सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने तेलंगाना के विधायकों की कथित अवैध खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने के तेलंगाना हाई कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़ा किया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान दुष्यंत दवे (Advocate Dushyant Dave) ने कहा कि भारत राष्ट्र समिति (BRS) एक क्षेत्रीय पार्टी है और हमारी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही एक राष्ट्रीय पार्टी से लड़ रही है। इस मामले के आरोपी ने खुद स्वीकार किया है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसी तरीके से 8 राज्यों की सरकारें गिराई हैं। उनके खिलाफ सबूत हैं, इसलिए नहीं चाहते कि राज्य की पुलिस इस मामले की जांच करे।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। इस मामले में तेलंगाना पुलिस ने हाई कोर्ट द्वारा मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और दुष्यंत दवे (Dushyant Dave) तेलंगाना पुलिस की तरफ से पेश हो रहे थे।

BJP के खिलाफ आरोप तो CBI कैसे कर सकती है जांच

Live Law की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुष्यंत दवे ने अपनी दलील में कहा कि आखिर बीजेपी इस मामले की जांच कैसे कर सकती है? बीजेपी केंद्र की सत्ता में है और बीजेपी के खिलाफ आरोप हैं। सीबीआई बीजेपी के अंदर आती है। दुष्यंत दवे की इस दलील का जवाब देते हुए जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि इस तरफ तो एसआईटी भी उसी पार्टी के अंदर आएगी, जिसकी राज्य में सत्ता है। इस पर दुष्यंत दवे ने दलील दी कि राज्य के पुलिस के पास इस मामले की जांच का पूरा अधिकार है, क्योंकि मामला उसके अधिकार क्षेत्र का है।

सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे (Dushyant Dave) ने बीजेपी के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि तेलंगाना सरकार जांच में दखल दे रही है। दवे ने कहा कि इस मामले के तीनों आरोपी- रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, नंदू कुमार और सिंहयाजी स्वामी को बीआरएस विधायकों को बीजेपी ज्वाइन करने का ऑफर देते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था। उन्हें हमने तो नहीं बुलाया था। खुद हमारे एमएलए को अप्रोच किया और ट्रैप में फंस गए। दवे ने कहा कि हमारे पास सबूत के तौर पर 5 घंटे की वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है।

केंद्र सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने केंद्र सरकार पर अपने राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए सीबीआई (CBI) और ईडी (ED) जैसी एजेंसियों के उपयोग का आरोप लगाया है और कहा कि यही वास्तविकता है, और कोई इससे कोई आंखें नहीं मूंद सकता है। उधर, मामले में बीजेपी की तरफ से सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी पेश हुए। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर होली की छुट्टी के बाद सुनवाई करेगी।

क्या है पूरा मामला?

बीते 26 अक्टूबर को तंदूर विधानसभा के विधायक पायलट रोहित रेड्डी ने एक एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया था कि उनसे 3 लोग मिले और उन्हें भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव नहीं लड़ने को कहा और बीजेपी में शामिल होने का ऑफर दिया। पायलट ने अपनी एफआईआर में दावा किया कि उन्हें 100 करोड रुपए ऑफर किये गए थे और यह भी कहा गया था कि अगर बात नहीं मानी थी उनके खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज करा दिए जाएंगे।

बाद में बीजेपी, तेलंगाना हाईकोर्ट गई और मामले को एसआईटी या सीबीआई को सौंपे जाने की अर्जी लगाई। तेलंगाना हाई कोर्ट ने 15 नवंबर को सरकार द्वारा गठित एसआईटी को मामले की जांच जारी रखने की अनुमति दी और यह भी कहा कि अदालत द्वारा अप्वॉइंट जज मामले की निगरानी करेंगे। हालांकि इसके बाद 23 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों को रद्द कर दिया था और तीनों आरोपियों द्वारा नए सिरे से दायर की गई सीबीआई जांच की अर्जी पर फैसला करने का निर्देश दिया था।