उत्तर प्रदेश में 10 सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनाव के लिए यह लगभग तय हो गया है कि सपा और कांग्रेस मिलकर चुनाव मैदान में उतरेंगे। खबरों के मुताबिक, कांग्रेस इन 10 में से तीन सीटों पर चुनाव लड़ सकती है जबकि 7 सीटों पर समाजवादी पार्टी अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाएगी। बीजेपी को भी अपने सहयोगी दलों के बीच सीटों का बंटवारा करना है।
लोकसभा चुनाव में हार के बाद उत्तर प्रदेश में इन दिनों बीजेपी के अंदरूनी कलह को लेकर चर्चाएं चोरों पर हैं और ऐसे में ही पार्टी को इस उपचुनाव का सामना भी करना है।
बताना होगा कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के गठबंधन को अच्छी कामयाबी मिली है और लोकसभा चुनाव के नतीजे से उत्साहित होकर दोनों दलों ने उपचुनाव में इस गठबंधन को बनाए रखने का फैसला किया है।
2024 में हुआ बीजेपी को बड़ा नुकसान
| राजनीतिक दल | 2024 में मिली सीटें | 2019 में मिली सीटें | 
| बीजेपी | 33 | 62 | 
| सपा | 37 | 5 | 
| कांग्रेस | 6 | 1 | 
| बीएसपी | 0 | 10 | 
| रालोद | 2 | – | 
| अपना दल (एस) | 1 | 2 | 
| आजाद समाज पार्टी(कांशीराम) | 1 | – | 
मायावती और चंद्रशेखर भी लड़ेंगे
आमतौर पर उपचुनाव नहीं लड़ने वाली मायावती की अगुवाई वाली बीएसपी और नगीना से जीते चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आसपा (कांशीराम) भी सभी 10 सीटों पर ताल ठोकने जा रही है। इससे साफ है कि उपचुनाव में जोरदार मुकाबला देखने को मिलेगा।
इस उपचुनाव को उत्तर प्रदेश में 2027 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है।
2022 में कौन कितनी सीटें जीता था
| राजनीतिक दल | मिली सीटें | 
| बीजेपी | 3 | 
| सपा | 5 | 
| निषाद पार्टी | 1 | 
| आरएलडी | 1 | 
कौन सी सीटों पर होना है उपचुनाव
| विधानसभा सीट का नाम | संबंधित लोकसभा | 
| कटेहरी | अंबेडकर नगर | 
| मझवां | मिर्जापुर | 
| मिल्कीपुर | फैजाबाद | 
| मीरापुर | मुजफ्फरनगर | 
| सीसामऊ | कानपुर नगर | 
| करहल | मैनपुरी | 
| फूलपुर | प्रयागराज | 
| खैर | अलीगढ़ | 
| कुंदरकी | मुरादाबाद | 
| गाजियाबाद | गाजियाबाद | 
मीरापुर, गाजियाबाद और मझवां मिल सकती हैं कांग्रेस को
कांग्रेस को 10 में से जो तीन सीटें मिल सकती हैं उनमें मीरापुर, गाजियाबाद और मझवां की विधानसभा सीट शामिल हैं। हालांकि इस बारे में अभी अंतिम ऐलान नहीं हुआ है।
अखिलेश के इस्तीफे से खाली हुई है करहल
इन विधानसभा सीटों में से करहल की विधानसभा सीट इसलिए अहम है क्योंकि यह विधानसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई है। अखिलेश यादव कन्नौज से लोकसभा का चुनाव जीते थे। माना जा रहा है कि सपा यहां से यादव परिवार के सदस्य तेज प्रताप सिंह यादव को चुनाव लड़ा सकती है।

मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर भी बीजेपी और सपा के बीच कड़ा और बड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। मिल्कीपुर विधानसभा सीट 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां से जीते अवधेश प्रसाद के लोकसभा का सांसद बनने की वजह से खाली हुई है। बीजेपी की कोशिश इस विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर लोकसभा चुनाव में मिली हार का जवाब देने की है।
इसके अलावा खैर विधानसभा सीट योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री अनूप प्रधान वाल्मीकि के हाथरस से, मीरापुर विधानसभा सीट चंदन चौहान के बिजनौर से, कुंदरकी विधानसभा सीट जिया उर रहमान के संभल से, गाजियाबाद सीट अतुल गर्ग के गाजियाबाद से, फूलपुर विधानसभा सीट प्रवीण पटेल के फूलपुर से, मझवां विधानसभा सीट विनोद कुमार बिंद के भदोही से, कटेहरी विधानसभा सीट लालजी वर्मा के अंबेडकर नगर से सांसद चुने जाने की वजह से खाली हुई है।

सीसामऊ विधानसभा सीट 2022 के चुनाव में सपा के टिकट पर जीते इरफान सोलंकी को आगजनी के एक मामले में 7 साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिए जाने की वजह से खाली हुई है।
बीजेपी में चल रही लड़ाई
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में उत्तर प्रदेश भाजपा की एक बैठक में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के द्वारा ‘संगठन सरकार से बड़ा है’, यह बयान दिए जाने के बाद राज्य के सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। ऐसा कहा जा रहा है कि कलह को थामने के लिए उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन में बड़े बदलाव हो सकते हैं।

कुछ दिन पहले 10 सीटों पर उपचुनाव को लेकर जब योगी आदित्यनाथ ने एक बैठक की तो उसमें राज्य सरकार के दो उपमुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक की गैरमौजूदगी की काफी चर्चा हुई। इस बैठक में बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं को भी नहीं बुलाया गया था।
बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया था कि कभी-कभी आत्मविश्वास का खामियाजा भुगतना पड़ता है। बीजेपी ने चुनाव में 400 पार का नारा दिया था और यह माना जा रहा है कि अति आत्मविश्वास से उसे नुकसान हुआ है।
सहयोगी दल दिखा रहे तेवर
बीजेपी को अपने घर में चल रही कलह के अलावा सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया पटेल के तीखे तेवरों का भी सामना करना पड़ा है। अनुप्रिया पटेल ने बीते कुछ दिनों में एक के बाद एक पत्र लिखकर योगी सरकार से सवाल पूछे हैं। एक और सहयोगी दल निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद ने योगी सरकार की बुलडोजर नीति को लेकर सवाल उठाए हैं।

लोकसभा चुनाव में उम्मीद से ज्यादा कामयाबी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश में विपक्षी गठबंधन सत्तारूढ़ बीजेपी पर हमलावर है और सपा और कांग्रेस लोकसभा चुनाव में मिली इस बढ़त को बनाए रखने की पूरी कोशिश करेंगे। जबकि राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें इस बात पर हैं कि लोकसभा चुनाव के नतीजों में जोरदार झटका खाने वाली बीजेपी पार्टी में चल रही लड़ाई के बीच बीच उपचुनाव में कैसे जीत दर्ज करेगी?
