प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कॉमेडी करके चर्च‍ित हुए श्‍याम रंगीला लोकसभा चुनाव 2024 में नरेंद्र मोदी के ही ख‍िलाफ चुनाव मैदान में बतौर न‍िर्दलीय उम्‍मीदवार उतर गए थे। हालांक‍ि, उनका नामांकन खार‍िज हो चुका है। उधर, भोजपुरी स्टार पवन स‍िंंह बीजेपी का ट‍िकट ठुकरा कर काराकाट (ब‍िहार) से न‍िर्दलीय मैदान में डटे हुए हैं। उनकी मां ने भी पर्चा भर द‍िया है।

दरअसल, भारत में चुनाव लड़ने के ल‍िए दलीय उम्‍मीदवार होना जरूरी नहीं है। इसका नतीजा है क‍ि बड़ी संख्‍या में न‍िर्दलीय चुनाव लड़ते हैं, लेक‍िन ज‍िस अनुपात में वे चुनाव लड़ते हैं, उस ल‍िहाज से जीत का अनुपात बेहद कम है।

1951 से 2019 तक 48102 न‍िर्दलीय उम्‍मीदवार चुनाव लड़ चुके हैं, पर इनमें से जीत केवल 234 को म‍िली है। 1996 के लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 10,636 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव में हिस्सा लिया था।

1957 के दूसरे चुनाव में 42 निर्दलीय उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंचे थे। यह भारतीय आम चुनावों के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी संख्या थी। 1962 के तीसरे लोकसभा चुनावों में 20 निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे, वहीं 1951-52 के पहले चुनाव में 37 निर्दलियों को जीत हासिल हुई थी।

पिछले कुछ चुनावों की बात करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में 4 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी, वहीं 2014 के चुनाव में 3 निर्दलीय सांसद लोकसभा पहुंचे थे। 1951-52 के पहले चुनाव से लेकर अब तक कुल 234 निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है।

क‍िस चुनाव में जीते क‍ितने निर्दलीय सांसद

सबसे ज्‍यादा (42) न‍िर्दलीय सांसद 1957 के चुनाव में जीते, जबक‍ि सबसे ज्‍यादा उम्‍मीदवार 1996 के चुनाव में लड़े थे। देखें टेबल

चुनावी वर्षचुनाव में खड़े हुए कुल निर्दलीय उम्मीदवार जीतने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या
1951-5253337
195748142
196247920
196786635
1971113414
197712249
198028269
1984389413
1989371312
199155461
199610,6369
199819156
199919456
200423855
200938319
201432343
201934604
कुल 48,102234

कौन होते हैं निर्दलीय उम्मीदवार और क्या है उनके चुनाव लड़ने का पैमाना?

एक व्यक्ति जो सामान्य चुनाव में भाग लेने के लिए पात्र है और वर्तमान में किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं है या उससे जुड़ा नहीं है, वह एक स्वतंत्र उम्मीदवार है। अपनी मान्यताओं और एजेंडे के आधार पर, वे लोकसभा में अन्य सत्तारूढ़ दल द्वारा प्रस्तुत विधेयकों और सुधारों का समर्थन कर भी सकते हैं और नहीं भी। हालांकि, यहां यह ध्यान देने की बात है कि जो व्यक्ति एक स्वतंत्र उम्मीदवार है और किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं है, फिर भी वे उसकी नीतियों के पक्ष में मतदान कर सकते हैं अगर उन्हें उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों द्वारा लोकसभा में उनके प्रतिनिधियों के रूप में चुना जाता है। साथ ही अगर प्रस्तुत विधेयक या सुधार से उनके लोगों को लाभ होता है।

स्वतंत्र उम्मीदवारों के बारे में एक तथ्य यह भी है कि एक निर्वाचित स्वतंत्र उम्मीदवार तब तक भारत का प्रधानमंत्री या मंत्री नहीं बन सकता जब तक कि वह एक राजनीतिक पार्टी नहीं बनाता या किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल नहीं होता और लोकसभा चुनाव में आवश्यक बहुमत प्राप्त नहीं करता।

इतने निर्दलीय उम्मीदवारों ने गंवाई जमानत

1991 में केवल एक स्वतंत्र उम्मीदवार चुना गया, जो अब तक का सबसे कम है। भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के आंकड़ों से पता चलता है कि 1991 के चुनावों के बाद से, स्वतंत्र उम्मीदवार सिंगल डिजीट में जीत रहे हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि कम से कम 47,163 निर्दलियों ने अपनी जमानत गंवा दी, वहीं केवल 940 अब तक अपनी जमानत बचा पाये। वहीं, दूसरी ओर राष्ट्रीय दलों के लिए अब तक 8545 उम्मीदवारों ने अपनी जमानत गंवाई।

राष्‍ट्रीय दलों के उम्‍मीदवार और सांसदों की संख्‍या चुनाव दर चुनाव यहां देखें

चुनावी वर्षराष्‍ट्रीय दलों के कुल उम्‍मीदवारजीतने वाले राष्‍ट्रीय दलों के उम्‍मीदवार
1951-521217418
1957919421
19621269440
19671342440
19711223451
19771060481
19801541485
19841307462
19891378471
19911855478
19961817403
19981493387
19991299369
20041351364
20091623376
20141591342
20191454397
कुल23,7397185

अब तक निर्दलीय लड़ने वाले 0.48% उम्मीदवार चुनाव जीत सके हैं, वहीं 1.94% ने अपनी जमानत नहीं गंवाई है। आंकड़ों के मुताबिक, 97.57% निर्दलीय उम्मीदवार अपनी जमानत गंवा चुके हैं। इसके विपरीत अगर राष्ट्रीय दलों की बात करें तो उनके 23.23% उम्मीदवार जीते हैं, वहीं 27.63% ने अपनी जमानत गंवाई है।

भारत में चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवारों के लिए क्या है पात्रता का पैमाना?

भारतीय संविधान में राज्यसभा या लोकसभा के आम चुनाव में खड़े होने वाले स्वतंत्र उम्मीदवारों के लिए कुछ पात्रता मानदंड स्थापित किए गए हैं। जो व्यक्ति एक स्वतंत्र उम्मीदवार है या एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में खड़े होने की इच्छा रखता है, उसे किसी भी अन्य उम्मीदवार के समान मानदंडों को पूरा करना होगा, बस उसे किसी अन्य राजनीतिक दल से सीधे तौर पर जुड़ा नहीं होना चाहिए। इसके लिए कुछ सामान्य मानदंड हैं- एक ही निर्वाचन क्षेत्र से कम से कम दस उम्मीदवारों की आयु 25 वर्ष से अधिक होनी चाहिए, जो स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में खड़े होने के इच्छुक व्यक्ति के लिए नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। साथ ही निर्दलीय उम्मीदवार केवल किसी गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल से संबंधित होना चाहिए।

2019 में जीतने वाले निर्दलीय

2019 के लोकसभा चुनाव में अमरावती से निर्दलीय उम्मीदवार नवनीत कौर राणा चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं। हालांकि, नवनीत ने बाद में बीजेपी जॉइन कर ली और अब वह अमरावती से 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार हैं। 2019 के चुनाव में नबा कुमार सारनिया, मांड्या (कर्नाटक) से सांसद सुमालता अंबरीश और दादर-नागर हवेली से मोहनभाई देलकर चुनाव जीतने वाले अन्य निर्दलीय उम्मीदवार थे।