लोकसभा चुनाव के बीच लगातार झटके खा रही आप के लिए 2 अप्रैल, 2024 को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत की खबर आई। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जमानत दे दी। साथ ही, राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने की इजाजत भी दे दी।
संजय सिंंह दिल्ली शराब नीति केस में पिछले साल अक्तूबर में गिरफ्तार किए गए थे। जांच एजेंसी ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का हवाला देते हुए संजय सिंह को गिरफ्तार किया था।
संजय सिंंह की जमानत का ED ने नहीं किया विरोध
संजय सिंह की जमानत के मामले में एक अहम बात यह सामने आई है कि ईडी ने उनकी जमानत का विरोध नहीं किया। ईडी की ओर से अदालत में पेश हुए एडिशनल सर्विसेज सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा कि उन्हें संजय सिंह को जमानत देने में किसी तरह का कोई एतराज नहीं है। इससे पहले संजय सिंंह के वकील अभिषेक मनु सिंंघवी ने इस बात पर जोर दिया कि बेहद कमजोर बुनियाद पर संजय सिंंह को गिरफ्तार किया गया और उन्हें जेल में रखने का कोई आधार नहीं बनता।
बड़ा सवाल- क्या मनीष सिसोदिया के बाहर आने की भी उम्मीद बढ़ी?
संजय सिंह को जमानत आम आदमी पार्टी के लिए बूस्टर डोज की तरह है। एक सवाल यह भी है कि क्या अब पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी जमानत मिल सकती है? इस सवाल का जवाब संजय सिंंह को बेल दिए जाने के दौरान अदालत में चली बहस से आंका जा सकता है।
जज साहब ये बोले…
संजय सिंह की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि संजय सिंह के खिलाफ ईडी की ओर से जो मुकदमा दर्ज किया गया है, वह इस मामले में गवाह बनाए गए दिनेश अरोड़ा के बयान के आधार पर किया गया है। सिंघवी ने कहा कि अरोड़ा ने अपने नौ बयानों में संजय सिंह का नाम नहीं लिया था। एक में लिया। सिंघवी ने अदालत के सामने यह दलील भी रखी कि दिनेश अरोड़ा को ईडी के द्वारा एतराज ना किए जाने पर ही जमानत दी गई थी।
सीनियर एडवोकेट सिंघवी ने यह भी बताया कि ईडी ने दिनेश अरोड़ा के द्वारा दिए गए बयानों को ‘अनरिलायबल डॉक्युमेंट्स’ की कैटेगरी में रखा। इसका मतलब यह हुआ कि ये दस्तावेज उनके मुवक्किल को उपलब्ध नहीं हो सकते। सिंघवी ने इसे न्याय का मखौल बताया और अदालत से ऐसा होने से रोके जाने की मांग की।
सिंघवी ने अपनी दलील में कहा कि दिनेश अरोड़ा जांच एजेंसी ईडी के स्टार गवाह हैं और ईडी ने उन्हें माफ भी कर दिया। उनकी जमानत पर भी ईडी ने आपत्ति नहीं की।
सिंघवी की यह दलील सुनने के बाद कि दिनेश अरोड़ा ने नौ बयानों में संजय सिंह का नाम नहीं लिया था और संजय सिंह से किसी भी तरह की धन की बरामदगी नहीं हुई, अदालत ने ईडी की ओर से पेश हुए एडिशनल सर्विसेज सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा कि क्या संजय सिंह को आगे हिरासत में रखा जाना जरूरी है?
जस्टिस खन्ना ने ईडी के वकील से कहा, “आपने उन्हें 6 महीने से हिरासत में रखा हुआ है। दिनेश अरोड़ा ने शुरुआत में उनका नाम नहीं लिया लेकिन बाद में एक बयान में उन्होंने संजय सिंह का नाम ले लिया। अहम बात यह है कि इस मामले में पैसे की कोई बरामदगी नहीं हुई है। इस बात को ध्यान में रखें कि अगर हम उनके साथ हैं तो हमें धारा 45 के संदर्भ में इसे रिकॉर्ड में रखना जरूरी है कि प्रथम दृष्टया संजय सिंह ने कोई अपराध नहीं किया है और ट्रायल पर इसका व्यापक असर हो सकता है।”
ईडी की ओर से आपत्ति नहीं होने पर कोर्ट ने संजय सिंंह को बेल दे दी।
मनीष सिसोदिया के लिए उम्मीद क्यों?
पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर, दफ्तर और यहां तक कि उनके गांव में भी कई बार जांच एजेंसियों की ओर से छापेमारी की गई थी लेकिन तब भी एक पैसे की बरामदगी नहीं हो पाई थी। सिसोदिया को जेल में छह महीने से कहीं ज्यादा बीत चुके हैं। इसलिए संभव है कि उनकी जमानत पर बहस के दौरान उनके वकील संजय सिंंह की जमानत के दौरान की गई जज की टिप्पणी को आधार बनाएं।

आप के चुनाव अभियान पर असर
आम आदमी पार्टी दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन के तहत सात और पंजाब में अकेले दम पर सभी 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। ऐसे वक्त में पार्टी को अपने राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सख्त जरूरत थी लेकिन दिल्ली शराब नीति केस में ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है। इससे आम आदमी पार्टी के चुनाव अभियान को धक्का लगा क्योंकि दिल्ली और पंजाब में पार्टी के चुनाव अभियान को रफ्तार देने की जिम्मेदारी केजरीवाल पर ही थी।
पार्टी के पास बीजेपी पर केजरीवाल की तरह आक्रामक हमला बोलने वाला कोई नेता बाहर नहीं है। संजय सिंंह अब यह कमी काफी हद तक पूरी कर सकते हैं।
संजय सिंंह दो बार राज्यसभा के सांसद बन चुके हैं और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश के प्रभारी भी हैं। उनके नेतृत्व में ही आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा और पिछले निकाय चुनाव को बहुत मजबूती के साथ लड़ा था। संजय सिंह सड़क से लेकर संसद तक पुरजोर जोर ढंग से मोदी सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं। संजय सिंह को विपक्ष से लड़ने वाले एक दमदार नेता के रूप में भी देखा जाता है।
बीजेपी की बड़ी दलील अब नहीं चलेगी
यहां यह बात भी महत्वपूर्ण है कि बीजेपी के तमाम बड़े नेता पिछले कुछ महीनों में लगातार इस बात को कहते रहे हैं कि अगर आम आदमी पार्टी के नेता ईमानदार हैं तो उन्हें अदालत से जमानत क्यों नहीं मिल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चुनावी रैली में यह बात कह चुके हैं। अब जब संजय सिंह को जमानत मिल चुकी है तो निश्चित रूप से बीजेपी के तमाम नेता अब इस तर्क की दुहाई नहीं दे सकेंगे।