बीते दो दिनों से सोशल मीडिया पर भजन गायक कन्हैया मित्तल को लेकर जबरदस्त चर्चाएं हो रही हैं। सोशल मीडिया के तमाम पॉपुलर प्लेटफॉर्म्स से या फिर टीवी, अखबारों से लोग इस सवाल का जवाब चाहते हैं कि आखिर सनातन की बात करने वाले, अपने गानों और भजनों में हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने वाले भजन गायक कन्हैया मित्तल क्यों कांग्रेस में जाने की बात कह रहे हैं?
सोशल मीडिया पर इस तरह की चर्चा है कि कन्हैया मित्तल हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कालका जिले की पंचकूला सीट से टिकट चाहते थे लेकिन बीजेपी ने यहां से अपने सीनियर नेता और विधानसभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है। इस वजह से कन्हैया मित्तल नाराज हैं और उन्होंने कांग्रेस में जाने की बात कही है।
कन्हैया बोले- कभी नहीं कहा बीजेपी को वोट दो
कन्हैया मित्तल को लेकर जैसे ही चर्चाएं तेज हुईं तो वह खुद सामने आए। उन्होंने कहा कि पंचकूला से टिकट न मिलने से नाराजगी जैसी कोई बात नहीं है और अगर उन्हें टिकट चाहिए होता तो मिल जाता। कन्हैया मित्तल का कहना है कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि बीजेपी को वोट दें बल्कि उनका यह कहना था कि जो सनातन के लिए काम करे उसे वोट दो।
रॉकी मित्तल हुए थे कांग्रेस में शामिल
हरियाणा में कुछ दिन पहले एक और गायक और एक वक्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कट्टर समर्थक रहे रॉकी मित्तल ने भी बीजेपी का साथ छोड़ दिया था और वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस ने रॉकी मित्तल के पार्टी ज्वाइन करने को बड़े पैमाने पर प्रचारित किया था।
समर्थक बोले- सनातन और हिंदुत्व के साथ गद्दारी कर रहे मित्तल
कन्हैया मित्तल के यह कहने पर कि वह कांग्रेस में शामिल होने के बारे में सोच रहे हैं, सोशल मीडिया पर हिंदुत्व की राजनीति के समर्थक लोगों ने उन्हें अवसरवादी बताया और जमकर आलोचना की। कई लोगों ने कहा कि कन्हैयालाल मित्तल ने सनातन धर्म से गद्दारी की है और कांग्रेस के टिकट के लिए वह सनातन और हिंदुत्व के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं।
इसके अलावा भी कन्हैया मित्तल को सुनने वाले और उन्हें पसंद करने वाले सैकड़ों समर्थकों ने उनके खिलाफ जमकर नाराजगी जाहिर की।
…जो राम को लाए हैं’ से हुए पॉपुलर
सोशल मीडिया पर कन्हैया मित्तल की जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। पिछले कुछ सालों में उन्हें उनके गाने ‘जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे’ की वजह से जाना जाता है। 2022 के विधानसभा चुनाव के वक्त उत्तर प्रदेश में बीजेपी काफी नाजुक स्थिति में थी। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने बड़े पैमाने पर आंदोलन किया था और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसका काफी असर था। इसके अलावा कोरोना के प्रबंधन में कथित रूप से अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा सहित अन्य विपक्षी दल योगी सरकार पर हमलावर थे।
कन्हैया के गाने को दिया था जीत का श्रेय
बीजेपी के नेताओं और समर्थकों का ऐसा मानना था कि ऐसे वक्त में कन्हैया मित्तल के इसी गाने ‘जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे’ ने बीजेपी और हिंदुत्व की राजनीति का समर्थन करने वालों में एक जबरदस्त जोश और ताकत का संचार किया और इसके बल पर ही कार्यकर्ता घरों से निकले और उन्होंने मजबूत सरकार विरोधी लहर के बावजूद फिर से राज्य में बीजेपी की सरकार बनाई।
यूपी विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद बीजेपी का समर्थन करने वाले लोगों ने सोशल मीडिया पर यह भी खुलकर लिखा था कि इस जीत में सरकार और संगठन की मेहनत का जितना योगदान है, उससे कम योगदान कन्हैया मित्तल के गाने का भी नहीं है।
करोड़ों व्यूज बटोरते हैं कन्हैया
कन्हैया मित्तल खाटू श्याम और हनुमान जी के भजन भी गाते हैं। वह मूल रूप से चंडीगढ़ के रहने वाले हैं और देशभर में उन्हें भजन गाने के लिए बुलाया जाता है। उनके गाने सोशल मीडिया पर लाखों-करोड़ों की संख्या में व्यूज बटोरते हैं और उन्हें हिंदुत्व, सनातन की विचारधारा का बड़ा समर्थक माना जाता है।
योगी को बताया गुरू
कन्हैया मित्तल का कहना है कि वह किसी भी दल में जाएं या ना जाएं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके गुरु थे और रहेंगे। लेकिन क्या योगी आदित्यनाथ को गुरु मानने वाले कन्हैया मित्तल को कांग्रेस अपनी पार्टी में शामिल होने का मौका देगी?
लोकसभा चुनाव में नहीं चला राम मंदिर कार्ड
यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी होगा कि लोकसभा चुनाव 2024 में भी बीजेपी को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद जितनी बड़ी कामयाबी की उम्मीद थी, वैसी कामयाबी उसे नहीं मिली। राम मंदिर निर्माण के उद्घाटन समारोह में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान थे और इसके बाद भाजपा शासित सरकारों के मुख्यमंत्री, मंत्रियों और बड़े ओहदों पर बैठे सभी नेताओं ने अयोध्या में राम दरबार में हाजिरी लगाई थी लेकिन जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो पार्टी का अनुभव बहुत खराब रहा था।
अयोध्या (फैजाबाद) की सीट पर ही बीजेपी चुनाव हार गई और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जहां उसने सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का नारा दिया था, वहां वह सिर्फ 33 सीटों पर आकर रुक गई। पिछले चुनाव के मुकाबले उसके खराब प्रदर्शन ने पार्टी नेताओं के मनोबल पर भी असर डाला और पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई में सरकार और संगठन को लेकर आए हुए बयानों की वजह से टकराव देखने को मिला।
ऐसे में क्या बीजेपी कन्हैया मित्तल को कांग्रेस में जाने से रोकेगी? क्या बीजेपी उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश करेगी?
इस मामले में सवाल फिर वही है कि क्या बात सिर्फ टिकट तक सीमित है या कुछ और बात है। कन्हैया मित्तल का कहना है कि अगर उन्हें टिकट चाहिए होता तो वह आसानी से टिकट ला सकते थे लेकिन अगर बात टिकट की नहीं है तो फिर आखिर क्या बात है क्योंकि आज तक अपनी भजन संध्याओं में कन्हैयालाल मित्तल खुलकर हिंदुत्व और सनातन का प्रचार करते थे और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बार-बार धन्यवाद अदा करते थे।
कांग्रेस कन्हैया के साथ तालमेल बैठा पाएगी?
कन्हैया मित्तल ने खुद भी इस बात को हमेशा स्वीकार किया कि उनके भजन कार्यक्रमों में वही लोग आते हैं जो हिंदुत्व और सनातन धर्म के कट्टर समर्थक हैं। लेकिन फिर ऐसा क्या हो गया कि कन्हैया मित्तल ने कह दिया कि सनातन का काम दूसरे दलों में भी रहकर हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफों के पुल बांधने वाले कन्हैया अगर कांग्रेस में गए तो क्या वह वहां तालमेल बैठा पाएंगे? सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस उनके साथ सहज महसूस कर पाएगी?