Devendra Fadnavis Nagpur South West: महाराष्ट्र की राजनीति में देवेंद्र फडणवीस बीजेपी के सबसे बड़े नेता हैं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है। महाराष्ट्र में पार्टी की चुनावी रणनीति तैयार करने से लेकर उम्मीदवारों के चयन, चुनाव प्रबंधन से लेकर महायुति में शामिल दलों के साथ बीजेपी के को-आर्डिनेशन की बड़ी जिम्मेदारी भी फडणवीस की है। फडणवीस के सामने महाराष्ट्र के चुनाव में बीजेपी को ज्यादा सीटें जिताने की चुनौती के साथ ही अपनी विधानसभा सीट पर भी जीत दर्ज करने का लक्ष्य है।
फडणवीस को न सिर्फ जीत हासिल करनी है बल्कि जीत के मार्जिन को भी बढ़ाना है। क्या चल रहा है फडणवीस की विधानसभा सीट नागपुर साउथ-वेस्ट में, आइए इस बारे में बात करते हैं।
महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार समाप्त हो गया है और सभी 288 सीटों के लिए 20 नवंबर को वोटिंग होगी और 23 नवंबर को मतों की गिनती के बाद साफ हो जाएगा कि महायुति या महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन में से मतदाताओं ने किसे जनादेश दिया है।
आरएसएस के भी चहेते हैं फडणवीस
देवेंद्र फडणवीस न सिर्फ मोदी और शाह बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के भी चहेते माने जाते हैं। नागपुर साउथ-वेस्ट की सीट पर लगभग हर कोई इस बात के लिए आश्वस्त है कि यहां से इस बार भी फडणवीस ही जीतेंगे। फडणवीस लगातार तीन बार इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। यहां पर मराठी भाषा में कहा जाता है कि आएगा तो देवा भाऊ ही, इसका हिंदी में मतलब है भाई देवा जीतेंगे।
लेकिन लोग यह भी कहते हैं कि फडणवीस के लिए मुकाबला इतना आसान भी नहीं है क्योंकि कांग्रेस के उम्मीदवार प्रफुल्ल गुडाधे भी दमखम के साथ चुनाव लड़ रहे हैं।
इस विधानसभा सीट के मतदाता 73 साल के राहुल शुक्ला कहते हैं कि फडणवीस जीत तो जाएंगे लेकिन अच्छी चुनावी लड़ाई देखने को मिल रही है। ऑटो रिक्शा चलाने वाले सिद्धार्थ फडणवीस की तारीफ करते हैं लेकिन यह भी कहते हैं कि उनकी जीत का अंतर कम हो सकता है।
जानिए फडणवीस का राजनीतिक करियर
फडणवीस ने 1990 के मध्य में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। 1997 में जब वह सिर्फ 27 साल के थे तो वह नागपुर के सबसे युवा मेयर बने थे। इसके 2 साल बाद ही वह नागपुर वेस्ट की सीट से विधानसभा चुनाव जीते और 2004 में भी उन्होंने यह सीट बरकरार रखी। परिसीमन के बाद जब नागपुर साउथ-वेस्ट की सीट बनी तो फडणवीस ने यहां से चुनाव लड़ा और 2009, 2014 और 2019 में वह यहां से लगातार चुनाव जीतते रहे।
इन तीन विधानसभा चुनाव में उन्हें क्रमशः 27,775, 58,942 और उन 49,344 मतों के अंतर से जीत मिली।
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के जिस तरह के नतीजे सामने आए उससे निश्चित रूप से महायुति गठबंधन विशेषकर बीजेपी के लिए चुनौतियां बढ़ी हैं। इसे देखते हुए ही लोकसभा चुनाव के बाद फडणवीस और महाराष्ट्र के भाजपा संगठन के साथ ही पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरने का आदेश दिया।
फडणवीस आक्रामक हिंदुत्व की राजनीति के लिए भी जाने जाते हैं। वह वोट जिहाद का मुद्दा उठा चुके हैं और वोट धर्म युद्ध करने की बात हिंदू मतदाताओं से कह चुके हैं। इसके अलावा वह मुगल शासक औरंगजेब को लेकर भी विवादित बयान दे चुके हैं।
तेली और ब्राह्मण मतदाताओं से है उम्मीद
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दलित, मुसलमान और कुनबी समुदाय को संगठित करने की रणनीति पर काम किया है लेकिन दूसरी ओर बीजेपी और आरएसएस के स्वयंसेवकों ने इस निर्वाचन क्षेत्र में घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क किया है। इस विधानसभा सीट में लगभग 90,000 दलित, 70,000 ब्राह्मण, 72,000 कुनबी और 40,000 तेली मतदाता महत्वपूर्ण हैं। बीजेपी को उम्मीद है कि तेली और ब्राह्मण मतदाता उसके साथ बने रहेंगे।
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आखिरी वक्त में रविवार को नागपुर में रोड शो किया और यह फडणवीस की सीट से होकर भी गुजरा। कांग्रेस के उम्मीदवार प्रफुल्ल गुडाधे ने चुनाव प्रचार के दौरान फडणवीस पर कोई व्यक्तिगत हमला नहीं किया। महाराष्ट्र की राजनीति में फडणवीस को एक साथ अच्छा राजनेता माना जाता है। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहने के दौरान जिन कामों को किया भाजपा उन्हें आगे रखती रही है।
बीजेपी नेता कहते हैं कि फडणवीस का काम बोलता है और यहां तक दावा करते हैं कि एनसीपी(शरद पवार) और शिवसेना (यूबीटी) के बड़े-बड़े नेता भी नागपुर साउथ-वेस्ट से चुनाव लड़ते तो भी वे फडणवीस को नहीं हरा सकते थे।
देखना होगा कि महाराष्ट्र में बीजेपी के इस सबसे बड़े चेहरे को विधानसभा चुनाव में क्या फिर से जीत मिलेगी और जीत मिली तो क्या उनकी जीत के मार्जिन में इजाफा होगा?