दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता और केजरीवाल सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम शुक्रवार को पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। राजेंद्र पाल गौतम ने ऐसे वक्त में आम आदमी पार्टी को छोड़ा है जब दिल्ली में विधानसभा के चुनाव बिल्कुल नजदीक हैं। राजेंद्र पाल गौतम आप का बड़ा दलित चेहरा थे। सवाल यह है कि उनके पार्टी छोड़ने के बाद क्या आप को विधानसभा चुनाव में किसी तरह का सियासी नुकसान होगा? दूसरी ओर गौतम दिल्ली में कांग्रेस के लिए कितने फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

राजेंद्र पाल गौतम का साल 2022 में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसके बाद अच्छा-खासा सियासी बवाल हुआ था और अरविंद केजरीवाल ने गौतम को मंत्री पद से हटा दिया था।

पिछले कुछ वक्त से गौतम आम आदमी पार्टी के कार्यक्रमों में ज्यादा सक्रिय नहीं थे। राजेंद्र पाल गौतम ने दो बार लगातार दिल्ली में विधानसभा का चुनाव जीता है।

Rajendra Pal Gautam: कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम। (Express Photo By Amit Mehra)

राजकुमार आनंद ने भी छोड़ दी थी पार्टी

राजेंद्र पाल गौतम दूसरे दलित नेता हैं जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में आप छोड़ी है। लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली सरकार में मंत्री रहे राजकुमार आनंद भी पार्टी छोड़कर चले गए थे और हाल ही में बीजेपी में शामिल हो गए थे।

सामाजिक न्याय, जाति जनगणना की राजनीति

कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से पहले और बाद में जाति जनगणना और सामाजिक न्याय के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। पार्टी का स्पष्ट रूप से कहना है कि जाति जनगणना कराया जाना देश में जरूरी है क्योंकि इससे ही समाज के सभी वर्गों के लोगों को उनका हक और हिस्सेदारी मिलेगी। इसका फायदा भी पार्टी को हुआ है और लोकसभा चुनाव में उसने अपनी सीटों की संख्या लगभग दोगुनी की है।

राजेंद्र पाल गौतम भी सामाजिक न्याय और जाति जनगणना का खुलकर समर्थन करते रहे हैं। ऐसे में उनके कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी को दिल्ली में दलित मतदाताओं के बीच निश्चित रूप से एक चेहरा मिल गया है।

कांग्रेस में शामिल होते वक्त गौतम ने कहा कि राहुल गांधी की विचारधारा से प्रभावित होकर वह कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं जबकि आम आदमी पार्टी सामाजिक समानता, सामाजिक न्याय, भागीदारी और हिसदारी के मुद्दों पर चुप रहती है। गौतम ने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष को रफ्तार देने और सभी क्षेत्रों में बहुजन समाज की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए वह यह कदम उठा रहे हैं। 

आप के पास हैं राखी बिड़लान, कुलदीप कुमार

आम आदमी पार्टी के पास अब दिल्ली में बड़े दलित चेहरों के नाम पर दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष राखी बिड़लान और कोंडली के विधायक कुलदीप कुमार ही हैं। राखी बिड़लान दिल्ली विधानसभा में डिप्टी स्पीकर हैं और सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं।

आप ने लोकसभा चुनाव में दलित समुदाय के बीच अपनी भागीदारी को बढ़ाने के लिए कुलदीप कुमार को सामान्य लोकसभा सीट पूर्वी दिल्ली से उम्मीदवार बनाया था।

पिछले दो चुनाव में शून्य पर रही कांग्रेस

दिल्ली में कांग्रेस 1998 से 2013 तक लगातार सत्ता में रही लेकिन आम आदमी पार्टी के आने के बाद दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में तो पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली।

दिल्ली में पिछले कुछ चुनाव के नतीजे

सालबीजेपी को मिली सीटेंआप को मिली सीटेंकांग्रेस को मिली सीटें
2013 विधानसभा चुनाव (70 सीटें)31288
2014 लोकसभा चुनाव (7 सीटें)700
2015 विधानसभा चुनाव  (70 सीटें)3670
2019 लोकसभा चुनाव (7 सीटें)700
2020 विधानसभा चुनाव (70 सीटें)8620
2024 लोकसभा चुनाव (7 सीटें)700

पिछले दो चुनाव में आप ने जीती सभी आरक्षित सीटें

दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटें हैं और इनमें से 12 सीटें आरक्षित हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 8 सीटों पर जबकि 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में सभी आरक्षित सीटों पर जीत दर्ज की थी। दिल्ली में दलित मतदाताओं की आबादी 20 से 22% है।

मुश्किलों से जूझ रही आप

आम आदमी पार्टी दिल्ली में कथित शराब घोटाले की वजह से पहले से ही मुश्किलों में फंसी हुई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में हैं। राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ हुए मारपीट प्रकरण की वजह से भी पार्टी परेशान है।

बीजेपी पर ऐसा आरोप है कि वह आम आदमी पार्टी में सेंधमारी कर उसके नेताओं को तोड़ रही है। ऐसे में दलित नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद सवाल यह है कि क्या आप दिल्ली में पिछले दो चुनावों जैसा प्रदर्शन दोहरा पाएगी?

दूसरी ओर कांग्रेस को इस बात की उम्मीद है कि राजेंद्र पाल गौतम के आने के बाद उसे दिल्ली की राजनीति में फायदा जरूर होगा और वह दिल्ली में अपने खराब प्रदर्शन से उबर जाएगी।