केंद्र सरकार ने साल 2015 में स्किल इंडिया मिशन की शुरुआत की थी। इसके अंतर्गत कई कौशल योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए गए जिनका उद्देश्य युवाओं में स्किल्स को बढ़ावा देना है। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय में राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि स्किल इंडिया मिशन के लिए पिछले पांच सालों के दौरान कौशल विकास और उद्यमिता (MSDE) मंत्रालय ने 15192.79 करोड़ रुपये आवंटित किए।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, जन शिक्षण संस्थान, राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान/शिल्पकार प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत पिछले पांच सालों के दौरान कुशल/प्रशिक्षित उम्मीदवारों की संख्या नीचे टेबल में देखें-

सोर्स- राजसभा

वहीं, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित और प्रमाणित व्यक्तियों की औसत मासिक आय अन्य जगहों से प्रशिक्षित लोगों की तुलना में 15% अधिक थी। इसके अलावा, 76% उम्मीदवारों ने स्वीकार किया कि प्रशिक्षण के बाद उनके पास रोजगार के बेहतर अवसर हैं। पीएमकेवीवाई (PMKVY 2.0 और PMKVY 3.0) के तहत देश भर में प्राप्त प्लेसमेंट प्रतिशत, सितंबर 2022 तक एसआईपी रिपोर्ट के अनुसार पैन इंडिया अपडेट:

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भारतीय अर्थव्यवस्था में नौकरियां

बढ़ती हुई भारतीय अर्थव्यवस्था में नौकरियां तो हैं पर ज़्यादातर अनस्किल्ड और सेमी स्किल्ड वर्कर्स के लिए। ग्रेजुएट और उससे बड़ी डिग्रीधारकों के लिए रोजगार के अवसर कम हैं। यहां तक कि टेक्निकल डिग्री और डिप्लोमा धारकों के लिए भी रोजगार के अवसर धीमी गति से ही पैदा हो रहे हैं।

2017-18 (जून-जुलाई) से कम पढे-लिखे लोगों के साथ ही ग्रेजुएट और उससे बड़ी डिग्रीधारकों के लिए बेरोजगारी दर गिरती जा रही है। हालांकि, यह गिरावट उच्च डिग्रिधारकों में ज्यादा है। वहीं, 2019-20 तक गेजुएट और उच्च डिग्रिधारकों में यह दर कम थी। काम करने के इच्छुक लोगों में से एक तिहाई उस वर्ष भी बेरोजगार थे। बाद में यह गिरावट तेज हो गई। इस दौरान बेरोजगारी दर 2017-18 में 35.4 प्रतिशत के मुक़ाबले 2022-23 के दौरान 28 प्रतिशत गिर गई।

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इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन ने एक रिपोर्ट जारी कर भारत में बेरोजगारी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है। (PC- Freepik)

कम शिक्षित लोगों में बेरोजगारी दर में गिरावट

इस अवधि के दौरान कम शिक्षित लोगों में बेरोजगारी दर तेजी से घटी। उदाहरण के लिए, प्राथमिक स्तर की शिक्षा से नीचे के लोगों में इस अवधि के दौरान बेरोजगारी दर 6.7 प्रतिशत से गिरकर 1.7 प्रतिशत हो गई, जबकि प्राथमिक से मध्य स्तर की शिक्षा वाले लोगों में यह 12.4 प्रतिशत से घटकर 3.9 प्रतिशत हो गई। माध्यमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त करने वालों में 2022-23 के दौरान 8.7 प्रतिशत बेरोजगारी दर रही जबकि 2017-18 में यह 19.4 प्रतिशत था।

इसी तरह, स्नातक और उच्च योग्यता रखने वालों के मामले में बेरोजगारी दर में पांच साल की अवधि के दौरान लगभग 21 प्रतिशत की गिरावट आई है। प्राथमिक स्तर से कम शिक्षा वाले लोगों के मामले में गिरावट की दर लगभग 75 प्रतिशत थी, प्राथमिक से मध्यम स्तर की शिक्षा वाले लोगों के मामले में 68.5 प्रतिशत और माध्यमिक से उच्चतर माध्यमिक योग्यता वाले लोगों के मामले में गिरावट की दर 55 प्रतिशत थी। फिर भी, काम करने के इच्छुक एक-चौथाई से अधिक ग्रेजुएट्स को 2022-23 के दौरान जरूरी नौकरियां नहीं मिलीं, जबकि प्राथमिक स्तर से नीचे की शिक्षा वाले लोगों के लिए बेरोजगारी लगभग खत्म हो गई थी।

युवाओं में बेरोजगारी की स्थिति-

2011-12 2017-18 2018-192019-202020-212021-222022-23
प्राइमरी से कम शिक्षा 2.1 %6.7%7.6%4.9%4.1%3.2%1.7%
प्राइमरी से मिडिल शिक्षा 3.9%12.4%11.0%7.8%6.2%6.1%3.9%
सेकेंडरी से हायर सेकेंडरी तक शिक्षा 8.1% 19.4%17.9%14.6%12.6%11.5%8.7%
ग्रेजुएट या उससे अधिक शिक्षा 19.9%35.4%34.4%33.7%29.9%28.7%28.0%
कुल 6.2%18.0%17.5%15.0%12.8%12.3%10.2%

टेक्निकल ग्रेजुएट्स में स्नातक डिग्री धारकों की तुलना में अधिक बेरोजगारी

तकनीकी शिक्षा युवाओं को रोजगार के योग्य बनाती है पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और IHD द्वारा तैयार की गई हालिया भारत रोजगार रिपोर्ट, 2024 से पता चलता है कि 2022 के दौरान भारत में टेक्निकल ग्रेजुएट्स में केवल स्नातक डिग्री धारकों की तुलना में अधिक बेरोजगारी दर है। और इस श्रेणी में बेरोजगारी की दर 17 वर्षों की अवधि में बढ़ी है।

रिपोर्ट से पता चलता है कि तकनीकी डिग्री या डिप्लोमा वाले युवाओं में बेरोजगारी दर सामान्य स्नातकों की तुलना में भी अधिक थी। 2022 में, स्नातक डिप्लोमा वाले युवाओं में बेरोजगारी दर सबसे अधिक 31.1 प्रतिशत थी, इसके बाद तकनीकी प्रशिक्षण डिग्री वाले युवाओं में 29.4 प्रतिशत थी।

युवा भारत का बूढ़ा वर्कफोर्स

बीते सात साल (2016-23) में वर्कफोर्स में सबसे बुजुर्ग आयु वर्ग की हिस्सेदारी 37% से बढ़कर 49% हो गई है। विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

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(PTI)