CSDS-Lokniti Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे के बाद जिस तरह का राजनीतिक माहौल था, उसमें शायद बीजेपी को भी इस बात की उम्मीद नहीं थी कि वह राज्य में एक बार फिर से सरकार बना लेगी। लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजे में पार्टी ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया है। दूसरी ओर यह नतीजे कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका हैं क्योंकि उसे उम्मीद थी कि इस बार वह बीजेपी को सत्ता से बाहर कर देगी।

हरियाणा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी पार्टी ने लगाकर तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की हो।

हरियाणा में पिछले कुछ सालों में किसान आंदोलन, महिला पहलवानों का आंदोलन और अग्निवीर योजना की वजह से ऐसा माना जा रहा था कि चुनावी माहौल बीजेपी के पूरी तरह खिलाफ है। तमाम बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेषक, एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियां और हरियाणा की चुनावी नब्ज को समझने वाले लोग भी यही कहते थे कि यहां बीजेपी का फिर से सरकार बनाना मुश्किल है और कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलेगा। लेकिन अगर विपरीत राजनीतिक माहौल में भी बीजेपी की सरकार बनी है तो यह जानना जरूरी होगा कि उसे किन जातियों का सबसे ज्यादा समर्थन मिला है।

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) ने आंकड़ों के जरिए बताया है कि चुनाव में किस जाति-बिरादरी ने कांग्रेस, बीजेपी इनेलो-बसपा गठबंधन और अन्य को कितने प्रतिशत वोट दिए हैं। हरियाणा की आबादी में जातियों की भागीदारी के हिसाब से देखें तो सर्वाधिक मतदाता जाट बिरादरी के हैं।

हरियाणा में किस जाति की कितनी आबादी

समुदाय का नाम आबादी (प्रतिशत में)
जाट 25  
दलित21
पंजाबी8
ब्राह्मण7.5 
अहीर5.14
वैश्य5
राजपूत 3.4 
सैनी 2.9 
मुस्लिम3.8 

आइए, इस टेबल से समझते हैं कि किस जाति ने कांग्रेस, बीजेपी, इनेलो-बसपा गठबंधन को कितने प्रतिशत वोट दिए हैं।

जातिकांग्रेसबीजेपीइनेलो-बसपाअन्य
ब्राह्मण3151216
पंजाबी खत्री1868410
जाट5328613
अन्य सवर्ण जातियां2259415
गुर्जर 4437514
यादव2562211
जाटव503569
मुस्लिम 597331
सिख47211715
राजनीतिक दलों को मिले वोट प्रतिशत में हैं।

सीएसडीएस के आंकड़ों से यह साफ है कि हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनाने में पंजाबी खत्री, यादव और ब्राह्मण समुदाय का सबसे बड़ा योगदान रहा है। इसके अलावा अन्य सवर्ण जातियों ने भी बीजेपी को कांग्रेस के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा वोट दिया है। बीजेपी को जाट समुदाय का कांग्रेस के मुकाबले आधा वोट मिला है।

हरियाणा की ओबीसी जातियों में से प्रमुख जाति यादव समुदाय ने बीजेपी को कांग्रेस से दोगुने से ज्यादा वोट दिए हैं। यह अहीरवाल के इलाके में साफ दिखाई भी दिया है। अहीरवाल में पड़ने वाली 11 सीटों में से 10 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है।

मुस्लिम समुदाय कांग्रेस के साथ

जाटव समुदाय के मतों में कांग्रेस आगे रही है। जाटव मतदाताओं के अलावा दलित समाज में अन्य अनुसूचित जातियों ने बीजेपी को ज्यादा वोट दिया है। मुस्लिम समुदाय के लोगों का एकतरफा समर्थन कांग्रेस को मिला है जबकि सिख समुदाय का भी ज्यादातर वोट कांग्रेस के पाले में गया है।

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अन्य राजनीतिक दल हुए ध्वस्त

हरियाणा में इस बार हुए चुनावी मुकाबले से यह भी सामने आया है कि कांग्रेस और बीजेपी की सीधी टक्कर में बाकी राजनीतिक दलों को जबरदस्त नुकसान हुआ। हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस, बीजेपी के अलावा इनेलो या पिछले विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी भी अच्छे प्रदर्शन के बाद क्षेत्रीय ताकत के रूप में उभरी थी। लेकिन इस बार चुनावी मुकाबला पूरी तरह आमने-सामने का हो गया और अन्य राजनीतिक दलों को कुछ भी नहीं मिला।

90 सीटों वाली हरियाणा की विधानसभा में 85 सीटें इन दोनों राजनीतिक दलों के पास चली गईं। दो सीटों पर इनेलो को जीत मिली जबकि तीन सीटें निर्दलीय विधायकों के खाते में गई हैं।

सैनी की नई कैबिनेट को लेकर हो रहा मंथन

चुनाव में जीत हासिल करने के बाद नायब सिंह सैनी एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। शपथ ग्रहण समारोह 17 अक्टूबर को पंचकूला में होगा। इसे लेकर नायब सिंह सैनी लगातार दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह, पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्यसभा सांसद विप्लब देब सहित कई नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।

हरियाणा सरकार में मुख्यमंत्री को मिलाकर अधिकतम 14 मंत्री हो सकते हैं। पार्टी की कोशिश है कि वह ओबीसी, जाट, दलित, सवर्ण और समाज के अन्य सभी वर्गों को भागीदारी दे।