और इस साल की गयी भारत जोड़ो न्याय यात्रा चुनाव से पहले कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश थी। हालांकि, इन यात्राओं के दौरान या बाद हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को कोई उत्साहवर्द्धक परिणाम देखने को नहीं मिले।
वैसे राहुल की यात्रा से पहले भी कई बड़े नेताओं ने देशव्यापी यात्राएं कर लोगों से जुड़ने और चुनाव से पहले अपने और अपनी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की है।
राहुल गांधी, अन्नामलाई और नारा लोकेश जैसे राजनीतिक नेताओं ने विविध क्षेत्रों और लोगों से जुड़ते हुए हजारों किलोमीटर की देशव्यापी यात्रा की है। इन यात्राओं का उद्देश्य लोगों की उम्मीदों को समझना, पॉलिटिकल नैरेटिव को आकार देना और सीधे तौर पर जनता से जुड़ना है।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा
राहुल गांधी ने 7 सितंबर, 2022 को कन्याकुमारी से अपनी भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की थी और 30 जनवरी, 2023 को श्रीनगर में यात्रा समाप्त हुई। इस दौरान 12 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों में 3,970 किमी की दूरी तय की गई।
वहीं, दूसरी ओर भारत जोड़ो न्याय यात्रा 14 जनवरी को थौबल, मणिपुर से शुरू हुई और 15 राज्यों में 6,700 किमी की दूरी तय करते हुए मार्च 2024 में मुंबई में समाप्त हुई। इस अभियान का उद्देश्य देश भर में पार्टी की चुनावी यात्रा को बढ़ाना था। यह राजनीतिक यात्रा भारत जोड़ो यात्रा की अगली कड़ी थी।
भाजपा नेता अन्नामलाई की यात्रा
तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने भी ‘एन मन, एन मक्कल’ यात्रा की। यह यात्रा 28 जुलाई, 2023 को रामेश्वरम से शुरू हो कर 27 फरवरी को तिरुपुर के पल्लदम में समाप्त हुई थी। उन्होंने 234 निर्वाचन क्षेत्रों और 10,000 किमी की यात्रा की थी। समापन समारोह के दौरान पल्लदम में एक भव्य शो किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित थे।
टीडीपी महासचिव नारा लोकेश ने युवा गलाम नाम से 27 जनवरी, 2023 को चित्तूर से शुरू कर 20 दिसंबर, 2023 तक विजयनगरम की यात्रा की। इस दौरान उन्होंने 29 सीटों को कवर करते हुए 3132 किमी की दूरी तय की। लोकेश का कहना है कि उनकी यात्रा चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि आम लोगों की उम्मीदों को समझने के लिए थी।
भारतीय राजनीति में यात्राएं
1930 में महात्मा गांधी की दांडी यात्रा, जनता पार्टी नेता चंद्र शेखर की 1983 की भारत यात्रा, 1985 में राजीव गांधी की संदेश यात्रा, 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की राम रथ यात्रा, 1991 में मुरली मनोहर जोशी की ‘एकता यात्रा’ से लेकर 2015 में एम के स्टालिन की नामक्कु नामे यात्राएं तक भारतीय राजनीतिक इतिहास में ऐसी ही कई बड़ी यात्राएं की गई हैं।
जरूरी नहीं वोट भी दिलाएं यात्राएं
हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं है कि लोगों से जुड़ाव के साथ की जाने वाली ये यात्राएं नेताओं और पार्टियों को वोट भी दिलाएं। चंद्र शेखर की 1983 की भारत यात्रा ने जोर पकड़ लिया लेकिन अगले साल के चुनाव में उन्हें जीत नहीं मिली थी। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद माहौल उनके बेटे राजीव के पक्ष में हो गया, जिसके चलते नवंबर के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को जबरदस्त जीत मिली।
नवंबर 1990 और जून 1991 के बीच चंद्रशेखर थोड़े समय के लिए प्रधानमंत्री रहे। बाद में, 1985 में, कांग्रेस ने ‘संदेश यात्रा’ शुरू की और अक्टूबर 1990 से शुरू होकर, राजीव गांधी ने 1991 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सद्भावना यात्रा शुरू की थी। 1991 के चुनावों में किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं था और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अन्य पार्टियों के समर्थन से पी वी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में अल्पमत की सरकार बनाई थी।
आंध्र प्रदेश की राजनीति में यात्राओं का महत्व
आंध्र प्रदेश की राजनीति में यात्राओं का काफी महत्व रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री एन टी रामा राव, उनके दामाद चंद्रबाबू नायडू, वाई एस राजशेखर रेड्डी और बेटे वाई एस जगन मोहन रेड्डी सभी ने यात्राएं कीं। 1983 के विधानसभा चुनाव अभियान के लिए, एनटीआर ने एक शेवरले वैन का इस्तेमाल किया, ऐसा करने वाले वे देश के पहले राजनेता थे। उन्होंने इसका नाम चैतन्य रथम रखा। एन टी रामा राव ने 294 विधानसभा सीटों में से 202 सीटें जीतीं थी।

वाईएसआर ने तीन महीने लंबी पदयात्रा की, जिसमें आंध्र प्रदेश के कई जिलों में 1,500 किमी की दूरी तय की गई। 2009 में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मृत्यु से पहले उन्होंने 2004 और 2009 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को जीत दिलाई। उनके बेटे और आंध्र प्रदेश के सीएम जगन ने नवंबर 2017 से जनवरी 2019 तक ‘प्रजा संकल्प यात्रा’ की थी। मई 2019 में वाईएसआरसीपी ने राज्य विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की और जगन सीएम बने।

टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश के मतदाताओं तक पहुंचने के लिए 2012-2013 में 2,340 किमी लंबी मैराथन पदयात्रा, ‘वास्तुन्ना मी कोसम’ का नेतृत्व किया था। वह 2014 में सीएम बने और 2019 तक सेवा की। मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा ने 47 दिनों में 15,000 किमी और 14 राज्यों की यात्रा की। वहीं, दूसरी ओर अक्टूबर 1990 में आडवाणी की राम रथ यात्रा, 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस और लंबे समय तक चले धार्मिक-राजनीतिक संघर्ष के बाद 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में हॉट सीट हासिल करने में बीजेपी और उसके हिंदू राष्ट्रवादी सहयोगियों को लगभग छह साल लग गए।
तमिलनाडु में, माओत्से तुंग से प्रेरित होकर, एमडीएमके नेता वाइको ने लिट्टे के साथ संबंधों के लिए पोटा के तहत 19 महीने की कैद के बाद पोटा विरोधी (आतंकवाद निवारण अधिनियम 2002) पदयात्रा सहित सात पदयात्राएं कीं।